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शेखर कपूर की गुरु की खोज: पहाड़ पर तीन दिन बिताने की अद्भुत कहानी

फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक दिलचस्प किस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने गुरु की खोज में पहाड़ पर तीन दिन बिताने का अनुभव बताया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गुफा के बाहर बैठकर अपने गुरु से संवाद किया और जीवन के गहरे अर्थ को समझा। शेखर की यह कहानी न केवल आध्यात्मिकता की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि हम अपनी जिंदगी की कहानी कैसे गढ़ते हैं। जानें इस अद्भुत अनुभव के बारे में और शेखर कपूर के विचारों को।
 
शेखर कपूर की गुरु की खोज: पहाड़ पर तीन दिन बिताने की अद्भुत कहानी

शेखर कपूर की आध्यात्मिक यात्रा




नई दिल्ली, 6 दिसंबर। फिल्म निर्देशक और निर्माता शेखर कपूर अपने सोशल मीडिया पर अक्सर अपने अनुभव और विचार साझा करते हैं। हाल ही में, उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक दिलचस्प किस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि एक बार वह गुरु की खोज में पहाड़ पर तीन दिन तक बैठे रहे।


उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान एक गुफा के बाहर बिताए गए उन तीन दिनों का वर्णन किया। शेखर ने कहा कि उन्होंने पहाड़ पर चढ़ने के बाद गुरु को खोजने की कोशिश की, लेकिन गुरु ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। केवल सांसों की आवाज और हवा में प्रार्थना की गूंज सुनाई दे रही थी।


शेखर ने हिम्मत जुटाकर गुरु से कहा, 'गुरुजी, मैंने आपको खोजने में अपनी पूरी जिंदगी बिता दी है। मैंने प्यार किया, धोखा खाया और कई अनुभव किए हैं। अब मुझे समझ आया कि सब कुछ एक सांस का खेल है, आपको पाने का एक कदम है।'


इसके बाद, गुरु ने उन्हें समझाया कि न तो अतीत है, न भविष्य, और न ही वर्तमान, केवल शुद्ध और कालातीत अस्तित्व है। हम अपनी जिंदगी की कहानी खुद बनाते हैं ताकि समय का अनुभव कर सकें। जब यह भ्रम टूटता है, तब हमें अपनी असली मौजूदगी का अहसास होता है।


अंत में, शेखर ने विनम्रता से गुरु से कहा, 'गुरुजी, कृपया अपना चेहरा दिखाइए।' गुरु ने जवाब दिया, 'क्या तुम अपनी कहानी में और समय जोड़ना चाहते हो?' जब गुरु ने मुड़कर देखा, तो शेखर को अपना ही चेहरा दिखाई दिया।


एक अन्य पोस्ट में, शेखर ने दादी-नानी के समय से चली आ रही दही-चीनी की परंपरा पर सवाल उठाते हुए मानव बुद्धिमत्ता के बारे में चर्चा की।


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