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डॉ. डी. रवि कुमार: एक दलित नेता की प्रेरणादायक यात्रा

डॉ. डी. रवि कुमार, तमिलनाडु के मंगनमपट्टू गांव से संसद तक की यात्रा करने वाले एक प्रमुख दलित नेता हैं। उनकी कहानी सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष का प्रतीक है। वे न केवल एक प्रखर विचारक और लेखक हैं, बल्कि संसद में वंचित वर्गों की आवाज भी उठाते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत ने उनकी लोकप्रियता और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। जानें उनके जीवन, शिक्षा, राजनीतिक सफर और सामाजिक योगदान के बारे में।
 
डॉ. डी. रवि कुमार: एक दलित नेता की प्रेरणादायक यात्रा

डॉ. डी. रवि कुमार का परिचय

डॉ. डी. रवि कुमार की जीवनी (सोशल मीडिया से)

डॉ. डी. रवि कुमार की जीवनी: तमिलनाडु के मंगनमपट्टू गांव से संसद तक का सफर तय करने वाले डॉ. डी. रवि कुमार का जीवन सामाजिक न्याय, समानता और वंचित वर्गों के अधिकारों की निरंतर पैरवी का प्रतीक है। वे एक प्रखर दलित विचारक, लेखक और मानवाधिकार अधिवक्ता हैं, जो संसद में वंचितों की आवाज बन चुके हैं। विदुथलाई चिरूथाईगल काची (VCK) से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे डॉ. रवि कुमार का राजनीतिक जीवन सामाजिक प्रतिबद्धता, रचनात्मक लेखन और संसदीय गतिविधियों का अद्वितीय संगम है। 2024 के लोकसभा चुनाव में, उन्होंने तमिलनाडु की विल्लुपुरम (अनुसूचित जाति आरक्षित) सीट से विदुथलाई चिरूथाईगल काची (VCK) के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। उन्होंने कुल 4,77,033 वोट प्राप्त किए, जो कुल मतदान का 41.39% था। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के जे. भग्याराज को 4,06,330 वोट (35.25%) मिले। इस प्रकार, डॉ. रवि कुमार ने 70,703 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। यह जीत उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता का प्रमाण है और विल्लुपुरम क्षेत्र में सामाजिक न्याय और दलित अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उनकी यह सफलता वंचित समुदायों की आवाज़ को संसद में प्रभावी ढंग से उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


जन्म, शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

जन्म और शिक्षा

डॉ. डी. रवि कुमार का जन्म 29 मई, 1960 को तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले के मंगनमपट्टू गांव में हुआ। उनके पिता श्री दुरैसामी वी. और माता श्रीमती कनागम्मल ने उन्हें एक सामाजिक सरोकारों से युक्त वातावरण में पाला। यह वातावरण उनके जीवन के मूल्यों और संघर्षों की नींव बना। डॉ. रवि कुमार ने तमिल साहित्य और कानून में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से बी.एल. (कानून) और तमिल विश्वविद्यालय, तंजावुर से एम.ए. तथा पीएच.डी की उपाधियां प्राप्त कीं। उनका शैक्षिक जीवन बौद्धिक विमर्श, दलित साहित्य, सामाजिक परिवर्तन और संवैधानिक मूल्यों की समझ से परिपूर्ण रहा।


व्यवसायिक पृष्ठभूमि और लेखन

व्यवसायिक पृष्ठभूमि

डॉ. रवि कुमार एक पेशेवर अधिवक्ता हैं, लेकिन उनकी पहचान एक लेखक और सामाजिक विचारक के रूप में भी उतनी ही सशक्त है। उन्होंने दलित साहित्य, तमिल भाषा और सामाजिक समानता जैसे विषयों पर व्यापक लेखन किया है। उनके लेख और पुस्तकें सामाजिक चेतना जगाने वाली और आंदोलन को वैचारिक दिशा देने वाली मानी जाती हैं। उन्होंने अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दलित अधिकारों के मुद्दे उठाए हैं।


