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क्या आप जानते हैं जादू-टोना और भूत-प्रेत की पढ़ाई करने वाले छात्रों का भविष्य क्या है?

Explore the unique academic paths in witchcraft and ghost science, where students delve into the mysteries of the unknown. Discover the career opportunities available in this fascinating field, including roles in research, writing, and cultural studies. Learn about the contributions of experts who have shaped the academic landscape of these subjects, making them a serious area of study rather than mere superstition. If you're drawn to the unknown and eager to explore these intriguing topics, this article reveals how these courses can open new doors for your future.
 

जादू-टोना और भूत-प्रेत विज्ञान में करियर

क्या आप जानते हैं जादू-टोना और भूत-प्रेत की पढ़ाई करने वाले छात्रों का भविष्य क्या है?

Witchcraft And Ghost Science Courses (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Witchcraft And Ghost Science Courses (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जादू-टोना और भूत-प्रेत विज्ञान में करियर: जब हम विश्वविद्यालयों के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून या व्यवसाय जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रमों का ख्याल आता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ विश्वविद्यालय ऐसे भी हैं, जहां जादू, डायन विद्या, भूत-प्रेत और अज्ञात शक्तियों का अध्ययन किया जाता है? ये पाठ्यक्रम केवल रोमांच के लिए नहीं हैं, बल्कि समाज, संस्कृति, इतिहास और मानव मनोविज्ञान की गहराइयों को समझने के लिए भी बनाए गए हैं। आइए जानते हैं इन पाठ्यक्रमों की विशेषताएँ और इनमें अध्ययन करने वाले छात्रों का भविष्य किस दिशा में जाता है...


1. थॉमस फ्रांसिस यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन (Thomas Francis University)

यह विश्वविद्यालय ओकल्ट स्टडीज, पैराप्सychology और एसेटेरिक ट्रेडिशंस जैसे पाठ्यक्रम प्रदान करता है। ये पाठ्यक्रम प्राचीन सभ्यताओं के जादू-संबंधी विश्वासों और आत्माओं की अवधारणाओं पर आधारित होते हैं।

करियर संभावनाएं

ह्यूमेनिटीज या कल्चरल स्टडीज़ में रिसर्च स्कॉलर

फोकलोर विशेषज्ञ (म्यूजियम और हेरिटेज सेक्टर में)

फिक्शन/हॉरर लेखक या स्क्रिप्ट लेखक

सांस्कृतिक विषयों में सलाहकार


2. एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी, स्कॉटलैंड (The University of Edinburgh)

एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी का स्कूल ऑफ डिविनिटी जादू और धर्म के बीच संबंधों पर शोध करता है। यहाँ के पाठ्यक्रमों में छात्रों को ईसाई धर्म में शैतानी शक्तियों और यूरोपीय लोकधारणाओं का अध्ययन कराया जाता है।

करियर संभावनाएं

धर्मशास्त्र या इतिहास में प्राध्यापक

धार्मिक और परालौकिक विषयों पर लेखक और सार्वजनिक वक्ता

डॉक्यूमेंट्री/मीडिया में कंटेंट विशेषज्ञ

सांस्कृतिक नीति सलाहकार


3. ओस्लो यूनिवर्सिटी, नॉर्वे (University of Oslo)

यह विश्वविद्यालय लोककथाओं और मिथकों का गहन विश्लेषण करता है। Norse Mythology, Folk Magic और Hauntings जैसे विषय छात्रों को सिखाए जाते हैं।

करियर संभावनाएं

पौराणिक कथाओं पर आधारित लेखक/अनुवादक

हेरिटेज टूर गाइड या क्यूरेटर

गेम डिजाइनर (फैंटेसी आधारित)

एंथ्रोपोलॉजिस्ट (मानवविज्ञान विशेषज्ञ)


4. मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट यूनिवर्सिटी, अमेरिका (University of Massachusetts Amherst)

