रेडियो के बादशाह अमीन सयानी की जयंती: जानें उनकी अनोखी यात्रा
अमीन सयानी का योगदान
मुंबई, 20 दिसंबर। रेडियो जगत के महानायक अमीन सयानी की जयंती 21 दिसंबर को मनाई जाएगी। उनकी मधुर आवाज और अनोखी शैली, जिसमें उन्होंने 'बहनों और भाइयों' का संबोधन किया, ने लाखों श्रोताओं के दिलों में एक खास स्थान बना लिया। अमीन ने न केवल भारत में, बल्कि पूरे एशिया में अपनी पहचान बनाई।
उनका सबसे प्रसिद्ध कार्यक्रम 'बिनाका गीतमाला' था, जो 1952 से शुरू होकर 42 वर्षों तक चला। यह शो हिंदी फिल्म संगीत की हिट लिस्ट को प्रस्तुत करता था। रेडियो सीलोन (अब श्रीलंका) से प्रसारित होने वाला यह कार्यक्रम इतना लोकप्रिय था कि हर हफ्ते हजारों पत्र आते थे। अमीन ने 50,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों का संचालन किया।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके करियर की शुरुआत 9 साल की उम्र में हुई, जब उनके भाई हमीद सयानी उन्हें ऑल इंडिया रेडियो के बॉम्बे स्टेशन ले गए। 1952 में 'बिनाका गीतमाला' की शुरुआत के साथ ही वह घर-घर में मशहूर हो गए। उनकी आवाज में गर्माहट और श्रोताओं से सीधा संवाद करने की कला ने उन्हें अद्वितीय बना दिया।
अमीन सयानी और किशोर कुमार की दोस्ती भी बहुत प्रसिद्ध थी। दोनों कॉलेज के साथी थे। एक बार अमीन ने बताया कि किशोर का गाना 'गीतमाला' में टॉप पर था और उन्हें एक कॉलेज के कार्यक्रम के लिए बुलाया गया था। जब अमीन स्टूडियो पहुंचे, तो निर्देशक ने कहा कि किशोर ने कहा है कि अमीन के जाने के बाद ही वह शूटिंग के लिए आएंगे।
इस बात से अमीन को बहुत बुरा लगा और उन्होंने किशोर से 18 साल तक बात नहीं की। फिर एक दिन किशोर ने फोन किया कि उनकी फिल्म के लिए इंटरव्यू करना है। अमीन ने मजाक में कहा कि उन्होंने बाहर दो पहलवान खड़े कर दिए हैं, जो किशोर को तब तक नहीं जाने देंगे जब तक वह एक और इंटरव्यू नहीं कर लेते।
इस कार्यक्रम में किशोर ने चार अलग-अलग आवाजें निकालीं - बचपन, जवानी, बुढ़ापे और एक जज की। उन्होंने खुद ही तीनों का इंटरव्यू किया, जो श्रोताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ।
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