दलाई लामा का उत्तराधिकार: कौन होगा अगला दलाई लामा और कैसे होगा चुनाव?

दलाई लामा का परिचय
Dalai Lama Kaise Bante Hai
Dalai Lama Kaise Bante Hai
दलाई लामा का महत्व: तिब्बती बौद्ध संत दलाई लामा का नाम पिछले कई दशकों से सुना जा रहा है। यह नाम न केवल तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया में शांति, करुणा और मानवता का प्रतीक बन चुका है। 14वें दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो, का जीवन निर्वासन में बीता है, लेकिन उनकी आध्यात्मिक आभा कभी कम नहीं हुई। अब जब वे 90 वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह सवाल फिर से उठता है कि उनके बाद अगला दलाई लामा कौन होगा और उसे कैसे चुना जाएगा। आइए जानते हैं दलाई लामा का इतिहास, भारत से उनका संबंध और भविष्य में उनके उत्तराधिकारी की खोज की दिशा।
दलाई लामा की पहचान
दलाई लामा की भूमिका
दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धार्मिक नेता होते हैं। यह उपाधि गेलुग परंपरा के प्रमुख को दी जाती है। 'दलाई' शब्द मंगोल भाषा से है, जिसका अर्थ 'महासागर' है, और 'लामा' तिब्बती में गुरु या शिक्षक को दर्शाता है। इसका तात्पर्य है कि दलाई लामा एक ऐसा गुरु है जिसकी बुद्धिमत्ता और करुणा महासागर के समान गहरी होती है।
दलाई लामा की परंपरा का आरंभ
इस उपाधि की शुरुआत कैसे हुई?
दलाई लामा की परंपरा की शुरुआत 16वीं सदी में हुई थी। 1578 में मंगोल शासक अल्तान खान ने सोनम ग्यात्सो को 'दलाई लामा' की उपाधि दी। हालांकि, सोनम ग्यात्सो को तीसरे दलाई लामा के रूप में जाना जाता है, उन्हें पहले दलाई लामा के रूप में सम्मानित किया गया क्योंकि उनके पूर्ववर्ती गेंदुन द्रुप और गेंदुन ग्यात्सो को मरणोपरांत दलाई लामा घोषित किया गया था.
वर्तमान दलाई लामा
वर्तमान दलाई लामा: तेनजिन ग्यात्सो
14वें दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के टाक्तसर गांव में हुआ था। उनका असली नाम ल्हामो धोंडुप था। उन्हें 2 वर्ष की आयु में 13वें दलाई लामा के अवतार के रूप में पहचाना गया और 15 साल की उम्र में उन्हें तिब्बत का धार्मिक और राजनीतिक नेता बना दिया गया। 1959 में तिब्बत में चीनी सेना के खिलाफ विद्रोह के बाद, उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी और तब से वे धर्मशाला में रह रहे हैं, जिसे अब 'लिटिल तिब्बत' कहा जाता है.
भारत से संबंध
भारत और दलाई लामा का संबंध
भारत न केवल दलाई लामा का निर्वासित निवास स्थान है, बल्कि यह तिब्बती शरणार्थियों का सबसे बड़ा केंद्र भी है। धर्मशाला में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन कार्यरत है, जो तिब्बती सरकार-इन-एक्जाइल के रूप में कार्य करता है। भारत सरकार ने तिब्बती लोगों को शरण दी और उनके सांस्कृतिक संरक्षण में मदद की है। दलाई लामा ने कई बार भारत को अपना 'आध्यात्मिक घर' कहा है.
अगले दलाई लामा का चुनाव
अगला दलाई लामा कैसे चुना जाता है?
तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार, दलाई लामा पुनर्जन्म लेते हैं। इसका अर्थ है कि उनकी आत्मा मृत्यु के बाद किसी नवजात शिशु में जन्म लेती है। अगला दलाई लामा नियुक्त नहीं किया जाता, बल्कि खोजा जाता है.
खोज की प्रक्रिया
खोज की प्रक्रिया में क्या होता है?
दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज में वरिष्ठ भिक्षु, जैसे गदेन त्रिपा और पंचेन लामा, मृत दलाई लामा के अंतिम संकेतों की जांच करते हैं। इसके अलावा, सपनों और ध्यान का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। भिक्षु ध्यान लगाते हैं और सपनों के माध्यम से संकेत प्राप्त करते हैं.
दलाई लामा से जुड़ी वस्तुओं की पहचान
दलाई लामा से जुड़ी वस्तुओं की पहचान
उत्तराधिकारी की खोज के दौरान संभावित उम्मीदवार बच्चों को दलाई लामा की पिछली वस्तुएं दिखाई जाती हैं। यदि बच्चा उन्हें पहचानता है या उनसे विशेष जुड़ाव दर्शाता है, तो उसे उत्तराधिकारी माना जाता है.
सोने के कलश वाली विधि
सोने के कलश वाली विधि
कुछ मामलों में नामों की चिट्ठियां सोने के कलश में रखी जाती हैं और फिर एक नाम निकालकर अंतिम निर्णय लिया जाता है.
वर्तमान दलाई लामा का चयन
वर्तमान दलाई लामा का चयन कैसे हुआ?
13वें दलाई लामा के निधन के बाद, भिक्षुओं ने उनके शरीर की अवस्था और दिशा को देखकर अनुमान लगाया कि अगला दलाई लामा उत्तर-पूर्व की ओर जन्म लेगा. इसके बाद, भिक्षु ल्हामो ला-त्सो झील पहुंचे और वहां उन्हें 2 वर्षीय ल्हामो धोंडुप नामक बालक मिला, जिसने पवित्र वस्तुओं को पहचान लिया और असाधारण व्यवहार किया. यही बच्चा आगे चलकर तेनजिन ग्यात्सो के नाम से 14वें दलाई लामा बना.
चीन का हस्तक्षेप
चीन का हस्तक्षेप और चुनौतियां
1959 के विद्रोह के बाद, चीन ने तिब्बत पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया और तिब्बती धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप शुरू किया। चीन अब दावा करता है कि वह अगला दलाई लामा नियुक्त करने का अधिकार रखता है.
दो दलाई लामा का विवाद
क्या हो सकता है दो दलाई लामा का विवाद?
यह संभावना जताई जा रही है कि दलाई लामा के निधन के बाद दो अलग-अलग उत्तराधिकारी सामने आएं। एक दलाई लामा तिब्बती परंपरा के अनुसार होगा, जिसे गादेन फोडंग ट्रस्ट और धर्मशाला स्थित प्रशासन चुनेगा, जबकि दूसरा चीन समर्थित होगा, जिसे बीजिंग सरकार अपनी राजनीतिक शक्ति को वैध ठहराने के लिए पेश करेगी.
दलाई लामा का भविष्य
दलाई लामा का भविष्य को लेकर रुख
वर्तमान दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि उनका पुनर्जन्म चीन के बाहर होगा। 2004 में उन्होंने कहा था, 'मेरा जीवन भारत में बीता है, तो तार्किक रूप से पुनर्जन्म भी भारत या किसी अन्य स्वतंत्र देश में होगा.' हाल ही में उनकी किताब 'Voice for the Voiceless' में उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु के बाद ही उत्तराधिकारी की खोज होनी चाहिए और यह प्रक्रिया गादेन फोडंग ट्रस्ट की देखरेख में होगी.
उत्तराधिकारी चुनने की परंपरा
उत्तराधिकारी चुनने की परंपरा और राजनीति का दखल
दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की परंपरा एक गहरी धार्मिक प्रक्रिया है, जिसमें संकेत, अनुभव, पुनर्जन्म की अवधारणा और सामूहिक निर्णय शामिल होते हैं। लेकिन अब यह परंपरा तिब्बती धार्मिक आज़ादी और चीन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बीच एक राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गई है. दलाई लामा ने कहा था, 'अगर यह परंपरा लोगों के लिए उपयोगी नहीं रह गई तो इसे समाप्त कर देना चाहिए.' यह दर्शाता है कि वे परंपरा के साथ-साथ आधुनिक यथार्थ को भी महत्व देते हैं.