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क्या शेखर कपूर की कविता में छिपा है ब्रह्मांड का रहस्य? जानें उनके गहरे विचार

फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने अपनी नई कविता के माध्यम से ब्रह्मांड और प्रेम के गहरे संबंध को उजागर किया है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर के साथ अपनी कविता साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि हर छोटी चीज में ब्रह्मांड का अंश छिपा है। उनके विचारों में दिल और दिमाग की भूमिका पर भी चर्चा की गई है। जानें उनके गहरे विचार और कविता का अर्थ इस लेख में।
 
क्या शेखर कपूर की कविता में छिपा है ब्रह्मांड का रहस्य? जानें उनके गहरे विचार

शेखर कपूर की नई कविता: ब्रह्मांड और प्रेम का अनोखा संबंध


मुंबई, 7 जून। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक शेखर कपूर ने एक बार फिर से अपनी लेखनी का जादू बिखेरा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक गहरी कविता साझा की, जिसमें उन्होंने अस्तित्व और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर किया।


इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर के साथ, जिसमें सूरज की किरणें खिड़की से कमरे में प्रवेश कर रही हैं, उन्होंने अपनी कविता को साझा किया।


इस कविता में शेखर कपूर ने बताया है कि हर छोटी चीज में ब्रह्मांड का अंश छिपा है और प्रेम इस सबको जोड़ता है।


उन्होंने लिखा, "यदि तुम मुझे खोज रहे हो, तो मैं सुबह के पहले सूरज में हूं। कमरे में प्रवेश करती रोशनी की किरण में मुझे देखो। मैं एक धूल के कण में मिलूंगा, जो अनगिनत कणों के बीच तैर रहा है। उस कण के भीतर गहराई से देखो, क्योंकि उसमें वही ब्रह्मांड है, जो तुम्हारे चारों ओर है।"


इसके बाद उन्होंने कहा, "उस ब्रह्मांड में तुम खुद को एक और धूल के कण में पाओगे और इन्हें आपस में जोड़ता है मेरा प्रेम।"


हाल ही में, शेखर कपूर ने इंस्टाग्राम पर रचना, विचार और दिल की भूमिका पर अपने विचार साझा किए थे। उनके अनुसार, दिमाग विचारों को संभालता है, जबकि दिल आंतरिक और गहराइयों से जुड़ा होता है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया, 'क्या दिल सोच सकता है?'


उन्होंने आगे लिखा, "दिल किसी एक पल का नहीं होता, वह 'शाश्वत अभी' का हिस्सा है।" इसका मतलब है कि दिल का अनुभव समय की सीमाओं से परे होता है, और यह भावना और आत्मा से जुड़ा होता है।


उन्होंने यह भी बताया कि दिल किसी पल से नहीं जुड़ा होता, क्योंकि 'पल' भी गुजर जाता है। दिल उस 'अब' से जुड़ा होता है जो स्थायी है।


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