मनोज कुमार के निधन पर राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने जताया दुख, जानें उनके योगदान
मनोज कुमार का निधन: भारतीय सिनेमा का एक युग समाप्त
नई दिल्ली, 4 अप्रैल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रसिद्ध अभिनेता मनोज कुमार के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मनोज कुमार हमेशा हमारी यादों में जीवित रहेंगे।
राष्ट्रपति ने अपने पोस्ट में कहा, "मनोज कुमार के निधन से मैं अत्यंत दुखी हूं। उन्होंने भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके लंबे और प्रतिष्ठित करियर में, वे अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते थे, जो भारत के योगदान और मूल्यों पर गर्व की भावना को बढ़ावा देती थीं।"
उन्होंने यह भी कहा कि अभिनेता द्वारा निभाए गए राष्ट्रीय नायकों, किसानों और सैनिकों के चरित्र हमारी सामूहिक स्मृति में हमेशा जीवित रहेंगे।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि उनका सिनेमा हमेशा राष्ट्रीय गौरव को जगाएगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने मनोज कुमार के परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिवंगत अभिनेता के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने एक्स पर लिखा, "महान अभिनेता और फिल्मकार मनोज कुमार के निधन से मुझे बहुत दुख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें उनकी देशभक्ति और जोश के लिए याद किया जाता है। मनोज जी के कार्यों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और वे पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।"
गौरतलब है कि मनोज कुमार, जिन्होंने देशभक्ति फिल्मों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया, का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
मनोज कुमार ने बॉलीवुड को 'उपकार', 'पूरब-पश्चिम', 'क्रांति', 'रोटी-कपड़ा और मकान' जैसी कई सफल फिल्में दीं। इन्हीं फिल्मों के कारण उन्हें 'भारत कुमार' के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। बंटवारे के बाद उनके परिवार ने भारत में रहने का निर्णय लिया और वे दिल्ली आ गए। मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द बहुत करीब से अनुभव किया।
उन्हें उनकी फिल्मों के लिए 7 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। 1968 में 'उपकार' ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया और 2016 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया।