मृणाल सेन: भारतीय सिनेमा के साहसी फिल्मकार की अनकही कहानी
मृणाल सेन का सिनेमा सफर
नई दिल्ली, 29 दिसंबर। यह कहानी एक ऐसे फिल्म निर्माता की है, जिन्होंने समानांतर सिनेमा को एक नई दिशा दी और सामाजिक मान्यताओं को चुनौती दी। मृणाल सेन ने भारतीय सिनेमा में एक नई क्रांति का आगाज़ किया, जिससे यथार्थपरक फिल्मों का एक नया युग शुरू हुआ।
सत्यजीत रे और ऋत्विक घटक के साथ बांग्ला सिनेमा के त्रिमूर्ति में शामिल मृणाल सेन ने बांग्ला और हिंदी सिनेमा में कई महत्वपूर्ण फिल्में निर्देशित कीं। सिनेमा उनके जीवन का एक हिस्सा नहीं था, न ही उन्हें कैमरे का कोई जुनून था। लेकिन एक अनजाने मोड़ पर, उन्होंने सिनेमा को समाज से संवाद करने का एक माध्यम बना लिया।
मृणाल सेन की फिल्मी यात्रा में एक दिलचस्प मोड़ आया जब उन्होंने फिजिक्स में रुचि दिखाई, जिससे उन्हें साउंड रिकॉर्डिंग में दिलचस्पी हुई। एक स्टूडियो में काम करने का मौका मिला, लेकिन उन्हें पसंद का काम नहीं मिला।
उनकी पढ़ाई में रुचि थी, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और नेशनल लाइब्रेरी में किताबें पढ़ने लगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैंने हर तरह की किताबें पढ़ीं, लेकिन फिर मैंने फिल्म साउंड रिकॉर्डिंग पर ध्यान केंद्रित किया।"
युद्ध के दौरान, मृणाल सेन ने कई प्रभावशाली फिल्में देखीं, जो उनके सिनेमा के प्रति रुचि को बढ़ाने में मददगार साबित हुईं। हालांकि, उन्हें एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी करनी पड़ी, लेकिन यह भी ज्यादा समय तक नहीं चली।
1953 में, उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म बनाई, जिसे उन्होंने बाद में भुलाने की कोशिश की। लेकिन उनकी अगली फिल्म, 'नील आकाशेर नीचे', ने उन्हें पहचान दिलाई।
उनकी फिल्म 'भुवन शोम' ने उन्हें एक प्रमुख फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित किया और भारत में 'न्यू सिनेमा' आंदोलन की शुरुआत की।
मृणाल सेन ने अपने करियर में कई राजनीतिक फिल्में बनाई, जो उन्हें एक मार्क्सवादी कलाकार के रूप में पहचान दिलाने में मददगार रहीं। उन्होंने अपने मध्यम वर्गीय समाज के भीतर के दुश्मनों को उजागर किया।
उन्होंने अपनी बाद की फिल्मों में कथा संरचना से हटकर काम किया और 2002 में अपनी आखिरी फिल्म 'अमर भुबन' बनाई।
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा भी शामिल है। 2017 में अपनी पत्नी के निधन के बाद, उनकी सेहत बिगड़ने लगी और 30 दिसंबर 2018 को उनका निधन हो गया।
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