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जैविक खेती: क्या है इसके लाभ और चुनौतियाँ?

जैविक खेती एक पारंपरिक और प्राकृतिक कृषि पद्धति है, जो रासायनिक उत्पादों के बजाय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा और स्वस्थ खाद्य उत्पादन को भी बढ़ावा देती है। इस लेख में, हम जैविक खेती के लाभ, सिद्धांत, प्रकार, उद्देश्य, घटक, और चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे भारत में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके भविष्य की संभावनाएँ क्या हैं।
 

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती: क्या है इसके लाभ और चुनौतियाँ?

Organic Farming Benefits 

Organic Farming Benefits 

जैविक खेती के फायदे: जनसंख्या वृद्धि के साथ खाद्य उत्पादन की आवश्यकता भी बढ़ रही है, जिससे कृषि पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इस मांग को पूरा करने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं। जैविक खेती एक स्थायी विकल्प के रूप में उभर रही है, जिसमें रासायनिक उत्पादों के बजाय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा और स्वस्थ जीवनशैली को भी बढ़ावा देती है। वर्तमान में, बढ़ती जागरूकता और सतत विकास की आवश्यकता के चलते, जैविक खेती भविष्य की आवश्यकता बनती जा रही है।


जैविक खेती क्या है?

जैविक खेती: क्या है इसके लाभ और चुनौतियाँ?

जैविक खेती एक पारंपरिक कृषि पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति का उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना, पर्यावरण संतुलन को सुरक्षित रखना और स्वस्थ खाद्य उत्पादन करना है। इसमें गोबर की खाद, हरी खाद, जैविक कीटनाशक, वर्मी कम्पोस्ट और फसल चक्र जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है।


जैविक खेती के सिद्धांत

जैविक खेती के प्रमुख सिद्धांत

मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना - जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों के बजाय प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है।

रासायनिक मुक्त उत्पादन - इस विधि में किसी भी प्रकार के रासायनिक उत्पादों का उपयोग नहीं किया जाता।

पर्यावरण संरक्षण - जैविक खेती जल, वायु और भूमि को प्रदूषित करने वाले तत्वों को कम करती है।

सतत कृषि प्रणाली - यह खेती दीर्घकालिक दृष्टिकोण से की जाती है।

जैव विविधता को बढ़ावा - जैविक खेती में विभिन्न प्रकार की फसलों और स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण को महत्व दिया जाता है।


जैविक खेती के प्रकार

जैविक खेती के प्रकार

जैविक खेती: क्या है इसके लाभ और चुनौतियाँ?
शुद्ध जैविक खेती - इसमें पूरी तरह से प्राकृतिक खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।

एकीकृत जैविक खेती - इसमें जैविक और परंपरागत कृषि तकनीकों का मिश्रण किया जाता है।


जैविक खेती के उद्देश्य

जैविक खेती के उद्देश्य

पर्यावरण संरक्षण - रासायनिक उत्पादों के उपयोग को कम कर जल, मिट्टी और वायु को स्वच्छ रखना।

मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना - प्राकृतिक खाद का उपयोग कर मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखना।

स्वस्थ उत्पादों का उत्पादन - जैविक खाद्य पदार्थों के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान करना।

किसानों की आय में वृद्धि - जैविक उत्पादों की उच्च कीमत मिलने से किसानों की आय में सुधार।

सतत कृषि प्रणाली विकसित करना - कृषि भूमि को दीर्घकालिक रूप से उपजाऊ बनाए रखना।


जैविक खेती के घटक

जैविक खेती के प्रमुख घटक

हरित खाद - इसमें दलहनी फसलें जैसे मूंग, उड़द आदि को खेत में उगाकर मिट्टी में मिलाया जाता है।

जैविक खाद - इसमें गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट, हरी खाद शामिल होती हैं।

फसल चक्र - इसमें एक ही भूमि पर अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।

जैविक कीटनाशक - रासायनिक कीटनाशकों के बजाय जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।

मिश्रित खेती - इसमें एक ही खेत में एक से अधिक फसलें उगाई जाती हैं।

पशुपालन - गाय, भैंस, बकरियों का पालन करने से जैविक खाद मिलती है।


जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती: क्या है इसके लाभ और चुनौतियाँ?

पर्यावरण संरक्षण - जैविक खेती से जल, मिट्टी और वायु की गुणवत्ता बनी रहती है।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक - जैविक उत्पाद रसायन मुक्त होते हैं।

मृदा उर्वरता में वृद्धि - जैविक खाद मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाते हैं।

कम लागत में खेती - जैविक खाद के उपयोग से खेती की लागत में कमी आती है।

बाजार में अधिक मांग - जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है।

लंबे समय तक उपजाऊ मिट्टी - जैविक खेती से मिट्टी की संरचना बनी रहती है।


जैविक खेती की चुनौतियाँ

जैविक खेती की चुनौतियाँ

प्रारंभिक उत्पादन में कमी - जैविक खेती अपनाने के शुरुआती वर्षों में उत्पादन में गिरावट हो सकती है।

बाजार उपलब्धता की समस्या - जैविक उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में कठिनाई हो सकती है।

कीटों और बीमारियों का अधिक खतरा - जैविक खेती में कीटों और रोगों को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

प्रमाणीकरण की जटिलता - जैविक खेती के लिए प्रमाणन प्राप्त करना महंगा हो सकता है।

जागरूकता की कमी - किसानों और उपभोक्ताओं में जैविक खेती के प्रति जागरूकता की कमी हो सकती है।


भारत में जैविक खेती

भारत में जैविक खेती की स्थिति

जैविक खेती: क्या है इसके लाभ और चुनौतियाँ?
भारत में जैविक खेती धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। सिक्किम पहला पूर्ण जैविक राज्य बन चुका है। इसके अलावा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, और कर्नाटक में भी जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जैसे परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NMSOF), जिससे किसानों को जैविक खेती अपनाने में मदद मिल रही है।


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