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वीर बाल दिवस: बच्चों की साहसिक कहानियों पर आधारित बेहतरीन फिल्में

26 दिसंबर को मनाए जाने वाले वीर बाल दिवस पर, हम बच्चों की साहसिकता को दर्शाने वाली बेहतरीन फिल्मों पर नजर डालते हैं। ये फिल्में न केवल बच्चों के साहस और बलिदान की कहानियाँ प्रस्तुत करती हैं, बल्कि हमें यह भी याद दिलाती हैं कि बच्चों में अद्वितीय ताकत और इरादे होते हैं। जानें इन प्रेरणादायक फिल्मों के बारे में, जो बच्चों के संघर्ष और साहस को बखूबी दर्शाती हैं।
 
वीर बाल दिवस: बच्चों की साहसिक कहानियों पर आधारित बेहतरीन फिल्में

वीर बाल दिवस का महत्व


हर साल 26 दिसंबर को भारत में वीर बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अद्वितीय बलिदान को समर्पित है।


इन छोटे वीरों ने धर्म, सत्य और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका साहस और बलिदान आज भी पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वीर बाल दिवस हमें यह याद दिलाता है कि बच्चे केवल मासूम नहीं होते, बल्कि उनमें साहस और दृढ़ता भी होती है।


भारतीय सिनेमा में बच्चों की साहसिक कहानियाँ

भारतीय फिल्म उद्योग ने कई ऐसी फिल्में प्रस्तुत की हैं, जो बच्चों के साहस, संघर्ष और बलिदान को संवेदनशीलता के साथ दर्शाती हैं।


गौरु - जर्नी ऑफ करेज: इस फिल्म का निर्देशन रामकिशन चोयल ने किया है और यह राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित है। कहानी एक छोटे चरवाहे गौरु की है, जो अपनी दादी की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए साहसिक यात्रा पर निकलता है। फिल्म का संवाद 'इच्छा तो दादी की है, म्हारी तो जिद है' कहानी का सार प्रस्तुत करता है।


धनक: नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित यह फिल्म 2016 में आई थी। इसमें दो भाई-बहनों, परी और छोटू की यात्रा को दर्शाया गया है, जहां बहन अपने अंधे भाई की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए साहसिक यात्रा करती है।


आई एम कलाम: 2011 में आई इस फिल्म में एक गरीब राजस्थानी लड़के की कहानी है, जो पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर शिक्षा की ओर अग्रसर होता है। फिल्म का संदेश है कि कर्म से किस्मत बदली जा सकती है।


तारे जमीन पर: आमिर खान द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक ऐसे बच्चे की कहानी है जो डिस्लेक्सिया से जूझता है। यह फिल्म दिखाती है कि हर बच्चा विशेष होता है और अपनी कमजोरियों को ताकत में बदल सकता है।


इकबाल: नागेश कुकुनूर की यह फिल्म एक सुनने और बोलने में अक्षम लड़के की कहानी है, जो क्रिकेटर बनने का सपना देखता है। फिल्म दिव्यांगता के बावजूद साहस और मेहनत से सपने पूरे करने की प्रेरणा देती है।


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