क्या है दुनिया की सबसे लंबी अंडरवाटर सुरंग? जानें चैनल टनल की अनोखी बातें!
दुनिया की सबसे लंबी अंडरवाटर सुरंग

Duniya Ki Sabse Badi Underwater Surang Undersea Channel Tunnel (Photo - Social Media)
चैनल टनल का परिचय: मानवता ने तकनीकी और इंजीनियरिंग में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। चाहे ऊँचे पहाड़ों पर पुल बनाना हो या समुद्र की गहराइयों में सुरंगें बनाना, हर निर्माण परियोजना हमारे कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। चैनल टनल, जिसे यूरो टनल या "चुन्नेल" भी कहा जाता है, दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी सुरंगों में से एक है। यह सुरंग इंग्लैंड और फ्रांस को जोड़ती है और अंग्रेजी चैनल के नीचे स्थित है। यह इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है और आधुनिक परिवहन परियोजनाओं में से एक है। इस सुरंग के माध्यम से रेल सेवाएँ संचालित होती हैं, जिससे यात्रियों और माल की तेज़ और सुरक्षित आवाजाही संभव होती है।
चैनल टनल का परिचय
चैनल टनल का परिचय

चैनल टनल, जिसे "यूरोटनल" भी कहा जाता है, एक भूमिगत रेल सुरंग है जो इंग्लैंड और फ्रांस को जोड़ती है। यह सुरंग इंग्लैंड के फॉकस्टोन और फ्रांस के कैले के बीच इंग्लिश चैनल के नीचे से गुजरती है। यह दुनिया की सबसे लंबी अंडरवॉटर सुरंगों में से एक है और यूरोप तथा ब्रिटेन के बीच यात्रा और परिवहन का एक महत्वपूर्ण मार्ग है।

इस सुरंग की कुल लंबाई 50.45 किलोमीटर है, जिसमें से 37.9 किलोमीटर समुद्र के नीचे है। यह दुनिया की तीसरी सबसे लंबी रेल सुरंग है, लेकिन समुद्र के नीचे स्थित सबसे लंबी सुरंग है।
इसमें तीन सुरंगें होती हैं:
दो मुख्य रेल सुरंगें - एक सुरंग फ्रांस से ब्रिटेन जाने के लिए और दूसरी ब्रिटेन से फ्रांस जाने के लिए।
बीच की एक सर्विस सुरंग - जो मरम्मत और आपातकालीन सेवाओं के लिए प्रयोग की जाती है।
टनल को उच्चतम सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, ताकि यह किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना से सुरक्षित रह सके।
निर्माण का इतिहास
निर्माण का इतिहास

चैनल टनल का विचार 1802 में फ्रांसीसी इंजीनियर अल्बर्ट मैथ्यू ने पहली बार प्रस्तुत किया था। हालांकि, उस समय की तकनीकी सीमाओं और राजनीतिक कारणों के चलते इस विचार को साकार नहीं किया जा सका। बाद के वर्षों में, कई बार इस योजना पर विचार हुआ, लेकिन सुरक्षा, वित्तीय और भू-राजनीतिक कारणों से इसे अमल में नहीं लाया गया।
अंततः 1988 में, इंग्लैंड और फ्रांस की सरकारों ने इस परियोजना को हरी झंडी दी और निर्माण कार्य शुरू हुआ। यह एक विशाल परियोजना थी, जिसमें हजारों मजदूरों और इंजीनियरों ने भाग लिया। निर्माण कार्य 6 वर्षों तक चला और 1994 को इसे जनता के लिए खोल दिया गया। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 4.65 बिलियन पाउंड थी।
निर्माण की प्रक्रिया
निर्माण की प्रक्रिया

प्रारंभिक योजना और डिज़ाइन - इस टनल की योजना बनाने के लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खुदाई के लिए उपयुक्त मिट्टी उपलब्ध है। चाक पत्थर की परत सबसे बेहतर मानी गई, क्योंकि यह मजबूत होने के साथ-साथ खुदाई के लिए भी अनुकूल थी। ब्रिटेन और फ्रांस की सरकारों ने इस परियोजना के लिए यूरोटनल नामक निजी कंपनी को ठेका दिया, जिसने इस परियोजना को अंजाम दिया।
टनल बोरिंग प्रक्रिया - इस सुरंग के निर्माण के लिए विशाल टनल बोरिंग मशीनों का उपयोग किया गया। इन मशीनों ने समुद्र के नीचे खुदाई करके सुरंग बनाई। दो दिशाओं से खुदाई की गई – एक टीम ब्रिटेन की ओर से और दूसरी टीम फ्रांस की ओर से। धीरे-धीरे दोनों ओर से की गई खुदाई एक-दूसरे से मिलती गई और 1 दिसंबर 1990 को पहली बार दोनों देशों की सुरंगें समुद्र के नीचे आपस में जुड़ गईं।
टनल की संरचना - चैनल टनल तीन मुख्य सुरंगों से मिलकर बनी है – दो रेलवे सुरंगें और एक सेवा सुरंग। प्रत्येक रेलवे सुरंग का व्यास 7.6 मीटर है, जबकि सेवा सुरंग का व्यास 4.8 मीटर है। सेवा सुरंग का उपयोग रखरखाव और आपातकालीन स्थितियों के लिए किया जाता है। टनल की दीवारों को मजबूत बनाने के लिए कंक्रीट और जलरोधक सुरक्षा प्रणाली लगाई गई।
इलेक्ट्रिकल और सेफ्टी सिस्टम - टनल में बिजली से चलने वाली उच्च गति की ट्रेनों के संचालन के लिए उन्नत विद्युत प्रणाली लगाई गई। साथ ही, आग से सुरक्षा, जल निकासी, वेंटिलेशन और आपातकालीन निकासी जैसी आधुनिक तकनीकों को भी जोड़ा गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि टनल सुरक्षित रूप से काम करे, नियमित निरीक्षण और परीक्षण किए गए।
ट्रेनों का परीक्षण और उद्घाटन - निर्माण कार्य पूरा होने के बाद, 1994 में टनल में पहली परीक्षण ट्रेन चलाई गई। यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा, जिसके बाद 6 मई 1994 को ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा मितेराँ ने इस टनल का औपचारिक उद्घाटन किया।
चैनल टनल की विशेषताएँ
चैनल टनल की विशेषताएँ