राजनीतिक सफर

राजनीतिक सफर

डॉ. रवि कुमार का सक्रिय राजनीतिक जीवन वर्ष 2006 में तमिलनाडु विधान सभा से आरंभ हुआ। जब वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। 2006 से 2011 तक वे विधानसभा के सदस्य रहे और इस दौरान उन्होंने दलित अधिकारों, सामाजिक न्याय और भूमि सुधार जैसे विषयों को विधानसभा में मुखरता से उठाया। इसके बाद 2019 के आम चुनावों में वे विदुथलाई चिरूथाईगल काची (VCK) के टिकट पर विल्लुपुरम (अनुसूचित जाति आरक्षित) लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए। 17वीं लोकसभा में उन्होंने श्रम, कपड़ा और कौशल विकास संबंधी स्थायी समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। वे संसद की परामर्शदात्री समिति, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। वहीं 2024 के आम चुनावों में वे एक बार फिर निर्वाचित हुए और 18वीं लोकसभा के सदस्य बने। वर्तमान में वे ग्रामीण विकास और पंचायती राज समिति के सदस्य हैं। यह समिति ग्रामीण भारत के विकास और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


सामाजिक सरोकार और वैचारिक नेतृत्व

सामाजिक सरोकार

डॉ. रवि कुमार का सार्वजनिक जीवन केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है। वे एक आंदोलनधर्मी नेता हैं, जो तमिलनाडु ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलित चेतना और सामाजिक समता के पैरोकार रहे हैं। वे अंबेडकरवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक हैं और उसकी विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए लेखन, संवाद और जनआंदोलनों के माध्यम से प्रयासरत रहते हैं।


लेखन और वैचारिक योगदान

लेखन

डॉ. रवि कुमार के लेखन में सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक समीक्षा और मानवीय अधिकारों की दृढ़ स्थापना मिलती है। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और लेख प्रकाशित किए हैं। जिनमें दलित विमर्श, भाषा की राजनीति, तमिल संस्कृति और आधुनिक भारत में सामाजिक न्याय की चुनौतियां प्रमुख विषय रहे हैं। उनके लेख अंग्रेज़ी, तमिल और कई भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हुए हैं।


परिवार और निजी जीवन

परिवार

डॉ. रवि कुमार का विवाह 15 जून, 1986 को श्रीमती सेनबागवल्ली से हुआ। उनके दो पुत्र हैं। वे अपने पारिवारिक जीवन को सामाजिक जिम्मेदारियों से समरस करते हुए जीते हैं। उनका परिवार सामाजिक कार्यों और जनसंपर्क में भी सहभागी रहता है।


संसदीय सक्रियता

संसदीय सक्रियता

संसद में डॉ. रवि कुमार की उपस्थिति और भागीदारी उल्लेखनीय रही है। उन्होंने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सरकारी योजनाओं की स्थिति, आरक्षण नीति के क्रियान्वयन, श्रमिक अधिकार, कृषि सुधार और ग्रामीण विकास से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं।


तकनीक और युवा संवाद

तकनीक का उपयोग

डॉ. रवि कुमार सोशल मीडिया के ज़रिए भी जनता के साथ संवाद बनाए रखते हैं। वे अपने अधिकृत ईमेल के माध्यम से लोगों की समस्याएं सुनते और समाधान का प्रयास करते हैं। वे युवाओं को दलित चेतना और संविधान के मूल्यों से जोड़ने का प्रयास करते हैं।


निष्कर्ष

डॉ. डी. रवि कुमार भारतीय राजनीति में उन गिने-चुने जनप्रतिनिधियों में शामिल हैं जो वैचारिक प्रतिबद्धता, सामाजिक सरोकार और संवैधानिक मूल्यों को ही अपने जीवन का मूलमंत्र मानते हैं। उनका जीवन लोगों के सामने एक मिसाल बन चुका है और यह बताता है कि सीमित संसाधनों वाला ग्रामीण बालक भी अपनी लेखनी, विचार और संघर्ष के बल पर संसद तक पहुंच सकता है।


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