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क्या आपके किचन में गर्म पानी फेंकना है सही? जानें वास्तु के अनुसार!

क्या आप अपने किचन में गर्म पानी डालते हैं? यह जानना जरूरी है कि यह वास्तु के अनुसार सही नहीं है। देवी लक्ष्मी और अन्नपूर्णा के निवास स्थान के रूप में किचन की पवित्रता को बनाए रखना आवश्यक है। गर्म पानी डालने से न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नुकसान होता है, बल्कि यह पाइपलाइन को भी कमजोर कर सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्म पानी डालने के क्या नुकसान हैं और वास्तु के अनुसार क्या करना चाहिए।
 
क्या आपके किचन में गर्म पानी फेंकना है सही? जानें वास्तु के अनुसार!

वास्तु टिप्स: रसोईघर का महत्व

Vastu Tips: हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोईघर को एक पवित्र स्थान और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। देवी अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है और उन्हें रसोई में विशेष सम्मान दिया जाता है। इसीलिए, किचन से जुड़ी कुछ परंपराएं और नियम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि व्यवहारिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।



किचन की नाली में गर्म पानी डालना वर्जित है। यह वास्तु और पारंपरिक मान्यताओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके महत्व को दो दृष्टिकोणों से समझा जा सकता है।


धार्मिक और वास्तु दृष्टिकोण

किचन को देवी लक्ष्मी और अन्नपूर्णा का निवास स्थान माना जाता है। गर्म पानी या तेल जैसी चीज़ों को नाली में डालना, इस स्थान की पवित्रता को नष्ट करने जैसा होता है, जिससे लक्ष्मी जी अप्रसन्न हो सकती हैं और दरिद्रता घर में प्रवेश कर सकती है।


वास्तु शास्त्र के अनुसार, गर्म वस्तुएं सीधे नाली में डालने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो घर के सुख-शांति और समृद्धि को प्रभावित कर सकती है।


व्यावहारिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

गर्म पानी सीधे डालने से नालियों की पाइपलाइन कमजोर हो सकती है, खासकर यदि वे PVC की बनी हों। इससे लीकेज, ब्लॉकेज और अन्य मरम्मत की ज़रूरतें उत्पन्न होती हैं।


जब गर्म पानी या तेल नाली में डालते हैं, तो यह पाइप में जाकर ठंडा होकर जम सकता है, जिससे पाइप क्लॉग हो जाते हैं। यह किचन की सफाई और स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है।


वास्तु अनुसार सुझाव

1- गर्म पानी को थोड़ा ठंडा होने के बाद ही नाली में डालें।


2- किचन को हमेशा साफ और सुव्यवस्थित रखें।


3- रसोई में नियमित रूप से दीपक जलाना शुभ माना गया है।


4- किचन में उत्तर-पूर्व दिशा में पानी का स्रोत (जैसे सिंक) और दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्नि (चूल्हा) रखने की सलाह दी जाती है।


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