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क्या आपने कभी सोचा है कि कठिनाइयाँ भी हमें सिखाती हैं? एक प्रेरणादायक कहानी

इस प्रेरणादायक कहानी में एक व्यक्ति की यात्रा को दर्शाया गया है, जो तनाव और चिंताओं से जूझ रहा है। उसके बेटे के होमवर्क ने उसे जीवन के असली मूल्यों को समझने में मदद की। जानें कैसे उसने अपनी सोच को बदला और अपने परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिनाइयाँ भी हमें महत्वपूर्ण सबक सिखा सकती हैं।
 

प्रेरणादायक कहानी

क्या आपने कभी सोचा है कि कठिनाइयाँ भी हमें सिखाती हैं? एक प्रेरणादायक कहानी

Motivational Short Story (Image Credit-Social Media)

Motivational Short Story (Image Credit-Social Media)

प्रेरणादायक कहानी: एक व्यक्ति लंबे समय से तनाव में था, जिसके कारण वह चिड़चिड़ा और गुस्से में रहने लगा।

वह हमेशा इस बात से परेशान रहता था कि घर के सभी खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है, और रिश्तेदारों का आना-जाना भी लगातार बना रहता है, जिससे उसे अधिक खर्च करना पड़ता है।

इन चिंताओं के चलते वह अक्सर परेशान रहता था, अपने बच्चों को डांट देता था और पत्नी से भी झगड़ा करता था।

समय बीतता गया।

एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला, "पिताजी, मेरा स्कूल का होमवर्क करवा दीजिए।"

चूंकि वह पहले से ही तनाव में था, उसने बेटे को डांटकर भगा दिया। लेकिन जब उसका गुस्सा शांत हुआ, तो वह बेटे के पास गया। उसने देखा कि बेटा गहरी नींद में सोया हुआ है और उसके हाथ में होमवर्क की कॉपी है।

जब उसने कॉपी को नीचे रखने की कोशिश की, तो उसकी नजर होमवर्क के शीर्षक पर पड़ी।

होमवर्क का शीर्षक था: "वे चीजें जो शुरू में अच्छी नहीं लगतीं, लेकिन बाद में अच्छी होती हैं।"

बच्चे को इस शीर्षक पर एक पैराग्राफ लिखना था, जिसे उसने पूरा कर लिया था। उत्सुकता से उसने पढ़ना शुरू किया। बच्चे ने लिखा था:

"मैं अपने फाइनल एग्जाम का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि शुरू में ये अच्छे नहीं लगते, लेकिन इसके बाद स्कूल की छुट्टियाँ आती हैं।"

"मैं कड़वी दवाइयों का धन्यवाद करता हूँ, जो शुरू में कड़वी लगती हैं, लेकिन मुझे ठीक करती हैं।"

"मैं उस अलार्म घड़ी का धन्यवाद करता हूँ, जो मुझे हर सुबह जगाती है और बताती है कि मैं जीवित हूँ।"

"मैं भगवान का धन्यवाद करता हूँ, जिसने मुझे अच्छे पिता दिए, क्योंकि उनकी डांट मुझे बुरी लगती है, लेकिन वे मुझे खिलौने लाते हैं और मुझे घुमाने ले जाते हैं।"

बच्चे का होमवर्क पढ़ने के बाद, व्यक्ति की सोच में अचानक बदलाव आया। बच्चे की बातें उसके मन में गूंजने लगीं, खासकर अंतिम वाक्य। उसकी नींद उड़ गई। फिर वह शांत होकर बैठा और अपनी परेशानियों पर विचार करने लगा।

"मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है।"

"मुझे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है।"

"मेरे यहाँ रिश्तेदार आते-जाते हैं, इसका मतलब है कि मेरी सामाजिक स्थिति है।"

"मैं ज्यादा खर्च करता हूँ, इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी है।"

"हे भगवान! तेरा धन्यवाद, मुझे तेरी कृपा का एहसास नहीं था।"

इसके बाद उसकी सोच पूरी तरह बदल गई, उसकी सारी चिंताएँ समाप्त हो गईं। वह अपने बेटे के पास गया और उसे गोद में उठाकर उसके माथे को चूमा और ईश्वर का धन्यवाद करने लगा।


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