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क्या आप जानते हैं 28 दिसंबर 1895 को सिनेमा की दुनिया में क्या हुआ था?

28 दिसंबर 1895 को ल्यूमियर ब्रदर्स ने पेरिस में सिनेमा का पहला सशुल्क प्रदर्शन किया, जिसे आधुनिक सिनेमा की शुरुआत माना जाता है। इस दिन की ऐतिहासिकता को समझने के लिए जानें कि कैसे कुछ मिनटों की चलती तस्वीरों ने पूरी दुनिया की कल्पना को बदल दिया। इस लेख में इस महत्वपूर्ण दिन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
 
क्या आप जानते हैं 28 दिसंबर 1895 को सिनेमा की दुनिया में क्या हुआ था?

सिनेमा का ऐतिहासिक आरंभ


नई दिल्ली, 27 दिसंबर। 28 दिसंबर 1895 की शाम पेरिस के लिए एक विशेष दिन था। इसी दिन ल्यूमियर ब्रदर्स—ऑगस्त और लुई—ने पहली बार आम जनता के लिए सशुल्क फिल्म का प्रदर्शन किया। यह महत्वपूर्ण घटना पेरिस के ग्रैंड कैफे के तहखाने में स्थित 'सलोन इंडिएन डु ग्रैंड कैफे' में हुई। इतिहासकार इस दिन को आधुनिक सिनेमा की शुरुआत के रूप में मानते हैं।


ल्यूमियर ब्रदर्स ने इस प्रदर्शन में अपनी अनोखी मशीन सिनेमैटोग्राफ का इस्तेमाल किया, जो कैमरा, फिल्म प्रोसेसर और प्रोजेक्टर का कार्य एक साथ करती थी। उस शाम लगभग 33 दर्शकों ने टिकट खरीदकर छोटे-छोटे चलचित्र देखे, जिनमें सबसे प्रसिद्ध लियोन स्थित ल्यूमियर फैक्ट्री से निकलते श्रमिकों की फिल्म थी। इसे अक्सर पहली मोशन पिक्चर प्रदर्शनों में गिना जाता है। इसके अलावा, ट्रेन के स्टेशन पर आने का दृश्य और रोजमर्रा के जीवन से जुड़े कई छोटे दृश्य भी दिखाए गए, जिन्होंने दर्शकों को चकित कर दिया।


सिनेमा के इतिहास पर लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक “द ऑक्सफोर्ड हिस्ट्री ऑफ वर्ल्ड सिनेमा” में 28 दिसंबर 1895 का उल्लेख मिलता है। इस पुस्तक के अनुसार, यही वह क्षण था जब चलचित्र प्रयोगशाला से निकलकर सार्वजनिक मनोरंजन का साधन बना। इसी तरह, जॉर्ज सादूल की चर्चित किताब “हिस्ट्री जनरल डु सिनेमा” भी इस दिन को सिनेमा के सामाजिक जन्म के रूप में दर्शाती है, जहां फिल्म पहली बार व्यावसायिक और सार्वजनिक अनुभव बनी।


हालांकि ल्यूमियर ब्रदर्स से पहले भी चलती तस्वीरों पर प्रयोग किए जा चुके थे, लेकिन 28 दिसंबर 1895 का प्रदर्शन इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह आम जनता के लिए नियमित टिकट पर आयोजित किया गया था। यही कारण है कि फिल्म इतिहास में इस दिन को मील का पत्थर माना जाता है।


आज, जब सिनेमा डिजिटल तकनीक, वीएफएक्स और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच चुका है, तब भी 28 दिसंबर 1895 की वह शाम हमें याद दिलाती है कि आधुनिक सिनेमा की यात्रा एक छोटे से कैफे के तहखाने से शुरू हुई थी—जहां कुछ मिनटों की चलती तस्वीरों ने पूरी दुनिया की कल्पना को हमेशा के लिए बदल दिया।


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