कौन थीं जिन्ना की बहन फातिमा, जिनके जनाजे पर हुआ पथराव? पाकिस्तान में 'गदर' मचाएगी ये सीरीज

मनोरंजन डेस्क, 12 अगस्त 2023- एक तरफ जहां सनी देओल और अमीषा पटेल की फिल्म 'गदर 2' (Gadar 2) भारत में तहलका मचा रही है तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान आजादी के इस हफ्ते में बौखलाया हुआ है. दरअसल, जल्द ही पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना की जीवनी रिलीज होने वाली है, जिसे लेकर लोग काफी उत्साहित हैं। फातिमा जिन्ना के जीवन पर आधारित इस सीरीज का नाम 'फातिमा जिन्ना: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन' (Fatimajinnah: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन) होगा, यह सीरीज पाकिस्तानी ओटीटी प्लेटफॉर्म 'एंड.डिजिटल' पर रिलीज होगी। 14 अगस्त को रिलीज होने वाली इस सीरीज में फातिमा की विवादों से भरी जिंदगी को दर्शाया जाएगा। हाल ही में इस सीरीज का प्रोलॉग वीडियो रिलीज हुआ है, जिसे देखने के बाद सीरीज को लेकर दर्शकों की उत्सुकता काफी बढ़ गई है. इस रिपोर्ट में जानिए कौन थीं फातिमा जिन्ना, जिनके अंतिम संस्कार पर भी पत्थरबाजी की गई थी.
फातिमा जिन्ना कौन थी?
मोहम्मद अली जिन्ना की बहन होने के अलावा, फातिमा जिन्ना विभाजन पूर्व भारत में दंत चिकित्सा का अध्ययन करने वाली पहली महिला थीं। उस समय फातिमा ने अपना क्लिनिक भी खोला. 30 जुलाई 1893 को जन्मी फातिमा जिन्ना की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के बांद्रा में हुई और फिर उन्होंने कलकत्ता से दंत चिकित्सा की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मुंबई में अपना डेंटल क्लीनिक खोला। फातिमा जिन्ना एक सशक्त महिला थीं और अक्सर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाती रहती थीं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाई मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान के निर्माण में अहम योगदान दिया। इसी वजह से विभाजन के बाद फातिमा को पाकिस्तान में 'मदर-ए-मिल्लत (राष्ट्रमाता)' और 'खातून-ए-पाकिस्तान' जैसी उपाधियों से भी सम्मानित किया गया। हालाँकि, जब 9 जुलाई 1967 को फातिमा की मृत्यु हो गई, तो बहुत हंगामा हुआ। इतना ही नहीं फातिमा के जनाजे में सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जबकि एक शख्स की जान चली गई थी.
अब देखो
11 सितंबर 1948 को भाई मोहम्मद अली जिन्ना की मृत्यु के बाद फातिमा को पाकिस्तानी राजनीति से दूर रखने की पूरी कोशिश की गई, यहां तक कि उन्हें जिन्ना की बरसी पर भाषण देने से भी रोका गया। क्योंकि हुकरान ने फातिमा के सामने शर्त रखी थी कि वह जो भाषण लोगों को देना चाहता है फातिमा उसे साझा करे, लेकिन फातिमा को शासकों की यह शर्त मंजूर नहीं थी। जब फातिमा को अपने भाई की तीसरी सालगिरह पर भाषण देने का मौका मिला. लेकिन इसी बीच जैसे ही उनकी बारी आई और फातिमा ने बोलना शुरू किया तो अचानक रेडियो प्रसारण बंद हो गया. सरकार की इस रणनीति को लोगों तक पहुंचाया गया.
जनाजे पर पथराव हुआ
9 जुलाई 1967 को फातिमा जिन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया, उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। हर कोई फातिमा को श्रद्धांजलि देना चाहता था और यही कारण था कि कुछ लोगों ने शव को दफनाने से पहले फातिमा का चेहरा देखने की अपील की, लेकिन शासकों ने उनकी बात नहीं सुनी और पुलिस ने उन्हें पीछे धकेल दिया। इससे भीड़ भड़क गई और उन्होंने पुलिस पर पथराव कर दिया. घटना के बाद भगदड़ मच गई, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई। इस मामले में तत्कालीन नेता अयूब खान पर आरोप लगे, लेकिन इस मामले में कोई जांच नहीं करायी गयी.