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क्या है ब्रेन मैपिंग? जानें मनीषा कोइराला के अनुभव से

ब्रेन मैपिंग एक नई तकनीक है जो मस्तिष्क की गतिविधियों को समझने में मदद करती है। मनीषा कोइराला ने इस प्रक्रिया का अनुभव साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे यह तकनीक बिना किसी असहजता के उनके दिमाग के पैटर्न्स को समझने में सहायक रही। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और इसके लाभों के बारे में अधिक जानकारी।
 
क्या है ब्रेन मैपिंग? जानें मनीषा कोइराला के अनुभव से

ब्रेन मैपिंग: एक नई तकनीक


मुंबई, 8 मई। आजकल लोग अपनी भावनाओं को समझने के लिए प्रयासरत हैं। वे जानना चाहते हैं कि गुस्सा, तनाव या उदासी का कारण क्या है। इस संदर्भ में ब्रेन मैपिंग एक उभरती हुई तकनीक बन गई है, जो मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों का स्कैन करके हमारी भावनाओं को समझने में मदद करती है। हाल ही में, प्रसिद्ध अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने इस प्रक्रिया का अनुभव किया और इसे सोशल मीडिया पर साझा किया।


मनीषा ने अपने ब्रेन मैपिंग सेशन की तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए लिखा, "मैंने ब्रेन मैपिंग करवाई और यह एक अद्भुत अनुभव था! मैंने न्यूरोलीप ब्रेन फंक्शन असेसमेंट करवाया, जिसमें बिना किसी व्यक्तिगत सवाल के, मैंने अपने दिमाग के पैटर्न्स के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह प्रक्रिया 30 मिनट तक चली, जिसमें मेरे सिर पर कुछ सेंसर लगाए गए थे, जो मस्तिष्क की तरंगों को पढ़ते थे। इसमें न तो कोई सवाल पूछा गया और न ही कोई असहजता महसूस हुई। यह सब कुछ बहुत आरामदायक और सुरक्षित था। लोगों को अपने भीतर की गहराई को जानने के लिए इसे अवश्य आजमाना चाहिए।"


मनीषा के अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि ब्रेन मैपिंग एक सुरक्षित और सरल तरीका है खुद को समझने का। अब आइए जानते हैं कि ब्रेन मैपिंग वास्तव में क्या है।


ब्रेन मैपिंग एक न्यूरो-साइंस तकनीक है, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियों को मापा जाता है ताकि यह समझा जा सके कि मस्तिष्क के विभिन्न भाग कैसे कार्य करते हैं। यह ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) और एफएमआरआई (फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) जैसी तकनीकों का उपयोग करती है। इससे यह पता चलता है कि मस्तिष्क के किन हिस्सों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


अब सवाल यह है कि ब्रेन मैपिंग कैसे काम करती है। इस प्रक्रिया में मशीनें मस्तिष्क से निकलने वाली इलेक्ट्रिकल तरंगों को रिकॉर्ड करती हैं। ये तरंगें दर्शाती हैं कि मस्तिष्क का कौन-सा हिस्सा सक्रिय है, और इनकी तस्वीरें ली जाती हैं, जिसे स्कैनिंग कहा जाता है।


कंप्यूटर द्वारा स्कैन से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण किया जाता है और एक मैप तैयार किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि आपको गुस्सा क्यों आता है या तनाव क्यों होता है।


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