अनुभव सिन्हा की यात्रा: छोटे शहरों में हिंदी सिनेमा के बदलाव की खोज
अनुभव सिन्हा की नई पहल
मुंबई, 31 अक्टूबर। प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने अपनी यात्रा 'चल पिक्चर चले' के तहत उत्तराखंड का दौरा किया है।
इस यात्रा का उद्देश्य छोटे शहरों और गांवों के निवासियों से सीधे संवाद स्थापित करना है, ताकि यह समझा जा सके कि हिंदी सिनेमा में लोग किस प्रकार के बदलाव की अपेक्षा कर रहे हैं।
निर्देशक ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें उन्हें माथे पर तिलक लगवाते हुए देखा जा सकता है, और उन्होंने इसके साथ 'उत्तराखंड' लिखा।
गुरुवार को, उन्होंने यह जानकारी दी कि उनकी यात्रा का अगला पड़ाव देहरादून होगा।
अनुभव सिन्हा का मानना है कि वर्तमान में बॉलीवुड बड़े शहरों की चकाचौंध में खो गया है, इसलिए वे छोटे कस्बों में जाकर आम दर्शकों की राय जानना चाहते हैं।
उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत लखनऊ से की थी, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया। उनका कहना है कि यह यात्रा केवल एक प्रमोशनल टूर नहीं है, बल्कि यह एक सिनेमाई संवाद का माध्यम है, जो मुंबई की चमक-दमक से दूर ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत की आवाज को सुनने का प्रयास है।
अब देहरादून में, वे स्थानीय निवासियों से मिलकर संवाद करेंगे। उनका इरादा है कि हर पड़ाव पर स्थानीय कलाकारों, युवाओं और बुजुर्गों से बातचीत करें, ताकि हिंदी सिनेमा को नई दिशा मिल सके।
अनुभव सिन्हा ने 'मुल्क', 'आर्टिकल 15', और 'थप्पड़' जैसी चर्चित फिल्में बनाई हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंकज पाराशर के साथ सहायक निर्देशक के रूप में की थी।
2001 में फिल्म 'तुम बिन' से निर्देशन में कदम रखा, लेकिन उन्हें पहचान शाहरुख खान और करीना कपूर खान की फिल्म 'रा. वन' से मिली। इसके अलावा, उन्होंने नेटफ्लिक्स सीरीज 'आईसी 814: कंधार प्लेन हाईजैक' (2024) का भी निर्देशन किया है, जो एक वास्तविक घटना पर आधारित है।
.png)