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दीनानाथ मंगेशकर: संगीत की दुनिया के पहले सितारे की अनकही कहानी

दीनानाथ मंगेशकर, भारतीय संगीत के महानायक, ने अपने जीवन में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। उनका संगीत सफर महज 5 साल की उम्र में शुरू हुआ और उन्होंने मराठी रंगमंच से लेकर सिनेमा तक अपनी छाप छोड़ी। जानें उनके जीवन की अनकही कहानियाँ, परिवार और संगीत की दुनिया में उनके योगदान के बारे में।
 
दीनानाथ मंगेशकर: संगीत की दुनिया के पहले सितारे की अनकही कहानी

दीनानाथ मंगेशकर का संगीत सफर




मुंबई, 28 दिसंबर। जब भी मंगेशकर परिवार का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले लता मंगेशकर का नाम सामने आता है। लेकिन इस संगीत की विरासत की नींव उनके पिता, पंडित दीनानाथ मंगेशकर ने रखी थी। वह न केवल एक अद्भुत गायक थे, बल्कि मराठी रंगमंच के एक प्रमुख अभिनेता और संगीत नाटक के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण नाम थे।


कम ही लोग जानते हैं कि दीनानाथ का संगीत सफर बहुत छोटी उम्र में शुरू हुआ, जिसने उन्हें मराठी संगीत के शीर्ष कलाकारों में स्थान दिलाया।


दीनानाथ मंगेशकर का जन्म 29 दिसंबर 1900 को गोवा के मंगेशी गांव में हुआ। उनके पिता, गणेश भट्ट हार्डीकर, वहां के एक प्रसिद्ध मंदिर के पुजारी थे, और उनकी मां, येसुबाई, एक कुशल गायिका थीं। संगीत की शिक्षा उन्हें अपनी मां से मिली, और उन्होंने अपने गांव के नाम पर मंगेशकर उपनाम रखा।


सिर्फ 5 साल की उम्र में, दीनानाथ ने संगीत की औपचारिक शिक्षा लेना शुरू किया। इतनी कम उम्र में उनकी सुर और लय की समझ ने सभी को चौंका दिया। कहा जाता है कि उनकी आवाज इतनी सटीक थी कि लोग उन्हें पहचानने लगे थे। उन्होंने बाबा माशेलकर, पंडित रामकृष्ण बुआ वजे, और पंडित सुखदेव प्रसाद जैसे महान गुरुओं से संगीत सीखा।


कम उम्र में ही दीनानाथ का झुकाव मराठी रंगमंच की ओर बढ़ा। उन्होंने किर्लोस्कर नाटक मंडली में काम करना शुरू किया और वहां अपने अभिनय और गायन से सबका ध्यान आकर्षित किया। उस समय पुरुष कलाकारों द्वारा महिला भूमिकाएं निभाना आम था, और दीनानाथ ने उर्दू और हिंदी नाटकों में भी महिला पात्रों को प्रभावशाली ढंग से निभाया।


1918 में, दीनानाथ ने अपनी पहचान बनाने के लिए बलवंत संगीत नाटक मंडली की स्थापना की। इस मंडली के माध्यम से उन्होंने कई ऐतिहासिक और सामाजिक नाटकों का मंचन किया, जिनमें राजसंन्यास, रणदुंदुभि और भावबंधन शामिल थे। उनके गायन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


दीनानाथ ने सिनेमा की दुनिया में भी कदम रखा और 1930 के दशक में तीन फिल्मों का निर्माण किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म 'कृष्णार्जुन युद्ध' थी, जिसमें उन्होंने अभिनय किया और गीत भी गाया।


निजी जीवन में, दीनानाथ ने दो बहनों से विवाह किया। उनकी पहली पत्नी नर्मदाबेन से शादी 1922 में हुई, लेकिन चार साल बाद उनकी पत्नी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने नर्मदा की बहन साधुमती से विवाह किया, जिनसे उन्हें चार बेटियां और एक बेटा हुआ।


दिलचस्प बात यह है कि लता मंगेशकर का जन्म नाम हेमा था, जिसे दीनानाथ ने अपने नाटक के पात्र से प्रेरित होकर बदलकर लता रखा।


दीनानाथ मंगेशकर का निधन 24 अप्रैल 1942 को केवल 41 वर्ष की आयु में हुआ।


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