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भारत की मुद्रा का अद्भुत सफर: कौड़ी से डिजिटल रुपया तक

इस लेख में भारत की मुद्रा प्रणाली के विकास का विस्तृत वर्णन किया गया है, जिसमें कौड़ी से लेकर डिजिटल रुपया तक के महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। जानें कैसे विभिन्न युगों के सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी कारकों ने भारतीय मुद्रा को प्रभावित किया है। यह लेख न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य की मुद्रा प्रणाली की संभावनाओं पर भी प्रकाश डालता है।
 

भारत में मुद्रा का ऐतिहासिक विकास

भारत की मुद्रा का अद्भुत सफर: कौड़ी से डिजिटल रुपया तक

भारत में मुद्राओं का इतिहास

भारत में मुद्राओं का इतिहास

भारत में मुद्रा का इतिहास: भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास सदियों से समृद्ध रहा है, और इसकी मुद्रा प्रणाली ने समय के साथ कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं। कौड़ी जैसी प्राकृतिक वस्तुओं के आदान-प्रदान से लेकर आज के डिजिटल रुपया और क्रिप्टोकरेंसी तक, भारतीय मुद्रा ने कई बदलावों का सामना किया है। इस यात्रा में विभिन्न युगों के सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी कारकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

यह लेख भारत में मुद्रा के विकास की ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाता है, जिसमें कौड़ी से लेकर डिजिटल करेंसी तक के महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। यह आर्थिक प्रणाली के विकास और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।


प्रारंभिक युग (वस्तु विनिमय प्रणाली)


मुद्रा के चलन से पहले, भारत समेत पूरी दुनिया में वस्तु विनिमय प्रणाली का प्रचलन था। इस प्रणाली में वस्तुओं और सेवाओं का सीधा आदान-प्रदान किया जाता था। उदाहरण के लिए, एक किसान अपनी उपज के बदले बुनकर से कपड़े ले सकता था या एक कुम्हार मिट्टी के बर्तन देकर लोहार से औजार प्राप्त कर सकता था।


वस्तु विनिमय प्रणाली की समस्याएँ


• मूल्य निर्धारण की अस्पष्टता - प्रत्येक वस्तु की सही कीमत तय करना मुश्किल था।


• संग्रहण की समस्या - कई वस्तुएँ नाशवान होती थीं, जिससे उन्हें संचित करना कठिन था।


• बेमेल आवश्यकताएँ - लेन-देन तभी संभव था जब दोनों पक्षों को एक-दूसरे की वस्तु की जरूरत हो।


इन्हीं जटिलताओं के कारण लोगों को एक ऐसी मानक प्रणाली की आवश्यकता महसूस हुई जो लेन-देन को अधिक सुविधाजनक बना सके। यही कारण था कि मुद्रा की अवधारणा अस्तित्व में आई।


भारत में मुद्रा का प्रारंभ (कौड़ी से धातु सिक्कों तक)


भारत में सबसे पहले कौड़ी को मुद्रा के रूप में अपनाया गया। कौड़ियाँ एक प्रकार की समुद्री घोंघा प्रजाति के छोटे और चमकदार खोल होते हैं। ये सुंदर, हल्की, टिकाऊ और आसानी से उपलब्ध थीं, जिससे इनका उपयोग लेन-देन में किया जाने लगा।


हालांकि, जैसे-जैसे व्यापार बढ़ा, कौड़ी की सीमाएँ स्पष्ट होने लगीं:


• हर क्षेत्र में कौड़ी समान रूप से उपलब्ध नहीं थी।


• मूल्य निर्धारण में कठिनाई थी।


• बड़ी मात्रा में लेन-देन करना असुविधाजनक था।


इसलिए, धीरे-धीरे धातु की मुद्राएँ अस्तित्व में आईं।


भारत में संगठित मुद्रा प्रणाली का जन्म (प्राचीन भारतीय सिक्के)


महाजनपद काल- (600 ईसा पूर्व – 300 ईसा पूर्व) - भारत में पहली संगठित मुद्रा प्रणाली महाजनपद काल में देखने को मिली। इस काल में 'पंचमार्क सिक्के' चलन में आए, जो मुख्यतः चाँदी के होते थे और उन पर पंच (मुद्रांकन) किया जाता था। प्रत्येक महाजनपद ने अपने विशिष्ट प्रतीकों के साथ सिक्के जारी किए।


दिल्ली सल्तनत से मुगल काल तक


दिल्ली सल्तनत (1206 – 1526) - दिल्ली सल्तनत के दौरान टंका और दाम नामक सिक्के प्रचलित हुए। इल्तुतमिश को पहला नियमित चाँदी का टंका जारी करने का श्रेय दिया जाता है।


मुगल काल (1526 – 1857) - मुगलों ने भारत की मुद्रा प्रणाली को सुव्यवस्थित और मजबूत बनाया।


• अकबर ने "इलाही सिक्के" चलाए।


• जहाँगीर ने सोने और चाँदी के सिक्कों पर अपनी छवि अंकित करवाई।


ब्रिटिश शासनकाल और आधुनिक भारतीय मुद्रा


• 1861 में, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक से पहले कागजी मुद्रा जारी की।


• इस समय, भारतीय मुद्रा पर ब्रिटिश सम्राटों के चित्र अंकित होते थे।


भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना


• 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई।


• आरबीआई को भारतीय मुद्रा छापने का अधिकार मिला।


स्वतंत्र भारत में मुद्रा प्रणाली


• 1950 में, भारत सरकार ने पहली स्वतंत्र मुद्रा जारी की।


• प्रारंभ में, एक रुपये का सिक्का चाँदी का हुआ करता था।


महात्मा गांधी सीरीज का प्रचलन


• 1996 में महात्मा गांधी की तस्वीर वाले नोट जारी किए गए।


• यह सीरीज आज भी चलन में है और भारतीय नोटों की पहचान बन चुकी है।


डिजिटल युग और भविष्य की मुद्रा


• 2016 में नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान का प्रसार हुआ।


• यूपीआई, पेटीएम, गूगल-पे, फोन-पे जैसे प्लेटफॉर्म लोकप्रिय हुए।


2022 में लॉन्च हुआ डिजिटल रुपया


• भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिजिटल रुपया लॉन्च किया।


• यह भारत की पहली आधिकारिक डिजिटल करेंसी है।


मुद्रा का भविष्य और भारत की आर्थिक यात्रा


भारत की मुद्रा प्रणाली ने कौड़ी से लेकर डिजिटल करेंसी तक का एक अद्भुत और ऐतिहासिक सफर तय किया है। समय के साथ, मुद्रा ने सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों को अपनाया और व्यापार को सुगम बनाया।


आने वाले वर्षों में, भारत ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्रिप्टोकरेंसी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित वित्तीय प्रणाली की ओर बढ़ सकता है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी और लेन-देन और अधिक सुरक्षित, तेज़ और पारदर्शी होगा।


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