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हसरत जयपुरी का अनोखा इंटरव्यू: प्यार और गीतों की कहानी

हसरत जयपुरी, हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार, ने अपने जीवन के अनकहे किस्से साझा किए हैं। उन्होंने राज कपूर के साथ अपने पहले अनुभव, प्यार की प्रेरणा से गीत लिखने की कहानी और अपने करियर की शुरुआत के बारे में बताया। जानें कैसे उन्होंने अपने प्यार के लिए शायरी सीखी और 'संगम' के मशहूर गाने का निर्माण किया। इस दिलचस्प इंटरव्यू में हसरत की यात्रा को जानने के लिए पढ़ें।
 

हसरत जयपुरी का सफर

हसरत जयपुरी का अनोखा इंटरव्यू: प्यार और गीतों की कहानी


हसरत जयपुरी का दुर्लभ इंटरव्यू: 1949 में हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष था। इस वर्ष उनकी चार फिल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें से पहली 'सुनहरे दिन' असफल रही, लेकिन बाकी तीन फिल्मों ने उन्हें हिंदी सिनेमा का पहला शोमैन बना दिया। इनमें 'परिवर्तन' और महबूब खान की 'अंदाज़' शामिल हैं, जिसमें राज कपूर, नरगिस और दिलीप कुमार ने अभिनय किया। इन फिल्मों की सफलता ने राज कपूर की लोकप्रियता को बढ़ाया और इसके बाद उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट 'बरसात' आई, जिसे उन्होंने खुद निर्देशित किया और आरके फिल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया। फिल्म में राज कपूर, नरगिस और निम्मी की अदाकारी के साथ-साथ शंकर जयकिशन का संगीत और हसरत जयपुरी व शैलेंद्र के लिखे गीतों ने इसे सुपरहिट बना दिया। हसरत जयपुरी ने लहरें को बताया कि उनकी राज कपूर से पहली मुलाकात कैसे हुई।


हसरत जयपुरी ने कहा कि जब राज कपूर ने उन्हें बुलाया, तो वह थोड़े नर्वस थे, लेकिन राज कपूर और उनकी टीम ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया, जिससे वह हैरान रह गए। हसरत ने 'बरसात' में गाने लिखे, जिसमें पहला गाना 'जिया बेकरार है छाई बहार है' था, जो निम्मी पर फिल्माया गया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म के अन्य गाने भी लिखे, जो बेहद सफल रहे। इस तरह हसरत जयपुरी हिंदी सिनेमा के अनमोल रत्नों में शामिल हो गए।



गीतकार हसरत जयपुरी ने साझा किया कि पेट की भूख ने उन्हें जयपुर से मुंबई लाने में मदद की, जहां उन्होंने बस कंडक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और मुशायरा भी करते रहे। एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर ने उनकी प्रतिभा को देखा और राज कपूर को उनके बारे में बताया। इसके बाद हसरत की राज कपूर से मुलाकात हुई। हसरत ने बताया कि उनका असली नाम इकबाल हुसैन था, लेकिन शायरी के तखल्लुस ने उन्हें हसरत बना दिया। चूंकि वह जयपुर से थे, इसलिए उनका नाम हसरत जयपुरी पड़ा।


हसरत ने कहा कि वह अपने पड़ोस की एक लड़की से प्यार करते थे, जो अलग धर्म की थी। उनके प्यार में हसरत ने शायरी सीखी और रोमांटिक गीत लिखने लगे। उन्होंने बताया कि फिल्म 'संगम' का प्रसिद्ध गाना 'ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर कहीं नाराज़ ना होना' उन्होंने अपने प्यार का इजहार करने के लिए लिखा था, जिसे बाद में फिल्म के गानों में शामिल किया गया। हसरत जयपुरी का यह अनोखा इंटरव्यू लहरें पॉडकास्ट पर देखना न भूलें।



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