यहाँ का Witchcraft and Magic in the Western Tradition पाठ्यक्रम विशेष रूप से सलेम डायन ट्रायल्स और पश्चिमी संस्कृति में जादू की भूमिका पर केंद्रित है।

करियर संभावनाएं

अकादमिक क्षेत्र में शोधकर्ता या व्याख्याता

क्रिएटिव राइटिंग और फिल्म निर्माण

ऐतिहासिक परामर्शदाता

साइकॉलॉजी और कल्चरल स्टडीज के विशेषज्ञ


5. ओटावा यूनिवर्सिटी, कनाडा (University of Ottawa)

ओटावा यूनिवर्सिटी परालौकिक अनुभवों और मानसिक घटनाओं पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शोध कराती है। Anomalous Psychology और Belief Systems जैसे विषय छात्रों को इस क्षेत्र में गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।

करियर संभावनाएं

साइकोलॉजिस्ट या बिहेवियर रिसर्चर

पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर (साइंटिफिक अप्रोच के साथ)

समाजशास्त्र या मानव व्यवहार पर आधारित NGO वर्क

एडिटर/प्रोड्यूसर (पैरा-साइकोलॉजी शोज़ या पॉडकास्ट्स)


इन पाठ्यक्रमों की मांग क्यों बढ़ रही है?

आज के समय में लोग केवल तथ्यों से नहीं, बल्कि भावनाओं, विश्वासों और अज्ञात की खोज से भी जुड़ना चाहते हैं। मनोरंजन, साहित्य, फिल्म, गेमिंग, मीडिया, और सोशल रिसर्च जैसे क्षेत्रों में इन विषयों के जानकारों की मांग बढ़ रही है। हॉरर और फैंटेसी कंटेंट की वैश्विक लोकप्रियता ने इन पाठ्यक्रमों को और अधिक आकर्षक बना दिया है।


परालौकिकता भी बन सकती है पेशा

जादू-टोना और भूत-प्रेत जैसे विषय अब केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि शिक्षित दृष्टिकोण से पढ़ाए जाने वाले गंभीर अकादमिक विषय हैं। इन पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने वाले छात्र न केवल नई सोच को जन्म देते हैं, बल्कि समाज को उन चीजों से परिचित कराते हैं जिन्हें आज तक केवल डर या रहस्य के नजरिए से देखा गया।


यदि आप भी अज्ञात की ओर खिंचते हैं और रहस्यों की दुनिया में उतरने को तैयार हैं, तो ये पाठ्यक्रम आपके लिए एक नई दिशा खोल सकते हैं।


जादू-टोना और परालौकिक अध्ययन को दिशा देने वाले प्रमुख विशेषज्ञ

1. प्रो. ओवेन डेविस (Owen Davies) – यूनाइटेड किंगडम

विशेषज्ञता: जादू, डायन विश्वास, और पश्चिमी लोकधारणाएं

संबद्ध संस्था: यूनिवर्सिटी ऑफ हर्टफोर्डशायर

प्रमुख पुस्तकें: "Grimoires: A History of Magic Books", "Witchcraft, Magic and Culture 1736–1951"

योगदान: इन्होंने ओकल्ट स्टडीज़ को इतिहास और समाजशास्त्र के साथ जोड़ते हुए इसे मुख्यधारा शिक्षा में स्थापित करने में मदद की।


2. जेफरी जे. कृपल (Jeffrey J. Kripal) – अमेरिका

विशेषज्ञता: धर्म, रहस्यवाद, और सुपरनैचुरल स्टडीज़

संबद्ध संस्था: राइस यूनिवर्सिटी

प्रमुख पुस्तक: "Authors of the Impossible"

योगदान: इन्होंने पैरानॉर्मल घटनाओं को मनोविज्ञान, धर्म और विज्ञान के नजरिए से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।


