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भारतीय सिनेमा के दिग्गज मणि कौल: कला और भावनाओं के सच्चे प्रेमी

मणि कौल, भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित निर्देशक, कला और भावनाओं के प्रति अपनी गहरी प्रेम भावना के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1944 को जोधपुर में हुआ और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1969 में की। कौल ने कई महत्वपूर्ण फिल्में बनाई, जिनमें 'दुविधा' और 'आषाढ़ का एक दिन' शामिल हैं। उनकी फिल्मों में नई तकनीकों का प्रयोग और साहित्यिक प्रेरणा का गहरा प्रभाव था। मणि कौल का निधन 6 जुलाई 2011 को हुआ, लेकिन उनका योगदान आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवित है।
 
भारतीय सिनेमा के दिग्गज मणि कौल: कला और भावनाओं के सच्चे प्रेमी

मणि कौल का सिनेमा प्रेम


मुंबई, 24 दिसंबर। मणि कौल, भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित निर्देशक, सिनेमा के प्रति अपनी गहरी प्रेम भावना के लिए जाने जाते थे। उनके लिए फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि यह कला, भावनाओं और विचारों का एक माध्यम थीं। वह घंटों तक फिल्में देखने में लीन रहते थे, चाहे वह रोमांस हो या कॉमेडी, हर फिल्म के हर फ्रेम पर उनकी गहरी नजर होती थी।


कौल ने अपने सिनेमा प्रेम और गहरी समझ के साथ भारतीय फिल्म उद्योग में एक अनोखी पहचान बनाई।


उनका जन्म 25 दिसंबर 1944 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ। वह एक कश्मीरी परिवार से थे और बचपन से ही कला और साहित्य में रुचि रखते थे। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने जयपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिल्म निर्माण का सपना देखा। इसके लिए उन्होंने पुणे के फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) में दाखिला लिया, जहां उन्होंने निर्देशक ऋत्विक घटक से अभिनय और निर्देशन की शिक्षा ली।


कौल ने अपने करियर की शुरुआत 1969 में फिल्म 'उसकी रोटी' से की, जो उनके लिए केवल एक प्रोजेक्ट नहीं था, बल्कि नए सिनेमा प्रयोगों की शुरुआत थी। उनकी फिल्मों की विशेषता यह थी कि वे छोटी-छोटी चीजों को भी बड़े ध्यान से प्रस्तुत करते थे। वह हर दृश्य को समझते, रंगों और कैमरे के प्रयोग को नोट करते और इसी से नई तकनीक सीखते थे।


उनकी अगली फिल्म 'आषाढ़ का एक दिन' (1971) मोहन राकेश के नाटक पर आधारित थी। इसके बाद 1973 में आई 'दुविधा', जो समानांतर सिनेमा का एक मील का पत्थर मानी जाती है। इस फिल्म में एक नवविवाहित महिला की कहानी है, जिसका पति शादी के अगले दिन व्यापार के लिए घर छोड़ देता है और भूत के रूप में लौटता है। कौल ने इस फिल्म के हर दृश्य को बारीकी से शूट किया।


मणि कौल ने केवल भारतीय साहित्य पर आधारित फिल्में नहीं बनाई, बल्कि रूसी और यूरोपीय सिनेमा से भी प्रेरित होकर नई तकनीकें अपनाईं। उन्हें रूसी लेखक फ्योदोर दोस्तोवस्की की कहानियों से भी गहरी प्रेरणा मिली, जिसका उदाहरण उनकी फिल्म 'इडियट' है। उनके लिए हर फ्रेम, हर कैमरा एंगल और हर दृश्य एक नई कहानी की तरह था।


कौल को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं। 1974 में 'दुविधा' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और 1989 में उनकी डॉक्यूमेंट्री 'सिद्धेश्वरी' को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने चार बार फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड भी जीते। उनके करियर में कम बजट में भी बड़ी फिल्में बनाने की कला और नए प्रयोगों के लिए हमेशा सराहना मिली।


मणि कौल का निधन 6 जुलाई 2011 को हरियाणा के गुरुग्राम में हुआ।


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