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भारत की खुफिया एजेंसी R&AW: जानें इसके इतिहास और प्रमुख कार्य

इस लेख में हम भारत की खुफिया एजेंसी R&AW के बारे में जानेंगे, जिसमें इसके इतिहास, प्रमुख कार्य, भर्ती प्रक्रिया और प्रशिक्षण शामिल हैं। R&AW की स्थापना के पीछे के कारण और इसके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण ऑपरेशन्स पर भी चर्चा की जाएगी। जानें कैसे यह एजेंसी भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है और इसके कार्यों का महत्व क्या है।
 

R&AW: भारत की खुफिया एजेंसी का परिचय

भारत की खुफिया एजेंसी R&AW: जानें इसके इतिहास और प्रमुख कार्य

RAW Agent Ke Bare Mein Jankari

RAW Agent Ke Bare Mein Jankari

RAW Agent Ke Bare Mein Jankari: भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW या RAW) देश की बाहरी सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, आतंकवाद का मुकाबला करना, राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना और देश के रणनीतिक हितों की रक्षा करना है। यह एजेंसी पर्दे के पीछे रहकर कार्य करती है और इसके ऑपरेशन पूरी तरह गोपनीय होते हैं।

इस लेख में हम R&AW के इतिहास, इसकी भर्ती प्रक्रिया, कार्यप्रणाली, प्रमुख मिशनों और इसके महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


R&AW का इतिहास (RAW Agent Ka Itihas)

भारत में स्वतंत्रता के बाद खुफिया तंत्र का विकास धीरे-धीरे हुआ। शुरुआत में खुफिया एजेंसी के रूप में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) काम करती थी, जो देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा दोनों के लिए जिम्मेदार थी।

भारत की खुफिया एजेंसी R&AW: जानें इसके इतिहास और प्रमुख कार्य

1962 का भारत-चीन युद्ध और 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

1962 में भारत-चीन युद्ध में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण खुफिया जानकारी की कमी थी। भारतीय सेना को दुश्मन की स्थिति और रणनीतियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं मिल पाई थी।1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी भारत को खुफिया सूचनाओं की कमी के कारण रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ा। इन घटनाओं के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक अलग विदेशी खुफिया एजेंसी बनाने का निर्णय लिया।


1968 में R&AW की स्थापना

21 सितंबर, 1968 को भारत सरकार ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) की स्थापना की। इसके पहले प्रमुख (फाउंडिंग चीफ) रामेश्वर नाथ काओ थे, जिन्होंने R&AW को खुफिया नेटवर्क के रूप में मजबूत बनाया।

भारत की खुफिया एजेंसी R&AW: जानें इसके इतिहास और प्रमुख कार्य

शुरुआत में इस एजेंसी में मात्र 250 कर्मचारी थे। लेकिन धीरे-धीरे इसका आकार और दायरा बढ़ता गया।


R&AW के प्रमुख कार्य और उद्देश्य

R&AW का मुख्य उद्देश्य देश की बाहरी सुरक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारी एकत्रित करना और विदेश नीति को मजबूती प्रदान करना है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

विदेशी खुफिया जानकारी एकत्रित करना: अन्य देशों की सैन्य गतिविधियों, राजनीतिक स्थिति और रणनीतियों पर नजर रखना। आतंकवादी संगठनों और उनके नेटवर्क की जानकारी प्राप्त करना। भारत के खिलाफ किसी भी प्रकार की विदेशी साजिश का पता लगाना।

आतंकवाद से लड़ाई: R&AW पाकिस्तान और अन्य देशों में आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखती है। आतंकवादियों की गतिविधियों का पूर्वानुमान लगाकर उन्हें विफल करना इसका प्रमुख कार्य है।

भारत की खुफिया एजेंसी R&AW: जानें इसके इतिहास और प्रमुख कार्य

सीमा सुरक्षा में योगदान: R&AW सीमावर्ती इलाकों में खुफिया जानकारी एकत्र कर सेना को सतर्क करती है। दुश्मन देश की सेना की रणनीति और गतिविधियों की जानकारी सेना को देती है।

रणनीतिक सूचना एकत्रित करना: R&AW राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य रणनीति और बाहरी खतरों को लेकर सरकार को सतर्क करती है। विदेशों में मौजूद भारतीय समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करना।

साइबर खुफिया: आधुनिक युग में R&AW साइबर स्पेस में भी सक्रिय है। दुश्मन देशों की साइबर गतिविधियों पर नजर रखना और साइबर हमलों को रोकना इसका एक प्रमुख कार्य है।


R&AW की भर्ती प्रक्रिया

R&AW के एजेंटों को गोपनीयता के साथ भर्ती किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होती है और इसमें विभिन्न चरण होते हैं।

1. प्रारंभिक भर्ती प्रक्रिया

R&AW पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के माध्यम से एजेंटों की भर्ती करती थी। लेकिन बाद में इसे स्वतंत्र रूप से भर्ती करने का अधिकार मिल गया। एजेंसी में भर्ती के लिए मुख्य रूप से निम्न स्रोतों से लोग चुने जाते हैं:-

