राजा हसन: कैसे एक छोटे शहर के लड़के ने बॉलीवुड में बनाई अपनी पहचान?
राजा हसन की प्रेरणादायक यात्रा
मुंबई, 24 दिसंबर। अपनी अनोखी आवाज और गायकी के लिए मशहूर राजा हसन सागर ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। बीकानेर के एक छोटे से शहर से निकलकर बॉलीवुड और टेलीविजन की दुनिया में कदम रखने वाले राजा की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं है। उनकी सफलता का राज है उनका संघर्ष, मेहनत और अपने गुरुओं से मिली शिक्षा।
राजा हसन का जन्म 25 दिसंबर 1982 को राजस्थान के बीकानेर में हुआ। उनका परिवार संगीत से भरा हुआ था, उनके पिता रफीक सागर एक प्रसिद्ध गायक थे, जो भजन और पारंपरिक गीतों में माहिर थे। राजा ने अपने पिता से गायकी की शिक्षा ली और बचपन से ही संगीत में रुचि दिखाई। उन्होंने छोटे बच्चों के कार्यक्रमों और स्थानीय समारोहों में गाना शुरू किया और धीरे-धीरे अपनी कला को निखारा।
राजा का करियर 2007 में टेलीविजन पर शुरू हुआ, जब वह 'सा रे गा मा पा चैलेंज' के फाइनलिस्ट बने। इस शो ने उन्हें लाखों दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य रियलिटी शो में भाग लिया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने 'उस्तादों का उस्ताद', 'एक से बढ़कर एक', 'आईपीएल रॉकस्टार', और 'म्यूजिक का महामुकाबला' जैसे शो में भी भाग लिया।
बॉलीवुड में राजा को पहला बड़ा ब्रेक 2008 में मिला, जब उन्होंने फिल्म 'दे ताली' में गाने का मौका पाया। उनका गाना 'मारी तीतरी' बहुत हिट हुआ। इसके बाद उन्होंने 'दोस्ताना', 'तीस मार खां', 'नो वन किल्ड जेसिका' और 'चलो दिल्ली' जैसी फिल्मों में भी गाने गाए।
राजा हसन ने हिंदी के अलावा बंगाली, तमिल, तेलुगु, मलयालम और गुजराती फिल्मों में भी अपनी आवाज दी है। उनकी आवाज का जादू लोगों के दिलों को छू जाता है।
राजा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें मिर्ची म्यूजिक अवार्ड्स और फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड्स शामिल हैं।
हालांकि राजा हसन मुंबई में रहते हैं, लेकिन वे साल में दो-तीन बार अपने बीकानेर के घर 'सागर हाउस' लौटते हैं। उनकी सादगी और विनम्रता के लिए भी उन्हें जाना जाता है।
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