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कुणाल खेमू ने कॉमेडी की चुनौतियों पर किया खुलासा, 'हंसी को दिखावा नहीं बनाया जा सकता'

कुणाल खेमू ने हाल ही में कॉमेडी की चुनौतियों और अपने निर्देशन के अनुभव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि हंसी को दिखावा नहीं बनाया जा सकता और सही समय पर सही लोगों का साथ होना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी फिल्म 'मडगांव एक्सप्रेस' के निर्माण की कहानी भी दिलचस्प है। जानें उनके विचार और अनुभव इस लेख में।
 
कुणाल खेमू ने कॉमेडी की चुनौतियों पर किया खुलासा, 'हंसी को दिखावा नहीं बनाया जा सकता'

कॉमेडी की दुनिया में कुणाल खेमू का सफर




मुंबई, 21 दिसंबर। वर्तमान में जब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हर हफ्ते नई फिल्में और सीरीज आ रही हैं, दर्शकों को आकर्षित करना एक कठिन कार्य बन गया है। खासकर कॉमेडी के क्षेत्र में यह चुनौती और भी बढ़ जाती है, क्योंकि हंसी एक ऐसी भावना है जिसे मजबूरी में नहीं महसूस किया जा सकता। इस विषय पर अभिनेता कुणाल खेमू ने अपनी राय साझा की।


हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई सीरीज 'सिंगल पापा' को मिल रहे सकारात्मक रिस्पॉन्स के बीच, कुणाल ने कॉमेडी, अभिनय, लेखन और निर्देशन के अपने अनुभवों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हंसी को दिखावा बनाकर नहीं पेश किया जा सकता, और यही बात इसे एक ईमानदार कला बनाती है।


कुणाल ने 'सिंगल पापा' के साथ-साथ अपनी निर्देशित फिल्म 'मडगांव एक्सप्रेस' के निर्माण की कहानी भी साझा की। यह फिल्म उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।


उन्होंने कहा, "किसी फिल्म या शो के पीछे केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि सही समय और सही लोगों का साथ भी आवश्यक होता है।"


कुणाल खेमू ने आगे कहा, "एक अभिनेता का असली काम केवल अभिनय करना नहीं होता, बल्कि लंबे समय तक इंतजार करना भी उसी का हिस्सा है। फिल्म इंडस्ट्री में धैर्य सबसे बड़ी ताकत है।"


लेखन के बारे में कुणाल ने बताया, "मैंने 'मडगांव एक्सप्रेस' की कहानी 2015 में लिखी थी। उस समय मुझे नहीं पता था कि मैं इसे खुद डायरेक्ट करूंगा। मैंने इसे इसलिए लिखा क्योंकि मैं इसे कहना चाहता था।"


उन्होंने कहा, "करीब सात साल बाद, जब किसी ने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया, तो प्रोड्यूसर्स ने कहा कि इस पर फिल्म बननी चाहिए। मुझे निर्देशन का मौका मिला, और मैंने बिना सोचे-समझे हां कर दी।"


कुणाल ने कहा, "फिल्म बनाने की कोई निश्चित प्रक्रिया नहीं होती। कभी-कभी प्रोजेक्ट को बनने में सालों लग जाते हैं, और कभी सब कुछ आसानी से जुड़ जाता है।"


उन्होंने कहा, "अगर किस्मत और हालात साथ दें, तो चीजें सही दिशा में बढ़ने लगती हैं। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे साथ सही समय पर सही लोग जुड़े और 'मडगांव एक्सप्रेस' बन पाई।"


कुणाल ने ट्रेलर लॉन्च के अनुभव को साझा करते हुए कहा, "ट्रेलर के दौरान हॉल में सन्नाटा छा गया था, और मैं घबरा गया था। लेकिन जैसे ही ट्रेलर खत्म हुआ, पूरा कमरा तालियों और हंसी से गूंज उठा। वह पल मेरे लिए खास था।"


उन्होंने कहा, "कॉमेडी की खूबी यही है कि यह लाइव परफॉर्मेंस जैसी होती है। आप हंसी को दिखावा नहीं बना सकते। जब कॉमेडी काम करती है, तो उसकी खुशी बाकी तारीफों से कहीं ज्यादा होती है।"


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