ओजोन परत: पृथ्वी के जीवन की सुरक्षा का अदृश्य कवच
ओजोन परत का महत्व

Ozone Layer Importance (Photo - Social Media)
ओजोन परत का महत्व: पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित और स्थायी बनाए रखने में प्राकृतिक संसाधनों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इनमें से एक अदृश्य सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करने वाली ओजोन परत (Ozone Layer) का विशेष स्थान है। यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रा-वायलेट किरणों (UV Rays) को अवशोषित कर हमें कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचाती है। हाल के दशकों में मानव गतिविधियों के कारण यह परत क्षतिग्रस्त हो रही है, जिससे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
ओजोन परत क्या है?
ओजोन परत की संरचना

यह परत वायुमंडल के समताप मंडल (Stratosphere) में स्थित होती है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर है। ओजोन गैस (O₃) से बनी यह परत एक तीव्र गंध वाली नीली गैस है, जो तीन ऑक्सीजन अणुओं से मिलकर बनती है।
ओजोन परत की सुरक्षा कैसे करती है?
ओजोन परत का सुरक्षा तंत्र
सूर्य की पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा - सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें (UV Rays) मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होती हैं। ये किरणें त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद, और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। ओजोन परत इन किरणों को अवशोषित करके पृथ्वी की सतह पर उनके पहुँचने से रोकती है।
पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा - ओजोन परत केवल मनुष्यों को ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतुओं और पौधों को भी बचाती है। यदि यह परत न हो, तो सूर्य की UV-B किरणें समुद्री जीवन, विशेषकर प्लवक (Plankton), पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। ये प्लवक समुद्री खाद्य श्रृंखला का आधार होते हैं।
पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता - ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। यह परत एक ढाल की तरह कार्य करती है जो पृथ्वी को अत्यधिक ताप और विकिरण से बचाकर जीवन को स्थिर बनाए रखती है।
जलवायु संतुलन में भूमिका - हालाँकि ओजोन परत का सीधा प्रभाव जलवायु पर नहीं होता, लेकिन यह पृथ्वी के तापमान को संतुलित रखने में मदद करती है। यह सूर्य से आने वाली ऊर्जा का कुछ भाग अवशोषित करती है जिससे वायुमंडल में संतुलन बना रहता है।
कृषि की सुरक्षा - पराबैंगनी किरणें पौधों की वृद्धि पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। ओजोन परत इन किरणों से फसलों को बचाकर कृषि उत्पादन को भी सुरक्षित रखती है।
ओजोन परत के नष्ट होने पर क्या होगा?
ओजोन परत के नष्ट होने के परिणाम
ओजोन परत पृथ्वी के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है, जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोककर मानव, वनस्पति और जीव-जंतुओं को गंभीर नुकसानों से बचाती है। यदि यह परत नष्ट हो जाती है, तो इसके भयानक परिणाम सामने आ सकते हैं। त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसे स्वास्थ्य संबंधी संकट उत्पन्न होंगे। पौधों की वृद्धि बाधित होगी और कृषि उत्पादन में गिरावट आएगी, जिससे खाद्य संकट की स्थिति बन सकती है। समुद्री जीवन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि प्लवक नष्ट हो सकते हैं जो समुद्री जीवों का मुख्य आहार होते हैं। इसके साथ ही, जलवायु असंतुलन, ग्लोबल वॉर्मिंग और प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि होगी। अंततः, यदि ओजोन परत पूरी तरह समाप्त हो जाए, तो पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
ओजोन परत के क्षरण के कारण
ओजोन परत के क्षरण के मुख्य कारण

ओज़ोन परत का क्षरण (Ozone Layer Depletion) एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बनती जा रही है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित है :
क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) - CFCs ऐसे रसायन हैं जो रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, एरोसोल स्प्रे और फोम बनाने वाले उत्पादों में उपयोग होते हैं। जब ये गैसें वातावरण में पहुंचती हैं, तो वे समताप मंडल में जाकर ओज़ोन अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करती हैं और उन्हें नष्ट कर देती हैं। CFCs को ओज़ोन क्षरण का सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
हैलोन गैस (Halons) - यह गैस मुख्यतः अग्निशामक यंत्रों में पाई जाती है। हैलोन गैसों में ब्रोमीन तत्व होता है, जो ओज़ोन को बहुत तेजी से नष्ट करता है।
नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) - यह गैस उर्वरकों, जीवाश्म ईंधनों और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण वातावरण में पहुँचती है। यह भी ओज़ोन परत को कमजोर करने में योगदान देती है।
एरोसोल स्प्रे - परफ्यूम, डिओडोरेंट, हेयर स्प्रे आदि में प्रयुक्त गैसें ओजोन के लिए खतरनाक होती हैं।
मिथाइल ब्रोमाइड (Methyl Bromide) - यह रसायन कीटनाशकों में उपयोग होता है। कृषि क्षेत्रों में इसका अत्यधिक प्रयोग ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाता है।
वायुयानों और रॉकेटों से उत्सर्जन - कुछ उच्च ऊंचाई पर उड़ने वाले जेट और रॉकेट्स से निकलने वाली गैसें सीधे समताप मंडल में जाकर ओज़ोन पर असर डालती हैं।
औद्योगिक प्रदूषण और मानव गतिविधियाँ - विकास के नाम पर बढ़ती औद्योगिक गतिविधियाँ, वाहनों से निकलने वाला धुआँ, और वातावरण में रसायनों का अत्यधिक प्रयोग ओज़ोन परत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
ओजोन परत की स्थिति - एक वैश्विक चिंता
ओजोन परत की वैश्विक स्थिति

