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भारतीय विज्ञापन जगत का चमकता सितारा पीयूष पांडे अब नहीं रहे

भारतीय विज्ञापन जगत के प्रमुख हस्ताक्षर पीयूष पांडे का निधन 70 वर्ष की आयु में हुआ है, जिससे पूरे देश में शोक की लहर है। उन्होंने विज्ञापनों को आम जनता की भाषा में ढालने का कार्य किया और राजनीतिक संवाद को नई दिशा दी। निर्देशक अशोक पंडित ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि पीयूष पांडे के जाने से एक अनमोल रत्न खो गया है। उनके व्यक्तित्व और कार्यों की गहराई को जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
 
भारतीय विज्ञापन जगत का चमकता सितारा पीयूष पांडे अब नहीं रहे

पीयूष पांडे का निधन: विज्ञापन उद्योग में एक युग का अंत




मुंबई, 25 अक्टूबर। भारतीय विज्ञापन निर्माता पीयूष पांडे का निधन 70 वर्ष की आयु में हुआ है, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।


पीयूष पांडे ने हिंदी विज्ञापनों को आम जनता की भाषा में ढालने का कार्य किया। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में 'अबकी बार मोदी सरकार' जैसे नारों के माध्यम से राजनीतिक संवाद को नई दिशा दी।


इस दुखद अवसर पर, निर्देशक अशोक पंडित ने बातचीत में कहा कि पीयूष पांडे के जाने से विज्ञापन क्षेत्र का एक अनमोल रत्न हमेशा के लिए खो गया है।


उन्होंने कहा, "वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश की सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत किया। उनके लेखन का कोई सानी नहीं था। उन्होंने विज्ञापन उद्योग को एकजुट किया जैसे कोई जादूगर मंच सजाता हो।"


पंडित ने यह भी बताया कि उनका सबसे बड़ा सिद्धांत भारतीय एकता और अखंडता का था, जो भारतीयता की सच्ची पहचान है। उनके सभी विज्ञापन अद्वितीय थे, लेकिन उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे एक बहुत अच्छे इंसान थे। उनके व्यक्तित्व में अहंकार का नामोनिशान नहीं था।


अशोक पंडित ने अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा, "1980 के दशक में, मैंने कई विज्ञापन निर्देशकों की सहायता की थी। उस समय मैंने पीयूष जी के साथ कई स्क्रिप्ट पर काम किया। तब से हमारा रिश्ता बहुत गहरा हो गया। पहली और अंतिम मुलाकात में मैंने उनमें कोई बदलाव नहीं देखा। वह हमेशा आत्मविश्वास देते थे। उनकी मुस्कान में एक सकारात्मकता थी, जो यह दर्शाती थी कि कुछ अच्छा होने वाला है। उनके काम की तुलना करना मेरे लिए संभव नहीं है। उन्होंने जो लिखा है, वह अद्भुत और कालजयी है।"


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