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सावन 2025: जानें शिवा मुट्ठी की पूजा विधि और महत्व

सावन 2025 में भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है शिवा मुट्ठी। यह पूजा विधि भक्तों के लिए सरल और फलदायक मानी जाती है। जानें कि शिवा मुट्ठी में कौन से अनाज शामिल होते हैं, इसे कैसे चढ़ाना है और इसके पीछे का महत्व क्या है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सावन के हर सोमवार को किस प्रकार से अनाज अर्पित करना चाहिए और कब यह करना शुभ माना जाता है।
 
सावन 2025: जानें शिवा मुट्ठी की पूजा विधि और महत्व

सावन 2025: शिवा मुट्ठी का महत्व

Sawan 2025 What is Shiva Muthi (social media)

Sawan 2025 What is Shiva Muthi (social media)

शिवा मुट्ठी की पूजा: सावन का महीना भगवान शिव के प्रति समर्पित होता है। इस पवित्र समय में भक्त विभिन्न तरीकों से शिव की आराधना करते हैं, जिसमें जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और शिवा मुट्ठी प्रमुख हैं। विशेषकर सावन के सोमवार को शिवा मुट्ठी चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और इच्छाएं पूरी होती हैं।


शिवा मुट्ठी क्या है?

शिवा मुट्ठी का उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है। इसमें भक्त एक मुट्ठी अनाज शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यह एक सरल लेकिन अत्यंत फलदायक पूजा विधि मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान शिव को उनका प्रिय अन्न अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।


शिवा मुट्ठी में कौन से अनाज शामिल हैं?

सावन 2025: जानें शिवा मुट्ठी की पूजा विधि और महत्व

शिवा मुट्ठी में पांच प्रकार के अनाज का उपयोग होता है, जो भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं। इनमें अक्षत (साफ-सुथरे चावल), सफेद तिल, खड़ी मूंग, गेहूं या जौ, और सतुआ (चने का सत्तू या सत्तू पाउडर) शामिल हैं। सावन के हर सोमवार को एक-एक अनाज शिवलिंग पर चढ़ाने का नियम है। यह पूजा विधि शिवजी को प्रसन्न करने और पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत शुभ मानी जाती है।


शिवा मुट्ठी चढ़ाने की विधि

सावन के हर सोमवार को शिवलिंग पर विशेष अनाज चढ़ाने का नियम होता है, जिसे शिवा मुट्ठी कहा जाता है। पहले सोमवार को एक मुट्ठी अक्षत, दूसरे सोमवार को सफेद तिल, तीसरे सोमवार को खड़ी मूंग, चौथे सोमवार को गेहूं या जौ और यदि सावन में पांचवां सोमवार हो, तो उस दिन एक मुट्ठी सतुआ (सत्तू) चढ़ाना चाहिए। यह उपाय भगवान शिव को प्रसन्न करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है।


कब चढ़ाएं?

यह अनाज शाम के समय शिवलिंग पर चढ़ाना शुभ माना जाता है। यदि किसी सोमवार आप चढ़ाना भूल जाएं, तो अगला सोमवार भी उपयोग किया जा सकता है।


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