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उस्ताद गुलाम अली का 85वां जन्मदिन: गजल के बादशाह की अनकही कहानी

उस्ताद गुलाम अली, गजल के प्रसिद्ध गायक, आज अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं। पाकिस्तान में जन्मे गुलाम अली ने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की और गजल की दुनिया में अपनी अनोखी पहचान बनाई। उनकी गजलें आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। इस लेख में हम उनके जीवन, करियर और उपलब्धियों के बारे में जानेंगे, जो उन्हें एक अद्वितीय कलाकार बनाती हैं।
 
उस्ताद गुलाम अली का 85वां जन्मदिन: गजल के बादशाह की अनकही कहानी

गुलाम अली का जन्म और परिवार

गजल के प्रसिद्ध गायक उस्ताद गुलाम अली का जन्म 05 दिसंबर 1940 को पाकिस्तान में हुआ। उन्होंने संगीत की शिक्षा बड़े गुलाम अली साहब से प्राप्त की। कुछ गजलें ऐसी होती हैं जो गायक को हमेशा के लिए अमर कर देती हैं, और गुलाम अली की गजलें ऐसी ही हैं।


गुलाम अली का करियर

गुलाम अली ने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में रेडियो स्टेशन से की थी। इसके बाद, उन्होंने गजल की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। उनकी गजलें आज भी क्लासिक मानी जाती हैं। गुलाम अली ने गजल के लिए संगीत भी तैयार किया और घराना गायकी को गजल में शामिल करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पंजाबी गाने भी गाए हैं, जो काफी लोकप्रिय हुए। पाकिस्तान से होने के बावजूद, गुलाम अली भारत में भी बहुत प्रसिद्ध हैं।


गुलाम अली अक्सर भारत आते-जाते रहते थे और उन्होंने आशा भोसले के साथ एक ज्वॉइंट म्यूजिक एल्बम भी बनाया है। इसके अलावा, उनकी गजलों का उपयोग कई बॉलीवुड फिल्मों में किया गया है। उनकी कुछ प्रसिद्ध गजलों में 'कल चौदहवीं की रात', 'चमकते चांद को', 'चुपके चुपके रात दिन', 'हंगामा है क्यों बरपा' और 'किया है प्यार जिसको' शामिल हैं। उन्होंने नेपाली गजल भी गाई है और प्रसिद्ध नेपाली गायक नारायण गोपाल के साथ काम किया है।


उपलब्धियां

गुलाम अली को 2013 में पद्मभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


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