3. डॉ. सू स्मोली (Dr. Susan Smulyan) – अमेरिका

संबद्ध संस्था: ब्राउन यूनिवर्सिटी

फोकस: पॉप कल्चर में जादू-टोना और भूत-प्रेत की अवधारणाएं

योगदान: पैरानॉर्मल विषयों को मीडिया, फिल्म और समाज में मौजूद मानसिकताओं से जोड़ने का कार्य किया।


4. डॉ. मारग्रेट मरे (Dr. Margaret Murray) – ब्रिटेन

समय: 1863–1963

विशेषज्ञता: प्राचीन धर्म, डायनों का इतिहास

योगदान: इन्होंने "The Witch-Cult in Western Europe" जैसी किताब लिखकर यह विचार दिया कि डायन पूजन एक प्राचीन धर्म था। यह विचार आज विवादित माना जाता है, लेकिन उन्होंने अकादमिक स्तर पर इस विषय को पहली बार गंभीरता से उठाया।


5. टेरेसा मूरहाउस (Theresa Moorehouse)– नॉर्वे

संबद्ध संस्था: ओस्लो यूनिवर्सिटी

फोकस: नॉर्स माइथोलॉजी और फोक मैजिक

योगदान: उन्होंने स्कैंडिनेवियन लोककथाओं में जादू और आत्माओं की भूमिका पर व्यापक शोध किया है।


6. कार्लोस एस. अल्बर्टो (Carlos S. Alberto) – ब्राजील

विशेषज्ञता: अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी ओकल्ट परंपराएं (जैसे कैंडोम्बले, मैकरंबा)

योगदान: इनका काम परंपरागत जादू-टोना पद्धतियों को सांस्कृतिक विरासत के रूप में प्रस्तुत करता है।


भारत में भी रहे हैं कुछ उल्लेखनीय नाम:

1. गीता चड्ढा (Geeta Chadha) – मुंबई विश्वविद्यालय

फोकस: लोकधारणाओं, स्त्रीवाद और डायन प्रथा पर समाजशास्त्रीय अध्ययन

2. नीलिमा भट्टाचार्य (Neelima Bhattacharya) – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस

फोकस: ग्रामीण भारत में टोटकों और भूत-प्रेत विश्वासों का मानव मनोविज्ञान पर प्रभाव।


आज के विज्ञान-प्रधान युग में भी जादू-टोना, भूत-प्रेत और परालौकिक घटनाएं न केवल लोककथाओं और फिल्मों का हिस्सा हैं, बल्कि अब ये विषय विश्व की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में अकादमिक अध्ययन और शोध का महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे जैसी देशों की विश्वविद्यालयें न केवल इन विषयों में डिग्रियां दे रही हैं, बल्कि छात्रों को समाज, संस्कृति, इतिहास, मनोविज्ञान और विज्ञान के नजरिए से इन पर सोचने-समझने का अवसर भी प्रदान कर रही हैं। इन पाठ्यक्रमों से जुड़ने वाले छात्र कई अनोखे करियर विकल्पों की ओर अग्रसर हो रहे हैं जैसे कि पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर, फोरेंसिक साइकॉलॉजिस्ट, कल्चर एंड मीडिया एनालिस्ट, फिक्शन राइटर, म्यूज़ियम या हेरिटेज गाइड, और यहां तक कि यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर या रिसर्चर के रूप में।


जिन विशेषज्ञों ने इन विषयों को सामाजिक कलंक से निकाल कर अकादमिक पहचान दिलाई जैसे ओवेन डेविस, जेफ्री कृपल और मारग्रेट मरे, उनका योगदान अमूल्य है। यह स्पष्ट है कि जादू-टोना और भूत-प्रेत जैसे विषय अब केवल अंधविश्वास नहीं रह गए हैं, बल्कि ये समाज, संस्कृति और मनोविज्ञान को समझने के प्रभावशाली औज़ार बनते जा रहे हैं।


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