क्या है पीएम मोदी के मन की बात में फगुआ चौताल का जादू? जानें भारतीय संस्कृति की अनोखी कहानी!
पीएम मोदी का मन की बात कार्यक्रम: भारतीय संस्कृति का जश्न
नई दिल्ली, 30 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो शो 'मन की बात' के 120वें एपिसोड में लोकगीत 'फगुआ चौताल' का उल्लेख किया। उन्होंने सूरीनाम के 'चौताल' का ऑडियो सुनाते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव विश्वभर में फैल रहा है। पीएम मोदी ने गिरमिटिया मजदूरों को संस्कृति के 'संरक्षक' के रूप में भी संबोधित किया।
इस रेडियो कार्यक्रम के दौरान, पीएम मोदी ने साझा किया कि उन्हें कई संदेश मिलते हैं, जो उन्हें संस्कृति और परंपराओं के बारे में नई जानकारी प्रदान करते हैं।
उन्होंने वाराणसी के अथर्व कपूर, मुंबई के आर्यश लीखा और अत्रेय मान के संदेशों का उल्लेख करते हुए कहा, “इन लोगों ने मेरी हाल की मॉरिशस यात्रा पर अपनी भावनाएं साझा की हैं। उन्होंने बताया कि 'गीत गवई' की प्रस्तुति ने उन्हें बहुत आनंदित किया। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से आए पत्रों में भी ऐसी ही भावनाएं देखने को मिली हैं। मॉरिशस में गीत गवई की अद्भुत प्रस्तुति के दौरान मैंने जो अनुभव किया, वह अविस्मरणीय है।”
गिरमिटिया मजदूरों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “जब हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, तो कोई भी तूफान हमें उखाड़ नहीं सकता। लगभग 200 साल पहले भारत से कई लोग गिरमिटिया मजदूर के रूप में मॉरिशस गए थे। किसी को नहीं पता था कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन समय के साथ उन्होंने वहां अपनी पहचान बनाई और अपनी विरासत को संजोकर रखा। मॉरिशस एक उदाहरण है; पिछले साल जब मैं गुयाना गया था, तो वहां की 'चौताल' प्रस्तुति ने मुझे गहराई से प्रभावित किया।”
पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान एक लोकगीत का ऑडियो सुनाया और कहा, “आप सोच रहे होंगे कि यह हमारे देश से संबंधित है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसका संबंध फिजी से है। यह फिजी का प्रसिद्ध 'फगुआ चौताल' है, जो हर किसी में उत्साह भर देता है।”
उन्होंने आगे बताया, “यह ऑडियो सूरीनाम के 'चौताल' का है। इस कार्यक्रम को टीवी पर देख रहे देशवासियों, सूरीनाम के राष्ट्रपति चान संतोखी जी को इसका आनंद लेते हुए देख सकते हैं। बैठक और गानों की यह परंपरा त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भी बहुत लोकप्रिय है। इन देशों में लोग रामायण का पाठ करते हैं और 'फगुआ' का उत्सव धूमधाम से मनाते हैं। यहां भारतीय त्योहारों का आयोजन भी बड़े उत्साह के साथ किया जाता है, और गाने भोजपुरी, अवधि या मिश्रित भाषाओं में होते हैं, कभी-कभी ब्रज और मैथिली का भी उपयोग होता है। इन देशों में हमारी परंपराओं को संरक्षित करने वाले सभी लोग प्रशंसा के पात्र हैं।”
इसके साथ ही पीएम मोदी ने उन संगठनों का भी जिक्र किया जो भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा, “कई संगठन हैं जो वर्षों से भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। इनमें से एक है 'सिंगापुर इंडियन फाइन आर्ट्स सोसाइटी', जो भारतीय नृत्य, संगीत और संस्कृति को संरक्षित करने में जुटी है। इस संगठन ने अपने 75 साल पूरे किए हैं। इस अवसर पर सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम गेस्ट ऑफ ऑनर थे, जिन्होंने इस संगठन के प्रयासों की सराहना की। मैं इस टीम को शुभकामनाएं देता हूं।”