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AI टूल 'अप्पू' से बदल रही है भारत की प्रारंभिक शिक्षा का चेहरा!

भारत में प्रारंभिक शिक्षा में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है, जब रॉकेट लर्निंग ने 'अप्पू' नामक AI-आधारित लर्निंग टूल पेश किया है। यह टूल बच्चों को संवादात्मक तरीके से सीखने में मदद करता है, खासकर कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए। अप्पू की विशेषताएँ, जैसे आवाज़ आधारित लर्निंग और संवादात्मक अनुभव, इसे अन्य प्लेटफार्मों से अलग बनाती हैं। गूगल का समर्थन और 2030 तक 50 मिलियन परिवारों तक पहुँचने का लक्ष्य इस पहल को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। जानें इस टूल के बारे में और कैसे यह शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव ला सकता है।
 

भारत में शिक्षा में नया मोड़

भारत में प्रारंभिक शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन, रॉकेट लर्निंग, ने हाल ही में 'अप्पू' नामक एक AI-आधारित लर्निंग टूल पेश किया है, जिसे Google के सहयोग से विकसित किया गया है। यह टूल तीन से छह साल के बच्चों के लिए एक व्यक्तिगत और संवादात्मक सीखने का अनुभव प्रदान करता है, खासकर उन बच्चों के लिए जो कमजोर वर्ग से आते हैं।


अप्पू की विशेषताएँ

रॉकेट लर्निंग के सह-संस्थापक विशाल सुनील और अज़ीज़ गुप्ता के अनुसार, पारंपरिक एडटेक प्लेटफॉर्म अक्सर एक जैसी सामग्री का उपयोग करते हैं, जिससे बच्चों की जिज्ञासा प्रभावित होती है। अप्पू इस समस्या का समाधान करता है, क्योंकि यह बच्चों को संवाद के माध्यम से सीखने में मदद करता है। यदि कोई बच्चा किसी विषय को समझने में कठिनाई महसूस करता है, तो अप्पू उसे नए उदाहरणों और तरीकों से सिखाने का प्रयास करता है।


आवाज आधारित लर्निंग पर ध्यान

भारत में वॉयस नोट्स का उपयोग सबसे अधिक होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, अप्पू को आवाज़-आधारित लर्निंग टूल के रूप में विकसित किया गया है। वर्तमान में यह हिंदी में उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही मराठी, पंजाबी और अन्य 20 भाषाओं में भी लॉन्च किया जाएगा।


AI का मानवीय पहलू

अप्पू को केवल ज्ञान देने वाली मशीन नहीं, बल्कि एक संवादात्मक अनुभव देने वाले ट्यूटर के रूप में विकसित किया गया है। रॉकेट लर्निंग ने इसे बनाने से पहले अच्छे शिक्षकों और देखभालकर्ताओं के तरीकों का अध्ययन किया, ताकि यह बच्चों के लिए सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त और व्यावहारिक हो सके।


गूगल का समर्थन

गूगल के ग्लोबल प्रोग्राम डायरेक्टर एनी लेविन के अनुसार, गूगल उन संस्थाओं का समर्थन करता है जो AI का उपयोग करके बड़े सामाजिक मुद्दों का समाधान कर रही हैं। उन्होंने बताया कि गूगल ने अब तक AI-आधारित सामाजिक परियोजनाओं के लिए $200 मिलियन से अधिक की राशि प्रदान की है।


चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

हालांकि, AI पर अत्यधिक निर्भरता बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इसलिए अप्पू को बच्चों की जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक और बड़ी चुनौती डिजिटल साक्षरता की कमी है। इसे ध्यान में रखते हुए, अप्पू को व्हाट्सएप के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है, ताकि माता-पिता इसे आसानी से उपयोग कर सकें।


50 मिलियन बच्चों तक पहुँचने का लक्ष्य

रॉकेट लर्निंग का उद्देश्य 2030 तक 50 मिलियन परिवारों तक अप्पू को पहुँचाना है। संगठन का मानना है कि यदि AI-आधारित शिक्षा का लाभ केवल एक विशेष वर्ग तक सीमित रहा, तो समाज में AI डिवाइड बढ़ सकता है। इसे रोकने के लिए, वे इसे एक सार्वजनिक डिजिटल संसाधन के रूप में विकसित कर रहे हैं। सरकार के सहयोग से आंगनवाड़ी केंद्रों को प्रारंभिक शिक्षा के मजबूत केंद्र में बदलने की योजना है। AI की मदद से भारत में प्रारंभिक शिक्षा को समावेशी और प्रभावी बनाने की यह एक महत्वपूर्ण पहल है।


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