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पलक मुच्छल: 3800 गरीब बच्चों के दिलों का सहारा, जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी

पलक मुच्छल, बॉलीवुड की प्रसिद्ध गायिका, ने 3800 से अधिक गरीब बच्चों की दिल की सर्जरी करवाई है। वह अपने भाई के साथ मिलकर एक चैरिटेबल फाउंडेशन चलाती हैं, जिसका उद्देश्य बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं में मदद करना है। पलक की प्रेरणादायक कहानी जानें, जिसमें उन्होंने समाज सेवा के लिए अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान किया है। उनके कार्यों के लिए उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी स्थान मिला है।
 
पलक मुच्छल: 3800 गरीब बच्चों के दिलों का सहारा, जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी

पलक मुच्छल का समाज सेवा में योगदान




नई दिल्ली, 2 नवंबर। बॉलीवुड की मशहूर गायिका पलक मुच्छल न केवल अपने गानों के लिए जानी जाती हैं, बल्कि उनकी समाज सेवा की गतिविधियों के लिए भी। वह अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा गरीब बच्चों के स्वास्थ्य पर खर्च करती हैं। अब तक, पलक ने 3800 से अधिक बच्चों की दिल की सर्जरी करवाई है।


उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया पर कई पोस्ट साझा किए हैं, जिससे उनके प्रशंसकों को इस कार्य की जानकारी मिली है।


पलक अपने भाई पलाश के साथ मिलकर 'पलक पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन' का संचालन करती हैं। इस फाउंडेशन के माध्यम से, उन्होंने 3800 से ज्यादा बच्चों की दिल की सर्जरी करवाई है, और अभी भी कई बच्चे सर्जरी के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं।


पलक ने पहले भी एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने लोगों से दान देने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार या कम से कम 100 रुपये दान करें।


जानकारी के अनुसार, पलक अपने स्टेज शो से जो भी कमाई करती हैं, उसे बच्चों की हार्ट सर्जरी में लगाती हैं। उनके पति मिथुन ने इस बात का खुलासा किया है। पलक का मानना है कि पैसे की कमी के कारण कोई भी गरीब बच्चा अपनी जान न गंवाए। कभी-कभी, स्टेज शो से मिली राशि भी पर्याप्त नहीं होती, क्योंकि कई सर्जरी वेटिंग में होती हैं।


पलक ने 2013 में ढाई करोड़ रुपये से अधिक राशि इकट्ठा की और एक साल के भीतर 572 बच्चों की दिल की सर्जरी करवाई। उनके इस सामाजिक कार्य के लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है।


पलक के मन में गरीब बच्चों की मदद करने की भावना तब जागी जब उन्होंने ट्रेन के डब्बे साफ करते हुए गरीब बच्चों को देखा। उस दिन उन्होंने ठान लिया कि वह इन बच्चों के लिए कुछ करेंगी। इससे पहले, 1999 में, उन्होंने कारगिल युद्ध से प्रभावित सैनिक परिवारों की भी मदद की थी।


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