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क्या है निमिषा प्रिया का मामला? जानें एक भारतीय नर्स की फांसी टालने की कोशिशों की कहानी

निमिषा प्रिया, एक भारतीय नर्स, को यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। उनके मामले ने मानवता, कूटनीति और कानून के बीच एक जटिल संघर्ष को जन्म दिया है। भारतीय सरकार और सामाजिक कार्यकर्ता उनकी जान बचाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन यमन के कठोर शरिया कानून और पीड़ित परिवार से संपर्क की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और क्यों पूरा देश निमिषा की फांसी टालने के लिए एकजुट हो रहा है।
 
क्या है निमिषा प्रिया का मामला? जानें एक भारतीय नर्स की फांसी टालने की कोशिशों की कहानी

निमिषा प्रिया केस: एक नर्स की दास्तान

Nimisha Priya Case (Image Credit-Social Media)

Nimisha Priya Case (Image Credit-Social Media)

Nimisha Priya Case: 16 जुलाई 2025, यह तारीख केरल की नर्स निमिषा प्रिया के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आई है। यमन की जेल में पिछले सात वर्षों से बंद निमिषा को एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी को नशीला इंजेक्शन देकर मार डाला और फिर शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में छिपा दिया। यमन की ट्रायल कोर्ट, सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल और राष्ट्रपति ने इस फैसले को बरकरार रखा है, जिससे उनके बचने की उम्मीदें लगभग समाप्त हो गई हैं।


कानूनी और मानवीय संघर्ष

यह मामला अब केवल कानूनी नहीं, बल्कि मानवता, कूटनीति और संवेदनाओं की लड़ाई बन चुका है। भारतीय सरकार, सामाजिक कार्यकर्ता और निमिषा की माँ ने उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। लेकिन यमन के कठोर शरिया कानून और पीड़ित परिवार द्वारा ‘ब्लड मनी’ ठुकराए जाने ने सारी उम्मीदों को लगभग खत्म कर दिया है।


निमिषा प्रिया का परिचय

कौन हैं निमिषा प्रिया?

क्या है निमिषा प्रिया का मामला? जानें एक भारतीय नर्स की फांसी टालने की कोशिशों की कहानी

निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की एक प्रशिक्षित नर्स हैं, जिन्होंने भारत में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद यमन में बेहतर रोजगार की तलाश में कदम रखा। वहां उन्होंने नर्स के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे एक छोटा मेडिकल क्लिनिक भी खोला। लेकिन उनकी सफलता की कहानी एक हत्या के मामले में उलझने के बाद एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई।


निमिषा प्रिया की पारिवारिक पृष्ठभूमि

निमिषा प्रिया की पारिवारिक और पेशेवर यात्रा

निमिषा प्रिया (37) एक साधारण परिवार से हैं। 2008 में यमन जाने का निर्णय लेकर उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास किया। वहां एक अस्पताल में नर्स के रूप में काम किया। 2011 में भारत लौटकर उन्होंने टॉमी थॉमस से विवाह किया, जो एक ऑटो ड्राइवर थे। शादी के बाद दोनों यमन लौट गए, लेकिन 2014 में गृहयुद्ध के कारण टॉमी अपनी बेटी को लेकर भारत वापस लौट आए। निमिषा ने अकेले यमन में रुकने का निर्णय लिया, जिससे उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया।


मामले का विवरण

क्या है पूरा मामला?

क्या है निमिषा प्रिया का मामला? जानें एक भारतीय नर्स की फांसी टालने की कोशिशों की कहानी

यमन में अपने भविष्य को संवारने के प्रयास में निमिषा ने एक मेडिकल क्लिनिक खोलने का निर्णय लिया। यमन के कानून के अनुसार, विदेशी नागरिक को स्थानीय नागरिक के साथ साझेदारी करनी होती है। इसलिए उन्होंने तलाल अब्दो महदी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाया। शुरुआत में सब कुछ ठीक रहा, लेकिन महदी का व्यवहार बदल गया। निमिषा की मां और वकील के अनुसार, महदी ने न केवल पैसे पर हक जताया, बल्कि उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया। जब निमिषा ने पुलिस में शिकायत की, तो उन्हें उल्टा जेल में डाल दिया गया। बाद में, निमिषा ने महदी को नींद की दवा देकर बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास महदी की मृत्यु का कारण बन गया। उनकी गिरफ्तारी ने मामले को और गंभीर बना दिया।


भारत सरकार की भूमिका

कानूनी लड़ाई और भारत सरकार की भूमिका

भारत और केरल सरकार ने निमिषा को बचाने के लिए मानवीय आधार पर प्रयास किए हैं। विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास ने उनकी सजा को कम करने के लिए कई स्तरों पर हस्तक्षेप किया है। निमिषा की माँ ने भी भावनात्मक अपील की है कि ब्लड मनी की व्यवस्था की जाए। लेकिन यमन के युद्धग्रस्त हालातों के कारण पीड़ित परिवार से संपर्क स्थापित करना मुश्किल हो रहा है।


समर्थन और आंदोलन

जनता और मानवाधिकार संगठनों का समर्थन

क्या है निमिषा प्रिया का मामला? जानें एक भारतीय नर्स की फांसी टालने की कोशिशों की कहानी

निमिषा को फांसी से बचाने के लिए देशभर में #SaveNimishaPriya नाम से एक आंदोलन शुरू हुआ है। प्रवासी भारतीयों, विशेषकर खाड़ी देशों में बसे केरलवासियों ने इस अभियान को समर्थन दिया है। हजारों लोगों ने ऑनलाइन याचिकाओं पर हस्ताक्षर कर भारत सरकार से अपील की है कि मानवीय आधार पर निमिषा की जान बचाई जाए।


ब्लड मनी का महत्व

क्या है 'ब्लड मनी' (दिया) और इससे उम्मीद क्यों?

यमन में शरीयत कानून के तहत 'ब्लड मनी' की व्यवस्था है, जिसमें पीड़ित परिवार आरोपी को माफ कर सकता है। निमिषा के मामले में यही एकमात्र विकल्प है जिससे उनकी जान बच सकती है। इस उद्देश्य से 'Nimisha Priya Action Council' ने ब्लड मनी इकट्ठा करने के लिए एक फंडरेजिंग अभियान शुरू किया है।


निमिषा का भविष्य

क्या होगा निमिषा का फैसला?

निमिषा को बचाने की सबसे बड़ी चुनौती यमन की अस्थिर राजनीतिक स्थिति है। भारतीय दूतावास की पहुँच सीमित है और पीड़ित परिवार से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है। यदि निकट भविष्य में कोई समाधान नहीं निकला, तो निमिषा को फांसी दी जा सकती है। न्यायिक स्तर पर भी राहत मिलने की संभावना कम है।


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