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विजय देवरकोंडा की फिल्म 'किंगडम': एक जासूसी एक्शन ड्रामा की समीक्षा

विजय देवरकोंडा की नई फिल्म 'किंगडम' एक जासूसी एक्शन ड्रामा है, जो 31 जुलाई, 2025 को रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में एक तेलुगु जनजाति की कहानी है जो ब्रिटिश आक्रमणकारियों से लड़ती है। कहानी में पुलिस कांस्टेबल सूर्या अपने खोए हुए भाई की तलाश में श्रीलंका में एक अपराध सिंडिकेट में घुसपैठ करता है। फिल्म की समीक्षा में इसके पहले भाग की उम्मीदें और दूसरे भाग की कमियाँ उजागर की गई हैं। क्या यह फिल्म दर्शकों को प्रभावित कर पाएगी? जानने के लिए पढ़ें पूरी समीक्षा।
 
विजय देवरकोंडा की फिल्म 'किंगडम': एक जासूसी एक्शन ड्रामा की समीक्षा

फिल्म का परिचय

विजय देवरकोंडा की फिल्म 'किंगडम' 31 जुलाई, 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म का निर्देशन गोतम तिन्ननुरी ने किया है, जो 'जर्सी' के लिए जाने जाते हैं। यह एक जासूसी एक्शन ड्रामा है जिसमें सत्या देव और भाग्यश्री बोर्से भी मुख्य भूमिकाओं में हैं।


कहानी का सार

'किंगडम' की कहानी 1920 के दशक में शुरू होती है, जब एक तेलुगु बोलने वाली जनजाति, दिवि, ब्रिटिश आक्रमणकारियों से लड़ रही है। जब उनकी हार का खतरा बढ़ता है, तो उन्हें उम्मीद होती है कि एक उद्धारक उनकी मदद के लिए आएगा।


करीब 70 साल बाद, हम पुलिस कांस्टेबल सूर्या से मिलते हैं, जो अपने खोए हुए भाई की तलाश में है। एक मोड़ पर, उसे श्रीलंका में एक अपराध सिंडिकेट में घुसपैठ करने का काम सौंपा जाता है, जिसका नेतृत्व उसके भाई शिवा कर रहा है।


कहानी का मुख्य आकर्षण यह है कि सूर्या कैसे सिंडिकेट में घुसपैठ करता है, क्या वह अपने भाई को बचा पाता है, और इस मिशन में उसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है।


फिल्म की अच्छाइयाँ

'किंगडम' तेलुगु सिनेमा में एक नई उम्मीद के साथ शुरू होती है। यह एक साहसी प्रयास है जो कई शैलियों को एक ही कहानी में समाहित करता है। पहले भाग में, यह एक जासूसी एक्शन फिल्म लगती है, लेकिन कहानी में गहराई से जाने पर यह पात्रों के लिए भावनाओं और जीवित रहने की भावना को जोड़ने का प्रयास करती है।


विजय देवरकोंडा और सत्या देव की शानदार परफॉर्मेंस फिल्म की मुख्य धारा है। पहले भाग में, कहानी में नायकत्व की झलक देखने को मिलती है, और भावनाएँ गहराई से जुड़ती हैं।


हालांकि, दूसरे भाग में कहानी थोड़ी कमजोर पड़ जाती है, लेकिन कुछ क्षण ऐसे हैं जो दर्शकों को बेहतर की उम्मीद दिलाते हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स और प्री-क्लाइमेक्स शानदार हैं, लेकिन फिर भी यह पूरी तरह से संतोषजनक नहीं है।


फिल्म की कमियाँ

'किंगडम' अपने पहले भाग में उच्च उम्मीदें जगाती है, लेकिन दूसरे भाग में यह एक झटका देती है। लेखन में कई क्लिच हैं, जिससे ऐसा लगता है कि हम पहले ही यह सब देख चुके हैं।


यह फिल्म भी KGF के बाद आई कई फिल्मों की तरह दूसरे भाग की समस्या से ग्रस्त है, जो इसे एक डुअलॉजी बनाने की कोशिश करती है। कुछ अच्छे क्षणों के अलावा, 'किंगडम' हर चीज को खींचती है।


निर्देशक गोतम तिन्ननुरी द्वारा कमजोर कार्यान्वयन के कारण भाग्यश्री बोर्से का किरदार कमजोर हो गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या उन्हें केवल नाम के लिए और प्रचार के लिए शामिल किया गया था।


अभिनय

विजय देवरकोंडा ने 'किंगडम' के साथ अपने हाल के प्रदर्शन में सुधार किया है। उन्होंने अपने किरदार को यथार्थवादी बनाने के लिए काफी मेहनत की है।


सत्या देव ने शिव के रूप में अपनी भूमिका में संतुलन बनाए रखा है, जबकि वेंकटेश वीपी मुख्य प्रतिकूल के रूप में प्रभावी हैं।


फिल्म का निष्कर्ष

'किंगडम' एक बुरी फिल्म नहीं है, लेकिन यह एक महान फिल्म बनने की संभावना को खो चुकी है। यदि आप विजय की बेहतरीन परफॉर्मेंस देखना चाहते हैं, तो इसे सिनेमाघरों में जरूर देखें।


फिल्म का ट्रेलर देखें:


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