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सलमान खान के पान मसाला विज्ञापन पर कानूनी संकट

सलमान खान को पान मसाला के एक विज्ञापन के लिए उपभोक्ता अदालत में शिकायत का सामना करना पड़ रहा है। उन पर ग्राहकों को गुमराह करने का आरोप है, जिसके चलते अदालत ने हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी, जहां सलमान को पेश होने के लिए कहा गया है। क्या यह मामला उनके लिए और भी गंभीर हो जाएगा? जानें पूरी कहानी में।
 
सलमान खान के पान मसाला विज्ञापन पर कानूनी संकट

सलमान खान पर गुमराह करने का आरोप

बॉलीवुड के कई सितारे विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों में नजर आते हैं, जिनमें से कुछ पान मसाला के विज्ञापन भी शामिल हैं। हाल ही में, सलमान खान ने एक ऐसा विज्ञापन किया है, जिसके कारण वह विवादों में घिर गए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने ग्राहकों को गुमराह किया है। उपभोक्ता अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में सलमान खान को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है और पावर ऑफ अटॉर्नी पर हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच कराने का निर्देश दिया है।


हस्ताक्षर की जांच के बाद होगी कार्रवाई

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को निर्धारित की है। कोर्ट के अनुसार, हस्ताक्षरों की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, अदालत ने सलमान खान को 20 जनवरी 2026 को पेश होने के लिए कहा है। इसके अलावा, जिस वकील ने दस्तावेजों को नोटराइज किया था, उसे भी समन भेजा गया है। यह मामला भ्रामक विज्ञापन और उपभोक्ता के हितों से संबंधित है, इसलिए अदालत ने इसे गंभीरता से लिया है।


सलमान खान के खिलाफ शिकायत का कारण

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कोटा के वकील इंद्र मोहन सिंह हनी ने कंज्यूमर कमीशन में सलमान खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि राजश्री पान मसाला और सलमान खान जनता को गुमराह कर रहे हैं, क्योंकि विज्ञापन में यह दावा किया गया है कि इस पान मसाला में केसर है।


क्या दस्तावेजों में हैं फर्जी हस्ताक्षर?

सलमान खान की मुश्किलें तब बढ़ गईं जब अदालत में दस्तावेजों को लेकर सवाल उठे। 9 दिसंबर को सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने सलमान खान की ओर से प्रस्तुत किए गए जवाब और पावर ऑफ अटॉर्नी पर सवाल उठाया। शिकायतकर्ता का कहना है कि दस्तावेज पर जो हस्ताक्षर हैं, वे सलमान खान के असली हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते। उनका दावा है कि अभिनेता ने जोधपुर की जेल और अदालत में जो हस्ताक्षर किए थे, वे पावर ऑफ अटॉर्नी से भिन्न हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि ये नकली हस्ताक्षर हैं, जो एक अपराध है।


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