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क्या है चेतना और प्रेम का गहरा रहस्य? शेखर कपूर ने साझा किए अपने विचार

फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने चेतना और प्रेम जैसे गहरे विषयों पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि इनकी परिभाषा देना कितना कठिन है और कैसे ये अहंकार से परे हैं। कपूर ने सूफी कवि रूमी के विचारों का उल्लेख करते हुए चेतना की अनंतता पर जोर दिया। जानें उनके अनमोल विचार और रचनात्मकता के बारे में उनके दृष्टिकोण।
 
क्या है चेतना और प्रेम का गहरा रहस्य? शेखर कपूर ने साझा किए अपने विचार

शेखर कपूर का गहरा संदेश


मुंबई, 6 जुलाई। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक शेखर कपूर ने हाल ही में चेतना और प्रेम जैसे जटिल विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने सोशल मीडिया पर महात्मा बुद्ध की एक तस्वीर साझा करते हुए इन गहरे विषयों की समझ में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।


कपूर ने बताया कि चेतना और प्रेम को पूरी तरह से परिभाषित करना मानव के लिए कठिन है, क्योंकि ये अहंकार और मानसिक सीमाओं से परे हैं।


उन्होंने लिखा, “चेतना एक ऐसा शब्द है, जिसे अक्सर सुना जाता है, लेकिन इसे समझना उतना ही कठिन है जितना प्रेम को। जैसे सागर की एक बूंद खुद को अलग समझकर पूरे सागर को नहीं समझ सकती, वैसे ही हम चेतना को पूरी तरह नहीं जान सकते।”


उन्होंने सूफी कवि रूमी के एक प्रसिद्ध कथन को उद्धृत किया, “तुम सागर में बूंद नहीं, बल्कि एक बूंद में पूरा सागर हो।”


कपूर का मानना है कि चेतना को परिभाषित करने का प्रयास गलत है, क्योंकि यह अनंत और असीम है।


उन्होंने आगे कहा कि हमारा मस्तिष्क हर चीज को परिभाषित करने की कोशिश करता है, लेकिन चेतना कोई निश्चितता या निष्कर्ष नहीं है। उन्होंने कहा, “चेतना वह नहीं है जो ‘है’, बल्कि वह है जो ‘नहीं है’।”


उन्होंने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा कि जो दिखाई देता है, उसे समझा जा सकता है, लेकिन जो अदृश्य है, उसे मापना असंभव है। यही कारण है कि शिव को ‘अंधेरे का स्वामी’ और बुद्ध ने चेतना को ‘विशाल शून्यता’ कहा।


इससे पहले, कपूर ने रचनात्मकता और मानसिक स्वास्थ्य पर भी अपने विचार साझा किए थे।


शेखर कपूर ने ‘मासूम’, ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी चर्चित फिल्मों का निर्देशन किया है। इसके अलावा, उन्होंने 'बरसात' और 'दुश्मनी' का भी निर्देशन किया है। 2016 में, कपूर ने माता अमृतानंदमयी देवी पर 'द साइंस ऑफ कम्पैशन' नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी।


उन्होंने हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई है, जहां 1998 में 'एलिजाबेथ' और 2007 में 'एलिजाबेथ द सीक्वल' को दर्शकों ने काफी सराहा।


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