सितारे जमीन पर: आमिर खान की नई फिल्म का गहन विश्लेषण

सितारे जमीन पर का रिव्यू
सितारे जमीन पर का रिव्यू: आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'सितारे जमीन पर' अब सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो चुकी है। 'लाल सिंह चड्ढा' के बाद, आमिर ने इस फिल्म के जरिए बड़े पर्दे पर वापसी की है। यह फिल्म स्पेनिश फिल्म 'चैम्पियन्स' का हिंदी रीमेक है। पहले इस प्रोजेक्ट को आमिर और सलमान खान के साथ बनाने की योजना थी, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई। आमिर ने रिटायरमेंट की बात की थी, लेकिन निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना के विशेष विचारों ने उन्हें इस फिल्म में काम करने के लिए राजी कर लिया। अब, लंबे इंतजार के बाद, यह फिल्म आखिरकार रिलीज हो गई है। यदि आप फिल्म की कहानी के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो इस रिव्यू को पढ़ें।
फिल्म की कहानी
इस फिल्म में आमिर खान ने एक बास्केटबॉल कोच गुलशन अरोड़ा का किरदार निभाया है। कहानी की शुरुआत गुलशन से होती है, जो अपने गुस्से के कारण नौकरी से निलंबित हो जाते हैं। एक शराबी घटना के बाद, उन्हें कोर्ट द्वारा 90 दिनों की सामुदायिक सेवा की सजा मिलती है, जिसमें उन्हें विशेष रूप से सक्षम बच्चों को कोचिंग देनी होती है। शुरुआत में, गुलशन इन बच्चों को गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन धीरे-धीरे वह उनके जज्बे से प्रेरित होकर उन्हें मार्गदर्शन करने लगते हैं।
फिल्म का पहला हाफ
पहले हाफ में, गुलशन के गुस्से, उनकी पत्नी सुनीता (जेनेलिया डिसूजा) के साथ तनाव और उनके अकेलेपन को दर्शाया गया है। हालांकि, इस हिस्से में कहानी कई बार भटकती है, जिससे दर्शक भ्रमित हो सकते हैं। फिर भी, आमिर खान की अदाकारी इस हिस्से को मजबूती प्रदान करती है।
फिल्म का दूसरा हाफ
दूसरे हाफ में, लेखक दिव्य निधी शर्मा ने फिल्म को नई दिशा दी है। यहां विशेष रूप से सक्षम बच्चों की क्षमताओं को बारीकी से दर्शाया गया है। यह हिस्सा दर्शकों के दिल को छू लेता है और गुलशन के अंदर सकारात्मक बदलाव लाता है। ये बच्चे दर्शकों को खुश रहने और जीवन की चुनौतियों को हल्के में लेने की प्रेरणा देते हैं।
कास्टिंग और एक्टिंग
फिल्म की कास्टिंग में सभी कलाकारों की अदाकारी प्रशंसा के योग्य है। अनमोल आहुजा और टेस जोसेफ द्वारा चुने गए 10 सितारे पहली बार कैमरे पर आकर भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। आमिर खान ने गुलशन के दो रूपों को बखूबी निभाया है। जेनेलिया डिसूजा, डॉली अहलूवालिया और बिजेन्द्र काला जैसे कलाकारों ने भी फिल्म में जान डाल दी है।
सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, लुक और बैकग्राउंड स्कोर उत्कृष्ट हैं। हालांकि, शंकर-अहसान-लॉय के गानों में 'तारे जमीं पर' जैसी गहराई नहीं है। अमिताभ भट्टाचार्य के गीत प्रभावशाली हैं, लेकिन थियेटर से बाहर निकलते ही भुला दिए जाते हैं। फिल्म की कहानी अच्छी है, लेकिन गाने दर्शकों को बांध नहीं पाते।
फाइनल वर्डिक्ट
'सितारे जमीन पर' आपको रुलाने के बजाय विशेष रूप से सक्षम बच्चों को समानता का पाठ पढ़ाती है। यह गर्मी की छुट्टियों में देखने के लिए एक पारिवारिक, समझदार और प्रेरणादायक फिल्म है। हम इसे 3.5 स्टार्स देते हैं।