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चार्ल्स पोंजी: कैसे एक धोखाधड़ी ने वित्तीय दुनिया को हिला दिया?

चार्ल्स पोंजी, एक नाम जो वित्तीय धोखाधड़ी का पर्याय बन गया है, ने 20वीं सदी की शुरुआत में एक ऐसी योजना बनाई जिसने हजारों निवेशकों को ठगा। इस लेख में हम उनकी जीवन यात्रा, पोंजी स्कीम के पीछे का विचार, और इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे एक धोखाधड़ी ने अमेरिका की वित्तीय प्रणाली को हिला दिया और आज भी इसे एक चेतावनी के रूप में देखा जाता है।
 

चार्ल्स पोंजी का परिचय

चार्ल्स पोंजी: कैसे एक धोखाधड़ी ने वित्तीय दुनिया को हिला दिया?

Sabse Bada Dhokhebaj (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Sabse Bada Dhokhebaj (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

वित्तीय धोखाधड़ी का प्रतीक चार्ल्स पोंजी: चार्ल्स पोंजी को वित्तीय धोखाधड़ी के सबसे कुख्यात नामों में से एक माना जाता है। 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका में उन्होंने 'पोंजी स्कीम' नामक एक धोखाधड़ी योजना की शुरुआत की, जिसने हजारों निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया। यह योजना आज भी वित्तीय धोखाधड़ी का एक प्रमुख उदाहरण मानी जाती है। इस लेख में हम चार्ल्स पोंजी के जीवन, उनके घोटाले, गिरफ्तारी और उनकी विरासत पर चर्चा करेंगे।


चार्ल्स पोंजी का अमेरिका में आगमन

चार्ल्स पोंजी का जन्म मार्च 1882 में इटली में हुआ था। उन्होंने 1903 में अमेरिका की यात्रा की, लेकिन जल्दी ही जुए और पार्टियों में अपने पैसे गंवा दिए। उनकी तेज बुद्धि ने उन्हें अंग्रेजी सीखने और विभिन्न नौकरियों में काम करने में मदद की, लेकिन चोरी और धोखाधड़ी के कारण उन्हें बार-बार नौकरी से निकाल दिया गया। 1907 में, वह कनाडा चले गए और वहां Banco Zarossi नामक बैंक में नौकरी पाई।


पोंजी स्कीम का जन्म

Banco Zarossi अपने निवेशकों को 6% ब्याज देता था, जबकि अन्य बैंकों में यह दर केवल 2-3% थी। चार्ल्स ने इस मॉडल को देखा और खुद एक धोखाधड़ी योजना बनाने का विचार किया। जल्द ही, बैंक की पोल खुल गई और उसके मालिक लुइस ज़ारोसी ने लोगों का पैसा लेकर भाग गया। चार्ल्स ने कई बार धोखाधड़ी करने की कोशिश की, लेकिन हर बार जेल गए।


पोंजी स्कीम का विचार

चार्ल्स पोंजी ने 1919 में 'अंतरराष्ट्रीय उत्तरदाता कूपन' (IRCs) का उपयोग करके निवेशकों को भारी लाभ का वादा किया। उनका विचार था कि वे अमेरिका और यूरोप के बीच मुद्रा विनिमय दरों में अंतर का लाभ उठाकर पैसा कमा सकते हैं। उन्होंने निवेशकों से कहा कि यदि वे अपने पैसे उनके पास निवेश करें, तो वे इन कूपनों को सस्ते में खरीदकर महंगे में बेच देंगे और 45 दिनों में 50% का लाभ देंगे।


धोखाधड़ी का तंत्र

वास्तव में, चार्ल्स ने कभी भी आईआरसी का व्यापार नहीं किया। उन्होंने पुराने निवेशकों को नए निवेशकों के पैसे से भुगतान किया। इस प्रकार की योजना को आज पोंजी स्कीम कहा जाता है। उन्होंने 45 दिनों में 50% और 90 दिनों में 100% का रिटर्न देने का वादा किया।


धोखाधड़ी का खुलासा

1920 तक, चार्ल्स पोंजी की योजना बहुत लोकप्रिय हो गई थी। लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों और मीडिया ने इस पर शक करना शुरू कर दिया। बोस्टन पोस्ट ने इसकी गहराई से जांच की और पाया कि पोंजी के पास असली आईआरसी कूपन बहुत कम थे।


गिरफ्तारी और सजा

1920 में, चार्ल्स पोंजी को गिरफ्तार किया गया और उन पर धोखाधड़ी के कई आरोप लगाए गए। उन्हें 1921 में पांच साल की सजा सुनाई गई, लेकिन तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद, उन्होंने फिर से कुछ वित्तीय योजनाएँ बनाईं, लेकिन वे सफल नहीं रहीं।


चार्ल्स पोंजी का अंतिम जीवन

सजा पूरी करने के बाद, उन्हें अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया और वे इटली लौट गए। वहां भी उनका जीवन सामान्य नहीं रहा और अंततः वे ब्राजील चले गए, जहां 18 जनवरी 1949 को उनकी मृत्यु हो गई।


पोंजी स्कीम की विरासत

आज भी, चार्ल्स पोंजी की वित्तीय धोखाधड़ी एक चेतावनी के रूप में देखी जाती है। उनकी योजना को 'पोंजी स्कीम' कहा जाता है, और यह वित्तीय घोटालों का एक प्रमुख उदाहरण बन चुकी है।


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