1985 में अंटार्कटिका के ऊपर ओज़ोन परत में एक विशाल छेद पाया गया, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया और पर्यावरणीय संकट को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी। इसके दो साल बाद, 1987 में "मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल" नामक एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले रसायनों (Ozone Depleting Substances - ODS) के उपयोग को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना था। यह समझौता ओज़ोन संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और प्रभावशाली कदम साबित हुआ।
नासा (NASA )की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत उठाए गए कदमों के चलते ओज़ोन परत में धीरे-धीरे सकारात्मक सुधार देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि यही प्रयास जारी रहे, तो 2060 तक ओज़ोन परत पूरी तरह से पुनः स्वस्थ हो सकती है। यह दिखाता है कि वैश्विक सहयोग और सही नीतियों के ज़रिए हम पर्यावरण को बचाने की दिशा में ठोस बदलाव ला सकते हैं।
ओजोन परत को कैसे बचाएं?
ओजोन परत की सुरक्षा के उपाय
ओजोन परत को बचाने के लिए हमें व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक स्तर पर मिलकर काम करना होगा। नीचे कुछ व्यावहारिक उपाय दिए गए हैं:
CFCs युक्त उत्पादों से बचें - पुराने फ्रिज, एसी और एयरोसोल उत्पादों से दूरी बनाएं या पर्यावरण-अनुकूल विकल्प चुनें।
E-Waste का सही निपटान करें - इलेक्ट्रॉनिक कचरे का सही तरीके से पुनर्चक्रण सुनिश्चित करें ताकि उसमें से हानिकारक गैसें न निकलें।
जैविक और प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करें - कृषि में रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जगह जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करें।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें - वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का प्रयोग करें।
ऊर्जा की बचत करें - सौर ऊर्जा, LED बल्ब और ऊर्जा कुशल उपकरणों का प्रयोग करें।
प्रशिक्षण और जागरूकता - स्कूलों, कॉलेजों और समाज में ओजोन परत की रक्षा से संबंधित जानकारी और प्रशिक्षण अभियान चलाएं।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण - पेड़ लगाएं और जंगलों की कटाई को रोकें। वनस्पति और हरियाली वातावरण को संतुलित बनाए रखने में मदद करते हैं।
ओजोन परत के संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयास
वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम
ओजोन परत के क्षरण को गंभीरता से लेते हुए दुनिया भर की सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने कई प्रभावशाली कदम उठाए हैं।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol - 1987) - यह ओजोन परत की रक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण और सफल अंतरराष्ट्रीय समझौता माना जाता है। इसे 1987 में 46 देशों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था (अब 198+ देश सदस्य हैं)। इसका उद्देश्य CFCs, हैलोन, कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसे रसायनों के उत्पादन और उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है।
वियना सम्मेलन (Vienna Convention - 1985) - यह ओजोन परत के संरक्षण के लिए पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय ढांचा था। इसका उद्देश्य ओजोन परत से संबंधित वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देना और वैश्विक सहयोग स्थापित करना था।
किगाली संशोधन (Kigali Amendment - 2016) - यह मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किया गया नवीनतम संशोधन है। इस संशोधन के अनुसार, देशों को चरणबद्ध तरीके से HFCs को कम करना है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) - UNEP ओजोन एक्शन प्रोग्राम के माध्यम से विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है ताकि वे ODS के उपयोग को कम कर सकें। यह संगठन सरकारों को नीतिगत सलाह, तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में मदद करता है।
भारत सरकार की पहलें
भारत में ओजोन परत की सुरक्षा के लिए कदम
ODS Rules (Regulation and Control - 2000) - भारत सरकार ने CFCs और अन्य ODS रसायनों के उत्पादन, आयात, निर्यात और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए यह नियम लागू किए।
नेशनल ओजोन यूनिट (NOU) - पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित यह इकाई ओजोन परत की रक्षा से जुड़े कार्यक्रमों और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन का निरीक्षण करती है।
वैकल्पिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा - सरकार ने उद्योगों को CFCs और HFCs के स्थान पर वैकल्पिक पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम - स्कूली बच्चों, उद्योग कर्मियों और आम जनता के बीच ओजोन संरक्षण की जानकारी फैलाने के लिए विभिन्न अभियान और वर्कशॉप आयोजित किए गए।
विश्व ओजोन दिवस
विश्व ओजोन दिवस का महत्व
