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कौन हैं Kunika Sadanand? उज्जैन में महाकाल के दरबार में दिखीं अभिनेत्री

अभिनेत्री कुनिका सदानंद ने उज्जैन में महाकाल के दरबार में दर्शन किए, जहां उन्होंने शिव साधना की और परिवार के साथ आशीर्वाद लिया। उनके फिल्मी करियर की शुरुआत 1988 में हुई थी, और उन्होंने कई चर्चित फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं निभाई हैं। इस लेख में जानें भस्म आरती का महत्व और कुनिका के करियर के बारे में।
 
कौन हैं Kunika Sadanand? उज्जैन में महाकाल के दरबार में दिखीं अभिनेत्री

कुनिका सदानंद का महाकाल दर्शन


उज्जैन, 9 जून। अभिनेत्री कुनिका सदानंद ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल के दरबार में जाकर महाकालेश्वर के दर्शन किए। उनके साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।


महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के अभिषेक शर्मा ने कुनिका का स्वागत किया। मंदिर में पहुंचने पर, उन्होंने नंदी हॉल में शिव साधना की और नंदी पर जल अर्पित किया। चांदी द्वार से माथा टेककर, उन्होंने अपने परिवार के साथ भगवान का आशीर्वाद लिया।


कुनिका ने अपने करियर की शुरुआत 1988 में फिल्म 'कब्रिस्तान' से की थी। उन्होंने 'बेटा', 'गुमराह', और 'खिलाड़ी' जैसी कई चर्चित फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं निभाई हैं। उनके खाते में 100 से अधिक फिल्में हैं।


फिल्मों के अलावा, वह टीवी शो 'स्वाभिमान', 'काना फूसी', 'प्यार का दर्द है मीठा-मीठा प्यारा-प्यारा', 'अकबर बीरबल', और 'दिल्ली वाली ठाकुर गर्ल्स' में भी नजर आ चुकी हैं। कम लोग जानते हैं कि वह एक प्रतिभाशाली गायिका भी हैं।


इससे पहले, 'केजीएफ' के सुपरस्टार यश भी महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन आए थे।


महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती का विशेष महत्व है, जिसमें श्रद्धालु दुनियाभर से शामिल होने आते हैं। इस आरती में श्मशान से लाई गई चिता की भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इसके अलावा, गोहरी, पीपल, पलाश, शमी और बेल की लकड़ियों की राख भी मिलाई जाती है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भस्म आरती के समय महिलाएं सिर पर घूंघट या ओढ़नी डाल लेती हैं। माना जाता है कि इस समय महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं, इसलिए महिलाओं को आरती में शामिल होने या देखने की अनुमति नहीं होती।


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