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क्या हैं अंशुल गर्ग की अनोखी मूंछों के पीछे की कहानी? जानें इस फिल्म निर्माता की यात्रा!

अंशुल गर्ग, एक उभरते फिल्म निर्माता और म्यूजिक प्रोड्यूसर, अपनी अनोखी मूंछों के लिए जाने जाते हैं। उनकी पहली फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' बॉक्स ऑफिस पर सफल हो रही है। जानें कैसे उनकी मूंछें उनकी पहचान और राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक बन गई हैं। अंशुल की यात्रा और उनके म्यूजिक प्रोजेक्ट्स के बारे में और जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
 
क्या हैं अंशुल गर्ग की अनोखी मूंछों के पीछे की कहानी? जानें इस फिल्म निर्माता की यात्रा!

अंशुल गर्ग: एक अनोखी पहचान




नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। भारतीय फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जो अपनी मेहनत और रचनात्मकता के चलते विशेष पहचान बनाते हैं। अंशुल गर्ग भी ऐसे ही एक नाम हैं, जिन्होंने म्यूजिक और फिल्म प्रोडक्शन में अपनी छाप छोड़ी है।


उनकी पहली फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है। अंशुल की पहचान उनके काम के साथ-साथ उनकी स्टाइलिश और रॉयल मूंछों से भी होती है, जो उनकी राजस्थानी जड़ों और संस्कृति का गर्व दर्शाती हैं।


अंशुल गर्ग पहले भी कई सफल म्यूजिक प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने 'धीमे धीमे', 'गोवा बीच', 'मुड़ मुड़ के', 'ऐदन ना नाच', और 'कॉफी' जैसे गानों का निर्माण किया है। लेकिन उनके लिए सबसे खास उनकी हैंडलबार मूंछें हैं, जो उनके रॉयल और क्लासी लुक को और बढ़ाती हैं।


अपनी मूंछों के बारे में बात करते हुए, अंशुल ने बताया कि यह स्टाइल उनके बचपन और राजस्थान की यादों से जुड़ा है।


उन्होंने कहा, ''मेरा जन्म राजस्थान के धौलपुर में हुआ और मैंने देखा कि वहां लोग बड़ी और मोटी मूंछें रखते थे। आजकल लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान को भूलते जा रहे हैं और पश्चिमी संस्कृति को अपनाने लगे हैं। इसलिए मैंने अपनी मूंछें रखने का निर्णय लिया, ताकि मैं अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ा रहूं।''


अंशुल ने कहा कि उनकी मूंछें केवल व्यक्तिगत स्टाइल का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि यह उन्हें राजस्थान की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देती हैं। जब वह यात्रा करते हैं, तो लोग उनकी मूंछों को देखकर दंग रह जाते हैं। यह उनके लिए अपने देश और राज्य की संस्कृति को दुनिया के सामने लाने का एक तरीका है।


उन्होंने कहा, ''मैं अंतरराष्ट्रीय म्यूजिक बनाता हूं, जिससे मुझे अक्सर विदेशों में कलाकारों से मिलने का मौका मिलता है। ऐसे में उन्हें पता चलता है कि ये राजस्थानी मूंछें भारत की विशेषताओं में से एक हैं। इससे भारतीय संस्कृति और पहचान का प्रचार होता है।''


म्यूजिक इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले, अंशुल ने दिल्ली में एक रेस्टोरेंट खोला था, जिसे उन्होंने 2015 में स्थापित किया था। वहां उन्होंने कई कलाकारों से मुलाकात की और इसी दौरान उन्हें पंजाबी सिंगर टोनी कक्कड़ से मिलने का अवसर मिला। यह मुलाकात आगे चलकर देसी म्यूजिक फैक्ट्री (डीएमएफ) नामक रिकॉर्ड लेबल की स्थापना का कारण बनी। उनका पहला गाना 'अखियां' था, जिसमें नेहा कक्कड़, टोनी कक्कड़ और बोहेमिया शामिल थे। इस गाने ने उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में पहचान दिलाई।


अंशुल की पहली फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसे मिलाप जावेरी ने निर्देशित किया है। फिल्म में हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा मुख्य भूमिकाओं में हैं।


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