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क्या आप भी करते हैं इमोशनल ईटिंग? जानें इससे बचने के उपाय!

क्या आप भी तनाव के समय बिना भूख के खाने लगते हैं? यह इमोशनल ईटिंग का संकेत हो सकता है। जानें इसके कारण और इससे बचने के लिए विशेषज्ञों के सुझाव। सही जागरूकता और उपायों से आप इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं।
 

इमोशनल ईटिंग से बचने के टिप्स

इमोशनल ईटिंग से बचने के उपाय: क्या आपने कभी बिना भूख के खाने का अनुभव किया है, खासकर जब आप तनाव में हों? यदि हाँ, तो यह इमोशनल ईटिंग का संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदत हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।


इमोशनल ईटिंग क्या है?


इमोशनल ईटिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति भावनात्मक तनाव—जैसे कि उदासी, अकेलापन, गुस्सा या चिंता—से निपटने के लिए खाने का सहारा लेता है। ऐसे समय में लोग आमतौर पर तले-भुने, मीठे या वसायुक्त खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं।


जबकि शारीरिक भूख धीरे-धीरे आती है और संतोष देती है, इमोशनल भूख अचानक महसूस होती है और खाने के बाद भी संतोष नहीं देती। विशेषज्ञों के अनुसार, यह केवल खाने की आदत नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है जो अस्थायी राहत देती है, लेकिन बाद में ग्लानि और वजन बढ़ने का कारण बन सकती है।


इमोशनल ईटिंग से निपटने के उपाय



  • माइंडफुल ईटिंग अपनाएं: खाने के समय केवल खाने पर ध्यान केंद्रित करें, टीवी या मोबाइल से दूर रहें।

  • भावनाओं की पहचान करें: खुद से पूछें—'क्या मैं सच में भूखा हूँ या सिर्फ तनाव में?'

  • विकल्प खोजें: टहलना, ध्यान करना या किसी करीबी से बात करना बेहतर विकल्प हो सकते हैं।


याद रखें, इमोशनल ईटिंग एक सामान्य समस्या है, लेकिन सही जागरूकता और रणनीति से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।


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