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केरल में बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार न देने का विवाद: मंत्री का स्पष्टीकरण और बाल कलाकार की निराशा

केरल की फिल्म इंडस्ट्री में बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार न देने के निर्णय ने विवाद खड़ा कर दिया है। मंत्री साजी चेरियन ने जूरी के फैसले का बचाव किया, जबकि बाल कलाकार देवा नंदा ने अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बच्चों के काम को उचित सम्मान मिलना चाहिए। इस मुद्दे ने राज्य में बच्चों की फिल्मों की गुणवत्ता पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
 
केरल में बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार न देने का विवाद: मंत्री का स्पष्टीकरण और बाल कलाकार की निराशा

बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार न देने का निर्णय




तिरुवनंतपुरम, 4 नवंबर। केरल की फिल्म इंडस्ट्री में बच्चों की फिल्मों को लेकर एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है। 2024 के केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड्स में बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार न देने का निर्णय कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक रहा। इस पर केरल के फिल्म और संस्कृति राज्य मंत्री साजी चेरियन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।


साजी चेरियन ने बताया कि उन्होंने जूरी से इस निर्णय का कारण पूछा। जूरी ने कहा कि बच्चों की श्रेणी में कुल चार फिल्में थीं, जिनमें से केवल दो ही अंतिम चयन में रहीं। हालांकि, जूरी ने महसूस किया कि इन फिल्मों में पुरस्कार के लिए आवश्यक रचनात्मकता की कमी थी।


मंत्री ने यह भी बताया कि कुल 128 फिल्मों में से केवल लगभग 10 प्रतिशत ही गुणवत्ता के मानकों पर खरी उतरीं।


उन्होंने कहा, ''जूरी ने सरकार को सुझाव दिया है कि बच्चों की फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। पैनल फिल्मों की घटती गुणवत्ता को लेकर चिंतित था और सरकार इस क्षेत्र को पुनः मजबूत करने और बच्चों की फिल्मों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।''


इस निर्णय पर सबसे अधिक प्रतिक्रिया बाल कलाकार देवा नंदा ने दी। देवा, जो राज्य की एक प्रसिद्ध बाल कलाकार हैं, ने सोशल मीडिया पर अपनी निराशा व्यक्त की।


उन्होंने कहा कि बच्चे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उनके काम को उचित सम्मान मिलना चाहिए।


देवा ने जूरी के अध्यक्ष और अभिनेता प्रकाश राज का एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने बच्चों की फिल्मों को न चुनने पर टिप्पणी की थी। देवा ने इस निर्णय के पीछे की वजह पर सवाल उठाया और इसे अनुचित बताया।


उन्होंने लिखा, ''पहले बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार से वंचित किया जाए और फिर यह कहना कि और बाल फिल्में बननी चाहिए, यह सही नहीं है। 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन', 'फीनिक्स' और 'ए.आर.एम.' जैसी फिल्मों में बच्चों ने बहुत मजबूत और प्रभावशाली अभिनय किया है। ऐसे में इन्हें नजरअंदाज करना अनुचित है।''


देवा नंदा के पोस्ट पर कई फिल्मकार और कलाकार सहमत दिखाई दिए। इस विवाद ने राज्य में बच्चों की फिल्मों और उनकी गुणवत्ता पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।


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