संजीव कुमार: हिंदी सिनेमा के अनमोल सितारे की कहानी
संजीव कुमार का अद्वितीय अभिनय
मुंबई, 5 नवंबर। संजीव कुमार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के उन अदाकारों में से एक थे, जिनका अभिनय हर युग में एक मिसाल बना। उनके चेहरे पर किसी भी भावना को आसानी से समझा जा सकता था।
उन्होंने विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए, जिसमें रोमांटिक हीरो, गंभीर पिता और हास्य पात्र शामिल थे। उनकी अभिनय की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे हर उम्र के किरदार को सहजता से जी लेते थे। कम उम्र में भी उन्होंने बुजुर्ग किरदारों को बेहतरीन तरीके से निभाया।
संजीव कुमार का असली नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था, और उनका जन्म 9 जुलाई 1938 को गुजरात के सूरत में हुआ। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था और उन्होंने बहुत कम उम्र में फिल्मों में करियर बनाने का निर्णय लिया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति साधारण थी, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को सीमित नहीं रखा। किशोरावस्था में ही वे मुंबई आ गए और थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की। इंडियन नेशनल थिएटर से जुड़कर उन्होंने अभिनय की बारीकियों को सीखा। थिएटर के दिनों में उन्हें सभी 'हरीभाई' के नाम से जानते थे। उनकी गहरी अभिनय समझ ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान दिलाई।
उनकी फिल्मी यात्रा 1960 में 'हम हिंदुस्तानी' से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर का छोटा सा रोल निभाया। इसके बाद 1965 में आई फिल्म 'निशान' में उन्हें लीड रोल मिला। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी पहचान बनाई, लेकिन असली सफलता 1970 की फिल्म 'खिलौना' से मिली, जिसमें उन्होंने मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति का किरदार निभाया। दर्शकों ने उनके दर्द को गहराई से महसूस किया।
संजीव कुमार अपने किरदारों को केवल निभाते नहीं थे, बल्कि उन्हें जीते थे। उनकी उम्र से कई गुना बड़े किरदार निभाने की क्षमता ने उन्हें खास बना दिया। उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म 'शोले' थी, जो 1975 में रिलीज हुई। इसमें उन्होंने ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार निभाया, जो गब्बर सिंह से बदला लेने की ठानता है। उस समय उनकी उम्र केवल 37 वर्ष थी, लेकिन उन्होंने बूढ़े व्यक्ति की भूमिका को इतनी सच्चाई से निभाया कि दर्शक भूल गए कि वह उनकी ही उम्र का है।
इसके अलावा, 1974 में आई फिल्म 'नया दिन नई रात' में उन्होंने नौ अलग-अलग किरदार निभाए। हर किरदार की उम्र, स्वभाव और बोली अलग थी। उन्होंने हर रोल को अलग अंदाज में निभाकर साबित किया कि अभिनय उनके लिए केवल पेशा नहीं, बल्कि एक पूजा थी। बाद में इस फिल्म का तमिल रीमेक भी बना, जिसमें कमल हासन ने उनके किरदारों को निभाया। 'मौसम' में उन्होंने एक उम्रदराज डॉक्टर का किरदार निभाया, जबकि 'कोशिश' में वे एक बधिर व्यक्ति बने।
संजीव कुमार ने अपने करियर में 'आंधी', 'दस्तक', 'अंगूर', 'पति, पत्नी और वो', 'नमकीन', 'परिचय', 'सिलसिला' और 'त्रिशूल' जैसी कई यादगार फिल्में दीं। उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया, पहली बार 'दस्तक' (1970) और दूसरी बार 'कोशिश' (1972) के लिए। उन्होंने गुलजार, रमेश सिप्पी और एल. वी. प्रसाद जैसे निर्देशकों के साथ काम किया। गुलजार की फिल्मों 'आंधी' और 'अंगूर' में उनका अभिनय आज भी याद किया जाता है।
1978 के बाद उन्हें दिल से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ा, और 6 नवंबर 1985 को 47 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
.png)