जॉन लेनन: संगीत की दुनिया का एक अनमोल सितारा, जिसकी हत्या ने छेड़ी थी शांति की नई धुन
जॉन लेनन का प्रभाव और उनकी विरासत
नई दिल्ली, 7 दिसंबर। जॉन लेनन का नाम केवल संगीत के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि 20वीं सदी के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों में भी महत्वपूर्ण रहा है। 8 दिसंबर 1980 की रात न्यूयॉर्क में उनकी हत्या ने दुनिया को एक अद्वितीय आवाज़ से वंचित कर दिया, जो शांति, प्रेम और विद्रोह का प्रतीक थी।
फिलिप नॉर्मन की किताब 'जॉन लेनन: द लाइफ' में उनके जीवन और प्रभाव का गहराई से वर्णन किया गया है।
लिवरपूल के साधारण परिवेश में जन्मे जॉन की जिंदगी में असुरक्षा और विद्रोह की भावना बचपन से ही थी। नॉर्मन के अनुसार, जॉन की तीखी बुद्धि और संगीत के प्रति उनकी बेचैनी ने उन्हें अन्य ब्रिटिश युवाओं से अलग बना दिया। यही बेचैनी बाद में द बीटल्स के संगीत में झलकी, जिसने युवा पीढ़ी की आवाज़ को प्रस्तुत किया।
द बीटल्स के साथ जॉन की प्रसिद्धि ने उन्हें एक नई पहचान दी, लेकिन यह उनके लिए एक बोझ भी बन गई। उन्होंने अपनी पहचान के संघर्ष को छिपाने की कोशिश की, जबकि उनके गीत जैसे 'हेल्प!' उनकी व्यक्तिगत पीड़ा की गूंज थे।
योको ओनो से मिलने के बाद जॉन की जिंदगी में एक नया मोड़ आया। यह संबंध विवादों से भरा रहा, लेकिन योको ने उन्हें वह स्वतंत्रता दी जिसकी उन्हें तलाश थी। इस समय के दौरान, जॉन ने राजनीति और वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय व्यक्त की। उनका गीत 'गिव पीस अ चांस' एक आंदोलन बन गया, जिसने वियतनाम युद्ध के खिलाफ शांति की नई लहर को जन्म दिया।
1970 के बाद का समय जॉन के लिए आत्मविश्लेषण का था। वे सामान्य जीवन जीने और पिता बनने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन संगीत से दूरी ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी। उनकी वापसी के बाद की रचनाएँ और भी व्यक्तिगत और गहरी थीं।
8 दिसंबर 1980 को, एक सिरफिरे ने जॉन की जिंदगी को समाप्त कर दिया। नॉर्मन ने इसे 'संस्कृति का सामूहिक दिल टूटना' कहा, क्योंकि जॉन केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि एक विचार और उम्मीद का प्रतीक थे।
आज, जॉन लेनन को केवल एक गायक के रूप में नहीं, बल्कि शांति के प्रतीक और आधुनिक पॉप संस्कृति के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक के रूप में देखा जाता है। उनकी आवाज़ आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उनके समय में थी।
.png)