नागपुर: संतरे का शहर और इसकी अद्भुत कहानी
नागपुर: संतरे का शहर
Nagpur Orange History
Nagpur Orange History
Nagpur Orange History: महाराष्ट्र का नागपुर शहर भारत के केंद्र में स्थित है। यह न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी इसका विशेष स्थान है। जब भी नागपुर का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले 'ऑरेंज सिटी' की छवि सामने आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागपुर को संतरे का शहर क्यों कहा जाता है? इसके पीछे क्या ऐतिहासिक और कृषि कारण हैं?
आइए जानते हैं कि नागपुर को ऑरेंज सिटी क्यों कहा जाता है और यह नाम कैसे इसकी पहचान बन गया है।
संतरे की खेती का इतिहास
संतरे की खेती का इतिहास
नागपुर में संतरे की खेती की परंपरा लगभग 200 वर्षों पुरानी है, जो भोसले राजवंश के समय से शुरू हुई। 19वीं सदी में यहां 'नागपुरी संतरा' की पहली किस्म उगाई गई। इस क्षेत्र की काली मिट्टी और सर्दियों में तापमान का अंतर संतरे की खेती के लिए अनुकूल है। यहां की सिंचाई व्यवस्था भी संतरे की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करती है। नागपुर का संतरा अपने मीठे स्वाद और मोटे छिलके के लिए प्रसिद्ध है।
नागपुर संतरा - एक विशेष किस्म
नागपुर संतरा - एक विशेष किस्म
नागपुर का संतरा, जिसे नागपुर मंडरिन भी कहा जाता है, अपने मीठे स्वाद और रसदार गूदे के लिए जाना जाता है। इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इसे ताजे फल के रूप में ही नहीं, बल्कि जूस, जैम और अन्य खाद्य उत्पादों में भी उपयोग किया जाता है। इसकी विशेषता को देखते हुए, नागपुर संतरे को 2014 में भौगोलिक संकेत (GI टैग) से सम्मानित किया गया।
उत्पादन और निर्यात केंद्र के रूप में नागपुर
उत्पादन और निर्यात केंद्र के रूप में नागपुर
नागपुर और उसके आस-पास के जिलों में संतरे की खेती बड़े पैमाने पर होती है, जिससे यह विदर्भ क्षेत्र का प्रमुख संतरा उत्पादक बन गया है। नागपुर जिले में लगभग 40,000 हेक्टेयर में संतरे की खेती होती है। यहां के संतरे न केवल देश के बड़े शहरों में पहुंचते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी उनकी मांग बढ़ रही है। बांग्लादेश, श्रीलंका और खाड़ी देशों में नागपुर संतरे की खासी पहचान बन चुकी है।
संतरा व्यवसाय और अर्थव्यवस्था में योगदान
संतरा व्यवसाय और अर्थव्यवस्था में योगदान
नागपुर का संतरा न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि यह क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। संतरे की खेती से लाखों लोग जुड़े हुए हैं, जिसमें किसान, मजदूर और व्यापारी शामिल हैं। कलमना फल बाजार एशिया के सबसे बड़े फल बाजारों में से एक है, जहां प्रतिदिन हजारों टन संतरे की बिक्री होती है। यह व्यापारिक अवसरों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है।
संतरे से जुड़े त्यौहार और सांस्कृतिक महत्त्व
संतरे से जुड़े त्यौहार और सांस्कृतिक महत्त्व
नागपुर में 'ऑरेंज फेस्टिवल' संतरे से जुड़ी सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक है। यह उत्सव संतरे की विभिन्न प्रजातियों और कृषि तकनीकों का प्रदर्शन करता है। यह किसानों, वैज्ञानिकों और व्यापारियों के लिए एक साझा मंच है, जहां वे अपने अनुभव साझा कर सकते हैं। यह आयोजन स्थानीय गर्व को बढ़ावा देता है और संतरा उत्पादकों को नई प्रेरणा देता है।
सरकारी योजनाएं और शोध
सरकारी योजनाएं और शोध
नागपुर में संतरे की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को आधुनिक तकनीकों और बेहतर बीजों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और एकीकृत बागवानी विकास मिशन जैसी योजनाएं बागवानी क्षेत्र के विकास में सहायक हैं। इसके अलावा, कई शोध संस्थान संतरे की नई किस्मों और कीट-रोग नियंत्रण पर अनुसंधान कर रहे हैं।
संतरे से जुड़ी चुनौतियाँ
संतरे से जुड़ी चुनौतियाँ
नागपुर के संतरा किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कीट और रोग। जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा खतरा है, जो फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किसानों को बाजार मूल्य में असंतुलन और बढ़ती उत्पादन लागत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके समाधान के लिए दीर्घकालिक नीतियों की आवश्यकता है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संतरा उत्पादन
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संतरा उत्पादन
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