सिविल सेवा अधिकारी: भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) के योग्य अधिकारी R&AW में शामिल किए जाते हैं।

भारत की खुफिया एजेंसी R&AW: जानें इसके इतिहास और प्रमुख कार्य

सशस्त्र बल: भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के अधिकारी भी R&AW में भर्ती किए जाते हैं। वे विदेशी खुफिया अभियानों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कंप्यूटर और साइबर विशेषज्ञ: साइबर खुफिया के लिए कंप्यूटर साइंस, IT और एन्क्रिप्शन के विशेषज्ञों को भी R&AW में शामिल किया जाता है।

2 - R&AW के लिए विशेष परीक्षा

R&AW में भर्ती के लिए ‘कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) परीक्षा’ या ‘ रिक्रूटमेंट टेस्ट फॉर एक्सक्यूटिव्स’ जैसी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और मनोवैज्ञानिक परीक्षण शामिल होते हैं।

3. सुरक्षा और विश्वसनीयता जांच

R&AW के लिए चुने गए अभ्यर्थियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाती है। उनके परिवार, सामाजिक जीवन और वित्तीय स्थिति की भी जांच होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे ब्लैकमेल या विदेशी दबाव का शिकार न हों।


R&AW एजेंटों का प्रशिक्षण

R&AW के एजेंटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे गोपनीयता के साथ काम कर सकें और हर स्थिति में अपनी पहचान छिपा सकें। एजेंटों को नई दिल्ली के गुरुग्राम स्थित प्रशिक्षण केंद्र में प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें फिजिकल ट्रेनिंग, जासूसी तकनीक, क्रिप्टोग्राफी, विदेशी भाषा, नकली पहचान पत्र तैयार करने का प्रशिक्षण आदि दिया जाता है।

एजेंटों को इजरायल की मोसाद, ब्रिटेन की MI6 और अमेरिका की CIA जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें साइबर स्पाइंग, फायर आर्म्स का उपयोग, विस्फोटक निष्क्रिय करना और छद्म पहचान अपनाने का प्रशिक्षण शामिल होता है।


R&AW के प्रमुख ऑपरेशन

R&AW ने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिनमें शामिल हैं:

ऑपरेशन काहूटा (1974): R&AW ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी इकट्ठा की। एजेंसी ने पाकिस्तान की काहूटा प्रयोगशाला से जानकारी प्राप्त की थी।

ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा (1974): भारत के पहले परमाणु परीक्षण को गोपनीय रखने में R&AW की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

श्रीलंका में IPKF मिशन: 1980 के दशक में R&AW ने श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) के ऑपरेशन को गुप्त रूप से समर्थन दिया।


भारत के खुफिया तंत्र में सुधार की आवश्यकता

भारत की विभिन्न खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय और एकीकरण की कमी है। इससे सूचना साझा करने और विश्लेषण में अंतराल और ओवरलैपिंग की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे खुफिया तंत्र कमजोर हो जाता है।

देश के खुफिया तंत्र को अधिक सक्रिय और नीतिगत रूप से प्रभावी बनाने के लिए कोई व्यापक सुधार अभियान नहीं चलाया गया है। आंतरिक और बाहरी सुरक्षा नीतियों के साथ खुफिया प्रणाली का तालमेल कमजोर है।


भारत की खुफिया विफलताएं

भारत को तिब्बत में चीनी सेना की मंशा और क्षमताओं के बारे में पूरी तरह अज्ञानता थी। इस युद्ध में खुफिया तंत्र की गंभीर विफलता उजागर हुई।

1980 के दशक में पंजाब में सिख अलगाववादी आंदोलन तेजी से बढ़ा। ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले स्वर्ण मंदिर में भारी मात्रा में हथियारों का भंडारण हो रहा था। लेकिन खुफिया एजेंसियां इसका सटीक पता नहीं लगा सकीं।

2001 में संसद पर हमला और 2008 में मुंबई का 26/11 आतंकी हमला खुफिया तंत्र की बड़ी विफलताएं थीं। हमलों से पहले मिली चेतावनियों के बावजूद सुरक्षा में लापरवाही हुई।

चेहरे की पहचान, बायोमेट्रिक्स, ड्रोन और घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों जैसी नई तकनीकों के उपयोग से जुड़े कानूनी और नैतिक दुविधाएं उत्पन्न होती हैं। इन तकनीकों के उपयोग में स्पष्ट कानूनी दिशा-निर्देशों का अभाव है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों तथा मानवाधिकारों की रक्षा के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है। खुफिया एजेंसियों को सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है।


R&AW का महत्व

भारत की खुफिया एजेंसी R&AW राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी गोपनीयता, पेशेवर कार्यप्रणाली और कुशल एजेंट भारत की सुरक्षा को मजबूत बनाते हैं। R&AW का इतिहास, भर्ती प्रक्रिया, प्रशिक्षण और सफल ऑपरेशन्स इस बात का प्रमाण हैं कि यह एजेंसी भारत की रक्षा के लिए सतर्कता के साथ कार्य कर रही है।


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