क्या आप जानते हैं मोहम्मद रफी की जयंती पर उनके अनमोल किस्से?
मोहम्मद रफी: एक अमर आवाज का जश्न
मुंबई, 23 दिसंबर। 24 दिसंबर का दिन एक विशेष अवसर है, जब हम मोहम्मद रफी की जयंती मनाते हैं। उनकी आवाज ने सदियों से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। रफी साहब केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि वे संगीत, भावना और ऊर्जा का अद्भुत मिश्रण थे। उनकी आवाज में ऐसा जादू था, जो हर मूड और स्थिति को जीवंत कर देता था।
मोहम्मद रफी ने रोमांटिक गानों से लेकर भक्ति गीतों तक हर शैली में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। रफी साहब अक्सर अपनी शुरुआत की कहानी सुनाते थे, जब वे केवल 10 साल के थे। उनके गांव कोटला सुल्तान सिंह में एक फकीर आया करते थे, जिनकी आवाज सुनकर रफी मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
उन्होंने एक बार कहा था, "एक फकीर आता था, मैं उसकी आवाज सुनकर इतना प्रभावित हुआ कि उसके पीछे चल पड़ता। गाने का ख्याल वहीं से आया।"
रफी साहब का दिलीप कुमार के साथ गहरा संबंध था। दिलीप साहब उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। उन्होंने कहा, "कई प्रतिभाशाली गायक हुए, लेकिन रफी भाई के साथ एक जादुई बंधन था, जैसे वह मेरी अपनी आवाज हों।"
रफी साहब की विनम्रता और सरलता ने उन्हें खास बना दिया। सायरा बानो के लिए वे बड़े भाई जैसे थे। सायरा ने एक बार 1967 की फिल्म 'अमन' के दौरान एक दिल छू लेने वाला किस्सा साझा किया। शूटिंग के दौरान, जब उन्हें रफी साहब के साथ गाने का मौका मिला, तो वे बहुत नर्वस थीं।
उन्होंने बताया कि रफी साहब ने उन्हें हौसला दिया और कहा, "सायरा जी, आप बहुत अच्छा गा रही हैं। इतनी नर्वस क्यों हो रही हैं?" इस प्रोत्साहन ने सायरा को गाने में मदद की और उनका डुएट 'आज की रात ये कैसी रात' सुपरहिट हो गया।
फिल्म 'अमन' एक एंटी-वॉर फिल्म है, जिसमें भारतीय डॉक्टर हिरोशिमा-नागासाकी के पीड़ितों की मदद के लिए जापान जाते हैं। इस फिल्म में रफी के गाने और शंकर-जयकिशन का संगीत बेहद लोकप्रिय हुआ।
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