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क्या है शिल्पा शेट्टी के परिवार पर लगे जबरन वसूली के आरोप? जानें पूरी कहानी!

शिल्पा शेट्टी और उनके परिवार पर लगे जबरन वसूली के आरोपों का मामला सूरत की अदालत में चल रहा है। इस मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन फजलू का नाम भी शामिल है, जो पहले भी विवादों में रहा है। जानें इस मामले की अदालती सुनवाई, आरोपों और वकील पर लगे जुर्माने के बारे में। क्या शिल्पा शेट्टी के परिवार को न्याय मिलेगा? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें।
 

सूरत की अदालत में वकील पर जुर्माना

क्या है शिल्पा शेट्टी के परिवार पर लगे जबरन वसूली के आरोप? जानें पूरी कहानी!


11 अप्रैल, शुक्रवार को सूरत की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने एक वकील पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके परिवार से जुड़े कथित जबरन वसूली के आरोपों से संबंधित है। इसमें अंडरवर्ल्ड डॉन फजल-उर-रहमान उर्फ फजलू का नाम भी शामिल है, जो 1998 में व्यवसायी गौतम अडानी के अपहरण मामले में आरोपी था, लेकिन 2018 में उसे बरी कर दिया गया था। शिल्पा ने 1998 में सूरत की 'प्रफुल साड़ी' कंपनी के साथ एक साल का विज्ञापन अनुबंध किया था, लेकिन अनुबंध समाप्त होने के बाद भी विज्ञापन जारी रहा। इसे अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए शिल्पा ने कानूनी नोटिस भेजा।


एफआईआर में शामिल नाम

पंकज अग्रवाल, कंपनी के मालिक, का आरोप है कि शिल्पा के माता-पिता ने उनसे विज्ञापन के लिए 80 लाख रुपये की मांग की थी। इसके बाद, अग्रवाल ने 2003 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें मलेशिया के डॉन फजलू से धमकी भरा फोन आया था।


अग्रवाल का मानना है कि फजलू ने शिल्पा के कहने पर उनसे संपर्क किया था, जिसमें 2 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। एफआईआर में शिल्पा के माता-पिता सुरेंद्र और सुनंदा शेट्टी, उनके निजी सचिव दिलीप पालसेकर, फजल-उर-रहमान और उनके दो सहयोगियों के नाम शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 385, 386, 387 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।


मामले की सुनवाई और आरोपियों की मौत

यह मामला 2010 में तय किया गया था और सुनवाई 2013 से चल रही है। इस दौरान शिल्पा के पिता सुरेंद्र और सचिव दिलीप पालसेकर का निधन हो गया। पुलिस ने शिल्पा के माता-पिता के बयान दर्ज किए और कंपनी के मालिक के साथ उनकी बातचीत का ऑडियो भी एकत्र किया। इसके अलावा, फजलू और अग्रवाल के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी अदालत में पेश की गई है।


गैर-जमानती वारंट और सुनवाई की तिथि

15 फरवरी को अदालत ने सुनंदा शेट्टी और फजलू के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया क्योंकि दोनों अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे। मार्च के अंत में, फजलू और सुनंदा शेट्टी ने अदालत में पेश होकर वारंट रद्द कराया। अगली सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई थी, जिसमें पंकज अग्रवाल को एक महत्वपूर्ण साक्ष्य पर गवाही देनी थी।


कोर्ट में व्यवधान और वकील पर जुर्माना

सुनवाई के दौरान सुनंदा शेट्टी के वकील मिनेश झावेरी उपस्थित नहीं थे, जिसके कारण एक जूनियर वकील को 'प्रॉक्सी' के रूप में नियुक्त किया गया। इसी समय, फजलू के वकील अनीश ख्याली ने भी जूनियर वकील के रूप में उनकी जगह ली। अदालत ने ख्याली को बरी कर दिया, लेकिन सुनंदा के वकील के प्रतिनिधि पर सवाल उठाए। जब जज ने पावर ऑफ अटॉर्नी की जांच की, तो उसमें वकील के हस्ताक्षर नहीं थे, जिसके कारण कोर्ट ने वकील पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया।


ऑडियो क्लिप और आपत्तियाँ

सुनवाई के दौरान कई ऑडियो क्लिप अदालत में प्रस्तुत की गईं। सरकारी अभियोजक ए.टी. परमार ने पंकज अग्रवाल से अशरफ से हुई बातचीत के आधार पर सवाल पूछे। सुनंदा शेट्टी के वकील ने आपत्ति जताई कि परमार ऑडियो पर नोट्स नहीं ले रहे हैं। जब जज ने पूछा कि वे किसकी ओर से अदालत में आए हैं, तो जवाब आया कि सुनंदा शेट्टी की ओर से। लेकिन जब वकालतनामा देखा गया, तो वह अधूरा था, जिसके कारण कोर्ट ने सख्त कदम उठाया।


फजलू का अतीत और पहचान

फजल-उर-रहमान उर्फ फजलू को अंडरवर्ल्ड डॉन के रूप में जाना जाता है। वह बिहार के दरभंगा का निवासी है और दुबई में कई गैंगस्टरों के लिए काम कर चुका है। 1998 में उनका नाम व्यवसायी गौतम अडानी के अपहरण मामले में आया था, जिसमें 15 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी। हालांकि, 2018 में अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। अब वह भारत में है और जमानत पर बाहर है। शिल्पा शेट्टी के मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।


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