दिल्ली के शास्त्रीय संगीत के सितारे: उस्ताद इकबाल अहमद खान की अनकही कहानी
उस्ताद इकबाल अहमद खान: एक संगीतकार की यात्रा
नई दिल्ली, 16 दिसंबर। जब भी दिल्ली का नाम लिया जाता है, तो दाग देहलवी और मिर्जा गालिब जैसे शायरों के साथ-साथ कई कवियों और लेखकों की छवियां मन में आती हैं। इसी क्रम में, उस्ताद इकबाल अहमद खान का नाम भी आता है, जो दिल्ली घराने के एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। उनकी आवाज़ में दिल्ली का दिल धड़कता था, और तबले की थाप के साथ उनकी गायकी भारतीय संस्कृति के हर रंग को जीवंत कर देती थी।
जब उस्ताद इकबाल अहमद खान मंच पर होते थे, तो उनका गायन विद्वता से भरा होता था, जबकि उनकी ठुमरी, दादरा, टप्पा और गज़लें भावनाओं से ओत-प्रोत होती थीं। खयाल के उस्ताद होते हुए भी, उप-शास्त्रीय संगीत में उनकी विशेषज्ञता उन्हें अन्य गायकों से अलग बनाती थी। उनकी ठुमरी में दिल्ली घराने की नजाकत थी, जो श्रोताओं को राग की आत्मा से जोड़ देती थी।
उनके जीवन का एक दिलचस्प पहलू यह था कि उन्हें अपने भीतर के कलाकार और शिक्षक के बीच संतुलन बनाना पड़ता था। समीक्षकों ने एक बार कहा था कि जब वे संगीत परंपरा के इतिहास या राग के सूक्ष्म नियमों पर ध्यान नहीं देते थे, तब उनका कलाकार रूप शानदार प्रदर्शन करता था।
उनकी डिस्कोग्राफी में अमीर खुसरो द्वारा रचित दुर्लभ तराने शामिल हैं, जैसे 'चांदनी केदार तराना'। उनके लिए गाना केवल कला नहीं, बल्कि इतिहास को संजोना था। उनका करियर 1966 में शुरू हुआ और पांच दशकों से अधिक चला।
उस्ताद खान ने अपने नाना, संगीत मार्तंड उस्ताद चांद खान साहब से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली। उनकी वंशावली की ताकत ने उन्हें कई मास्टर्स से सीखने का अवसर दिया, जिनमें उनके दादा, परदादा, चाचा और पिता शामिल थे।
इस प्रशिक्षण के बल पर वे आकाशवाणी के शीर्ष-ग्रेड गायक बने। उन्होंने 'दिल्ली दरबार' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना था।
इसके अलावा, उन्होंने मीडिया और थिएटर के लिए संगीत तैयार किया, जिसमें टीवी धारावाहिक इंद्र सभा और वृत्तचित्र याद-ए-गालिब शामिल हैं। उन्होंने भारत सरकार के ई-गवर्नेंस प्रभाग के लिए गुलजार द्वारा लिखे गए गीत के लिए भी संगीत तैयार किया।
उनके योगदान को भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मानों से मान्यता मिली, जिसमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2014) और मिर्जा गालिब पुरस्कार (2008) शामिल हैं।
उन्होंने डॉ. अंजली मित्तल और सोनिया मिश्रा जैसे शिष्यों को प्रशिक्षित किया, जिन्होंने बाद में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घराने की शैली का प्रदर्शन किया।
17 दिसंबर, 2020 को उनका निधन एक महान संगीतकार की कहानी का अंत था। उनके निधन पर अमजद अली खान ने कहा था, "दिल्ली घराने के प्रमुख उस्ताद इकबाल अहमद खान साहब के निधन से मैं हैरान और दुखी हूं। इंडियन आइडल 2020 के दौरान मेरी उनसे थोड़ी बातचीत हुई थी। वह संगीत और सभी संगीतकारों के प्रति बहुत दयालु और सहानुभूतिपूर्ण थे।"
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