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राज बब्बर: एक अभिनेता की कहानी जो राजनीति में भी चमके

राज बब्बर, जो 23 जून 1952 को जन्मे, ने अपने करियर में खलनायक से लेकर नायक तक की भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने न केवल फिल्म उद्योग में बल्कि राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई है। उनकी निजी जिंदगी भी उतार-चढ़ाव से भरी रही है, जिसमें स्मिता पाटिल से विवाह और उनके बेटे प्रतीक की शादी शामिल है। जानें उनके जीवन के बारे में और कैसे उन्होंने हर क्षेत्र में सफलता हासिल की।
 
राज बब्बर: एक अभिनेता की कहानी जो राजनीति में भी चमके

राज बब्बर का जीवन और करियर


मुंबई, 22 जून। 23 जून 1952 को उत्तर प्रदेश के टुंडला में जन्मे राज बब्बर आज 72 वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने अपने करियर में खलनायक से लेकर नायक तक की भूमिकाएं निभाई हैं और राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई है। राज ने न केवल फिल्म उद्योग में, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी है।


राज बब्बर ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से की, जहां उन्होंने अभिनय की बारीकियों को सीखा। उनके जीवन का सफर कई उतार-चढ़ाव और विवादों से भरा रहा।


1977 में उनकी पहली फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' आई, लेकिन असली पहचान उन्हें बी.आर. चोपड़ा की 'इंसाफ का तराजू' से मिली, जिसमें उनके किरदार ने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।


इस नकारात्मक भूमिका ने उन्हें रातोंरात प्रसिद्धि दिलाई। 1980 के दशक में 'प्रेम गीत', 'निकाह', 'उमराव जान', 'आज की आवाज' और 'अगर तुम ना होते' जैसी फिल्मों ने उन्हें एक रोमांटिक और गंभीर अभिनेता के रूप में स्थापित किया।


1981 में 'उमराव जान' में उनके 'फैज अली' के किरदार को आज भी याद किया जाता है। 1990 में सनी देओल के साथ 'घायल' में बड़े भाई की भूमिका ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को फिर से साबित किया। 'बॉडीगार्ड', 'साहब बीवी और गैंगस्टर 2', और 'बुलेट राजा' जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने दिखाया कि वे हर प्रकार के रोल में फिट बैठते हैं।


राज बब्बर की फिल्मोग्राफी में 'रुदाली', 'मजदूर', 'जख्मी औरत', 'वारिस', 'संसार', 'पूनम', 'याराना', 'जीवन धारा', 'झूठी' और 'तेवर' जैसी फिल्में शामिल हैं, जो उनकी अभिनय की गहराई को बखूबी दर्शाती हैं।


उनकी निजी जिंदगी भी चर्चा का विषय रही है। 1975 में उन्होंने थिएटर आर्टिस्ट नादिरा जहीर से विवाह किया, जिनसे उनकी बेटी जूही और बेटा आर्य बब्बर हैं। लेकिन, 1982 में स्मिता पाटिल से मुलाकात के बाद उनका जीवन बदल गया।


राज और स्मिता का रिश्ता उस समय सुर्खियों में आया जब राज पहले से शादीशुदा थे। 1983 में उन्होंने स्मिता से विवाह किया, लेकिन उनके बेटे प्रतीक के जन्म के कुछ ही दिनों बाद स्मिता का निधन हो गया। यह राज के लिए एक बड़ा सदमा था।


राज ने बाद में नादिरा के पास लौटकर परिवार को फिर से जोड़ा। हाल ही में, उनके बेटे प्रतीक ने शादी की, जिसमें उन्होंने अपने पिता को आमंत्रित नहीं किया। उन्होंने बताया कि यह निर्णय उनकी मां स्मिता के घर में शादी होने के कारण लिया गया।


राज बब्बर ने 1989 में राजनीति में कदम रखा और जनता दल में शामिल हुए। बाद में समाजवादी पार्टी में शामिल होकर उन्होंने 1994 में आगरा से लोकसभा चुनाव जीते। उन्होंने 1999 और 2004 में फिरोजाबाद से भी जीत हासिल की। 2008 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद, 2009 में उन्हें फिरोजाबाद सीट से हार का सामना करना पड़ा।


राज की बेटी जूही और बेटा आर्य भी अभिनय में सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें अपने माता-पिता जैसी सफलता नहीं मिली। जूही ने 'रिफ्लेक्शन', 'अय्यारी' और 'फराज' जैसी फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभाईं, जबकि आर्य की पहली फिल्म 'अब के बरस' सफल नहीं रही।


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