चैनल टनल की समुद्र के नीचे की लंबाई 37.9 किमी है, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी रेल सुरंग बनाती है।
तेज़ और सुविधाजनक परिवहन - सुरंग के माध्यम से यूरोस्टार और यूरोटनल शटल जैसी हाई-स्पीड रेल सेवाएँ चलती हैं, जो लंदन से पेरिस के बीच यात्रा के समय को केवल 2 घंटे 15 मिनट तक सीमित कर देती हैं।
मजबूत सुरक्षा व्यवस्था - सुरंग में आग और अन्य आपदाओं से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक से लैस सुरक्षा प्रणाली उपलब्ध है।
पर्यावरण अनुकूल - यह सुरंग सड़क और हवाई परिवहन के मुकाबले कम कार्बन उत्सर्जन करती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधनों में से एक है।
यातायात एवं संचालन
यातायात एवं संचालन
इस सुरंग से यूरोस्टार ट्रेनें चलती हैं, जो लगभग 160 किमी/घंटा की गति से चलती हैं।
यात्री ट्रेनें और मालवाहक ट्रेनें दोनों इस मार्ग से गुजरती हैं।
कार और ट्रक परिवहन के लिए विशेष "शटल ट्रेन" सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
इस मार्ग से ब्रिटेन और यूरोप के बीच प्रतिदिन हजारों लोग और टन के हिसाब से माल परिवहन होता है।
चैनल टनल के लाभ
चैनल टनल के लाभ

तेजी और सुविधा - इंग्लैंड और फ्रांस के बीच यात्रा का समय काफी कम हो गया है।
व्यापारिक विकास - यूरोप और ब्रिटेन के बीच व्यापार बढ़ा है।
पर्यावरणीय अनुकूलता - रेल मार्ग हवाई और सड़क मार्ग की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करता है।
पर्यटन को बढ़ावा - अधिक लोग आसानी से यात्रा कर सकते हैं, जिससे पर्यटन क्षेत्र को लाभ हुआ है।
आर्थिक प्रभाव - चैनल टनल के निर्माण से इंग्लैंड और फ्रांस के बीच व्यापार को बढ़ावा मिला। यूरोप में पर्यटन को भी बढ़ावा मिला, क्योंकि यह टनल यात्रियों के लिए एक सुविधाजनक मार्ग प्रदान करती है। सुरंग के संचालन और रखरखाव से हजारों नौकरियाँ उत्पन्न हुईं।
सामाजिक प्रभाव - इंग्लैंड और फ्रांस के बीच यात्रा और व्यापार करना पहले से अधिक आसान हो गया। इस सुरंग ने यूरोप को और अधिक जोड़ने का कार्य किया, जिससे विभिन्न संस्कृतियों के बीच आपसी सहयोग बढ़ा।
चैनल टनल से जुड़ी रोचक बातें
चैनल टनल से जुड़ी रोचक बातें
हर साल करीब 1 करोड़ 40 लाख लोग इस सुरंग के माध्यम से यात्रा करते हैं।
इस सुरंग के निर्माण के दौरान दोनों ओर से खोदाई की गई थी और जब दोनों टीमें मिलीं, तो उनकी गणनाएँ इतनी सटीक थीं कि दोनों सिरों के बीच केवल 358 मिमी (14 इंच) का अंतर था।
यह सुरंग 100 वर्षों तक सुरक्षित रूप से कार्य करने के लिए डिजाइन की गई है।
चुनौतियाँ और समस्याएँ
चुनौतियाँ और समस्याएँ
चैनल टनल की सफलता के बावजूद, इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
निर्माण लागत में वृद्धि - अनुमानित लागत की तुलना में निर्माण की लागत कई गुना अधिक हो गई।
आग की घटनाएँ - 1996, 2008 और 2015 में सुरंग में आग लगने की घटनाएँ हुईं, जिससे सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गईं।
अवैध प्रवासियों की समस्या - सुरंग का उपयोग अवैध प्रवासियों द्वारा इंग्लैंड में प्रवेश करने के लिए किया गया, जिससे सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता पड़ी।