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क्या कबाड़ में छिपी थी करोड़ों की पेंटिंग? जानें इस अनोखी कहानी के बारे में!

क्या आपने कभी सोचा है कि कबाड़ में छिपी कोई वस्तु करोड़ों की हो सकती है? अमेरिका के कनेक्टिकट में एक घर की अटारी से मिली 17वीं सदी की पेंटिंग ने सबको चौंका दिया। इस पेंटिंग की पहचान और नीलामी की कहानी जानें, जिसमें कला, इतिहास और भाग्य का अनोखा संगम है। जानें कैसे एक पुरानी पेंटिंग ने एक कलेक्टर के लिए खजाना साबित किया और कला प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बन गई।
 
क्या कबाड़ में छिपी थी करोड़ों की पेंटिंग? जानें इस अनोखी कहानी के बारे में!

कबाड़घर में छिपा खजाना

Most Expensive Painting

Most Expensive Painting

कबाड़घर में छिपा खजाना: हर घर में एक ऐसा कोना होता है जिसे हम 'कबाड़घर' या 'स्टोररूम' कहते हैं। यहां पुराने अखबार, जंग लगे बर्तन, बेकार फोटो फ्रेम और टूटे फर्नीचर का ढेर होता है। समय के साथ इन वस्तुओं पर धूल की मोटी परत जम जाती है और एक दिन इन्हें कबाड़ी के हवाले कर दिया जाता है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि इसी धूल के नीचे कोई ऐतिहासिक धरोहर छिपी हो? ऐसा ही एक अद्भुत मामला अमेरिका के कनेक्टिकट में सामने आया है, जहां एक घर की अटारी से 17वीं सदी की एक अनमोल पेंटिंग मिली। यह पेंटिंग इतनी दुर्लभ थी कि इसकी पहचान करना भी मुश्किल था और नीलामी में यह 60 करोड़ रुपये में बिकी। इस पेंटिंग ने उसके मालिक के लिए एक खजाना साबित किया। आइए जानते हैं इस अनोखी पेंटिंग की कहानी के बारे में।


फ्रैंस पोस्ट की अद्भुत कृति

यह पेंटिंग फ्रैंस पोस्ट (Frans Post) द्वारा 1666 में बनाई गई थी। फ्रैंस पोस्ट डच स्वर्ण युग के एक प्रमुख चित्रकार माने जाते हैं।

क्या कबाड़ में छिपी थी करोड़ों की पेंटिंग? जानें इस अनोखी कहानी के बारे में!

वह पहले यूरोपीय कलाकारों में से थे जिन्होंने दक्षिण अमेरिका, विशेषकर ब्राजील के दृश्यों को यूरोपीय शैली में चित्रित किया।


औपनिवेशिक दृष्टिकोण

फ्रैंस पोस्ट की पेंटिंग्स में एक दिलचस्प ऐतिहासिक विमर्श भी है। वे अपने चित्रों में जिस ब्राजील को दर्शाते हैं, वह अक्सर औपनिवेशिक दृष्टिकोण से देखा गया था। उनकी रचनाएं केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं थीं, बल्कि इनमें प्राकृतिक और सामाजिक यथार्थ की जटिलताएं भी दिखाई देती थीं। इस पेंटिंग में एक गिरजाघर के खंडहर के पास काम करते गुलाम दिखते हैं, जो धर्म, उपनिवेशवाद और मानव पीड़ा की परतों को उजागर करता है।

इस पेंटिंग की कीमत 60 करोड़ रुपये अपने आप में चौंकाने वाली है, लेकिन कला का मूल्य केवल आर्थिक नहीं होता। यह पेंटिंग उस युग की संस्कृति, भूगोल, राजनीति और समाज का दर्पण है।


कबाड़ से खजाना: अन्य घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब कबाड़ में छिपी करोड़ों की वस्तु मिली हो। 2013 में एक ब्रिटिश परिवार को अपने लिविंग रूम में एक चीनी फूलदान मिला, जिसकी नीलामी 6 करोड़ से अधिक में हुई।

इटली में एक गेराज की दीवार में छिपी कारवागियो की पेंटिंग मिली थी। भारत में भी कई मंदिरों और घरों से दुर्लभ मूर्तियां मिली हैं। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि विरासत केवल संग्रहालयों में नहीं होती, बल्कि हमारे चारों ओर बिखरी होती है।


डच ब्राजील और फ्रैंस पोस्ट का संबंध

17वीं सदी में नीदरलैंड ने दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में उपनिवेश बनाए थे, जिन्हें डच ब्राजील कहा जाता था। फ्रैंस पोस्ट डच गवर्नर जोहान मौरिट्स के साथ ब्राजील गए थे और वहां रहकर लगभग 8 वर्षों तक प्राकृतिक दृश्यों और स्थानीय जीवन को चित्रित किया। उनकी ज्ञात ब्राज़ीली पेंटिंग्स की संख्या मात्र सात है, जिससे इस पेंटिंग का महत्व और बढ़ जाता है।


कबाड़ से कलेक्टर की गैलरी तक

1998 में, न्यूयॉर्क स्थित सोथबी नीलामीघर के अध्यक्ष जॉर्ज वाचर ने इस पेंटिंग को पहली बार देखा। वह इतनी खराब हालत में थी कि इसे पहचान पाना भी चुनौतीपूर्ण था। लेकिन वाचर की कला में गहरी समझ ने उन्हें यह आभास दिलाया कि वे किसी अद्भुत चीज़ के सामने खड़े हैं। उन्होंने इसे 18 करोड़ रुपये में खरीदा।


धूल के नीचे छिपी कला का संरक्षण

इसके बाद यह पेंटिंग न्यूयॉर्क की कला संरक्षण विशेषज्ञ नैन्सी क्रेग के पास भेजी गई। उन्होंने महीनों तक इस पर काम किया और धीरे-धीरे कैनवास पर जमी कालिख हटाई। अंततः एक दृश्य उभरने लगा, जिसमें नीला आकाश, खंडहर हुआ चर्च, और श्रम करते मानव चेहरे स्पष्ट हो गए।


नीलामी में 60 करोड़ की बिक्री

25 साल बाद जब इस पेंटिंग की असली पहचान और सुंदरता सामने आ गई, सोथबी ने इसकी नीलामी की योजना बनाई। यह नीलामी महज दो मिनट में 60 करोड़ रुपये में बिकी। यह कीमत न केवल फ्रैंस पोस्ट की पेंटिंग्स में सबसे ज्यादा थी, बल्कि उस समय की एक अप्रत्याशित दुर्लभ खोज की भी मिसाल बन गई।


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