करण जौहर ने सोशल मीडिया पर नकारात्मकता को लेकर उठाए गंभीर सवाल
सोशल मीडिया पर बढ़ती नकारात्मकता पर करण जौहर की चिंता
मुंबई, 30 दिसंबर। वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी बात को प्रमुखता से रखना चाहता है, लेकिन इस प्रक्रिया में शिष्टता, धैर्य और विनम्रता का अभाव होता जा रहा है। आजकल संवाद कम और विवाद अधिक हो गए हैं। लोग बिना किसी की भावनाओं को समझे ही अपनी राय बना लेते हैं। इस विषय पर बॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता करण जौहर ने अपने विचार साझा किए।
उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक नोट साझा करते हुए लिखा, ''आजकल लोग अच्छे व्यवहार को भूलते जा रहे हैं। क्या किसी के संदेश या ईमेल का सही जवाब देना भी अब कठिन हो गया है? यदि जवाब आता है, तो वह अक्सर एक शब्द या बिना किसी भावना के होता है। सम्मान और अपनापन छोटी-छोटी बातों से प्रकट होता है, जैसे कि शिष्टता से बात करना या सामने वाले को यह महसूस कराना कि उनकी बात महत्वपूर्ण है।''
करण ने यह भी चिंता व्यक्त की कि लोग अब दूसरों की सफलता पर खुश होने के बजाय जलने लगे हैं। उन्होंने कहा, ''समाज में यह देखने को मिलता है कि किसी के सफल होने पर प्रशंसा कम और आलोचना अधिक होती है। वहीं, जब कोई असफल होता है, तो लोग उसे सहारा देने के बजाय मजाक उड़ाते हैं। यह सोच न केवल गलत है, बल्कि समाज को कमजोर बनाती है। आलोचना आवश्यक है, लेकिन यह बिना गुस्से और नफरत के होनी चाहिए।''
सोशल मीडिया के संदर्भ में करण ने कहा, ''आज लोग इसे अपनी भड़ास निकालने का माध्यम बना चुके हैं। व्यक्तिगत समस्याएं, गुस्सा और नकारात्मकता बिना सोचे-समझे सबके सामने रखी जाती हैं। इसका प्रभाव दूसरों की सोच पर पड़ता है और माहौल और भी विषाक्त हो जाता है। सोशल मीडिया अब नकारात्मकता का केंद्र बन गया है। इसका उपयोग जिम्मेदारी से होना चाहिए, न कि नफरत फैलाने के लिए।''
अपने पोस्ट में करण ने उन लोगों पर भी सवाल उठाए जो हमेशा दूसरों को उपदेश देते रहते हैं। उन्होंने कहा, ''आज हर कोई ज्ञान देना चाहता है, लेकिन खुद उस पर चलने से कतराता है। जो लोग दूसरों को सही रास्ता दिखाते हैं, उन्हें खुद भी वही अपनाना चाहिए। केवल बोलना ही काफी नहीं है, व्यवहार में भी वही दिखना चाहिए। हमें हमेशा दयालु रहने का प्रयास करना चाहिए।''
पोस्ट के दूसरे भाग में करण ने जजमेंटल सोच पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ''आज हर कोई खुद को नैतिकता का ठेकेदार समझने लगा है। लोग बिना पूरी जानकारी के दूसरों पर उंगली उठा देते हैं। हमें यह तय करने का अधिकार नहीं है कि कोई कैसा है। दूसरों को जज करने से पहले हमें अपने अंदर झांकना चाहिए, क्योंकि हर इंसान में कमियां होती हैं।''
अंत में, करण ने कहा, ''असली शालीनता यही है कि इंसान खुद को जैसे है, वैसे स्वीकार करे। अपनी कमियों और उलझनों के साथ खुद को अपनाना सीखें।''
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